हरिद्वार। अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख डॉ. प्रणव पण्ड्या ने कहा कि सद्गुरु अपने शिष्य को अधर्म से धर्म के मार्ग की ओर ले जाते हैं। वे शिष्य के जीवन का कायाकल्प करते हैं। गुरु शिष्य के जीवन को संवारते हैं। डॉ. पण्ड्या शांतिकुंज में गुरुपूर्णिमा पर्व मनाने देश-विदेश से आये गायत्री साधकों को संबोधित कर रहे थे।
डॉ. पण्ड्या ने कहा कि गुुरुपूर्णिमा के अवसर पर गुरु का स्मरण व समर्पण का भाव निरंतर जीवित रखिये और श्रद्धा भाव को सतत बढ़ाने हेतु संकल्पित हो आगे बढ़े। उन्होंने अपने जीवन में युगऋषि पं. श्रीराम शर्मा के मार्गदर्शन से आए आमूलचूल परिवर्तन का उल्लेख करते हुए श्रद्धा, समर्पण और साधना के महत्व को रेखांकित किया।
संस्था की अधिष्ठात्री शैलदीदी ने कहा कि प्राचीन काल में सद्गुरुओं ने जिस तरह अपने शिष्यों को श्रद्धावान, ज्ञानवान बनाने के साथ चहुंमुखी विकास किया, परिणामतः उनके शिष्य राष्ट्र व संस्कृति के विकास के लिए प्राणवान, ऊर्जावान हो संकल्पित होकर समाज के विकास में जुटते थे। आज ऐसे शिष्यों की महती आवश्यकता है, जो अपनी प्रतिभा, ऊर्जा को समाज के हित में लगा सकें।
गायत्री परिवार प्रमुखद्वय ने शांतिकुंज द्वारा तैयार की गयी शांतिकुंज पंचांग 2026, कई पुस्तकों सहित विशेष डाक्यूमेंट्री, चेतना की शिखर यात्रा पुस्तक की आडियो बुक का विमोचन किया। डॉ. पण्ड्या व शैलदीदी ने सैकड़ों नये साधकों को गायत्री महामंत्र की गुरुदीक्षा दी। साथ ही पुंसवन, नामकरण, उपनयन सहित विभिन्न संस्कार बड़ी संख्या में निःशुल्क सम्पन्न कराये गये। गुरुपूर्णिमा से प्रारंभ हो रहे चालीस दिवसीय चान्द्रायण व्रत के लिए भारत, अमेरिका, आस्ट्रेलिया सहित कई देशों के हजारों साधक जुटे। इन साधकों को गायत्री परिवार प्रमुख डॉ. प्रणव पण्ड्या ने संकल्पित कराया।
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