बिहार के पर्वत पुरुष दशरथ मांझी का नाम तो आपने सुना ही होगा, जिन्हें पूरे देश में जाना जाता है। जिन्होंने पहाड़ काटकर रास्ता बनाया था। ऐसे में हम आपको राजस्थान के एक ऐसे संत की कहानी भी बताने जा रहे हैं, जिन्होंने अपने भक्तों और प्रजा के लिए पहाड़ काटकर रास्ता बनाया। यह कहानी बूंदी जिले के बाबा बजरंग दास की है। लोग प्यार से बाबा बजरंग दास को लाल लंगोट बाबा कहते हैं। उन्होंने 20 सालों तक 30 किलोमीटर के पहाड़ के घुमावदार रास्ते को काटकर उसे मात्र 3 किलोमीटर का बना दिया।
गांव वालों का रास्ता हुआ छोटा
कहते हैं कि मांडपुर-गेंडोली की बजरंग घाटी में बना यह रास्ता अब 34 ग्राम पंचायतों के लोगों के लिए वरदान साबित हुआ है। इस रास्ते से नैनवां और केशवरायपाटन तहसील के लोग जयपुर, कोटा, बारां और झांसी तक आसानी से आ-जा सकते हैं। बाबा की यह मेहनत हमें बिहार के पर्वत पुरुष दशरथ मांझी की याद दिलाती है।
घोड़ी की मौत ने जगाया संकल्प
यह कहानी 1980 की है, जब एक भक्त की घोड़ी पहाड़ की चट्टानों में गिरकर मर गई। इस भक्त की पीड़ा सुनकर बाबा का मन विचलित हो गया। उन्होंने निश्चय किया कि वे पहाड़ को काटकर आम लोगों के लिए रास्ता बनाएंगे। इसके बाद बाबा ने दिन-रात छेनी-हथौड़े से पहाड़ काटना शुरू कर दिया। उनके शिष्यों ने भी इस काम में उनका साथ दिया। 20 साल की कड़ी मेहनत के बाद 20 फीट चौड़ा और 300 मीटर लंबा रास्ता तैयार हो गया। आज इस रास्ते पर गाड़ियाँ तेज़ रफ़्तार से दौड़ती हैं, जहाँ पहले पैदल चलना भी मुश्किल था।
34 गाँवों के लिए वरदान बना रास्ता
बाबा द्वारा बनाए गए इस रास्ते ने तलबास, पीपल्या, जैतपुर, गेंडोली, करवर, झालीजी का बराना, नोताना, मोडासा, माणी, बालापुर और ब्राह्मण गाँव जैसे 34 गाँवों के लोगों का जीवन आसान बना दिया। पहले इन गाँवों के लोग और उनके मवेशी 30 किलोमीटर का चक्कर लगाते थे, जो जानलेवा था। अब यह शॉर्टकट रास्ता उनकी यात्रा को तेज़ और सुरक्षित बना रहा है। भक्त राम लाल गुर्जर कहते हैं, "बाबा ने सरकार का इंतज़ार नहीं किया, बल्कि खुद मेहनत करके लोगों की राह आसान की।"
गुरु पूर्णिमा पर बाबा को याद करें
बाबा बजरंग दास का देहांत 2017 में हो गया था, लेकिन उनकी यादें और आस्था आज भी ज़िंदा हैं। हर साल गुरु पूर्णिमा पर बूंदी के बाणगंगा स्थित नरसिंह आश्रम में हज़ारों भक्त जुटते हैं। यहाँ 21 दिनों तक सवा लाख हनुमान चालीसा का पाठ होता है। इस साल भी आश्रम में भव्य सजावट और महाप्रसादी का आयोजन किया गया। सुबह से देर रात तक भक्त बाबा के मंदिरों में दर्शन के लिए पहुँचे। आश्रम में बाबा नरसिंह दास, बजरंग दास, श्रीराम, हनुमान और शिव मंदिर भक्तों की आस्था का केंद्र हैं।
समाज के लिए बाबा का योगदान
बाबा केवल सड़क बनवाने तक ही सीमित नहीं थे। उन्होंने भक्तों से मिले चढ़ावे का इस्तेमाल जनकल्याण के लिए किया। बूंदी में बालिका विद्यालयों के लिए कक्षाएँ, अस्पताल में रैन बसेरा और कई जनकल्याणकारी कार्य उनके नाम हैं। पुजारी किशन दास कहते हैं, "बाबा की तपस्या अद्वितीय थी। वे सदैव आम जनता के लिए जीते थे।"
केंद्र सरकार ने भी की पहल
बाबा के इस प्रयास को अब सरकार का समर्थन मिल गया है। बूंदी विधायक हरिमोहन शर्मा के अनुसार, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के प्रयासों से केंद्र सरकार ने इस सड़क के चौड़ीकरण के लिए 48.78 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं। 11.70 किलोमीटर लंबी यह सड़क गेंडोली से पीपल्या तक जाएगी। इससे बड़े वाहनों का आवागमन आसान हो जाएगा। बूंदी का नृसिंह आश्रम हाड़ौती क्षेत्र में आस्था का एक बड़ा केंद्र है। बाबा द्वारा बनाया गया मार्ग और उनका कार्य आज भी लोगों के दिलों में बसा है।
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