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Jaipur डॉक्टरों का काम जीवन बचाना उनसे हड़ताल की अपेक्षा नहीं की जा सकती

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जयपुर न्यूज़ डेस्क, जयपुर रेजिडेंट डॉक्टरों की प्रदेश में 17 दिन से जारी हड़ताल बुधवार को हाईकोर्ट के दखल के बाद करीब 5 घंटे में समाप्त हो गई। अपराह्न करीब साढ़े तीन बजे रेजिडेंट डॉक्टरों ने बुधवार से ही काम पर लौटने की सहमति दे दी।

हाईकोर्ट में दिनभर ऐसे चला घटनाक्रम

10:30 बजे: एडवोकेट पार्थ शर्मा ने रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल से उत्पन्न समस्या की ओर ध्यान दिलाया, जिस पर कोर्ट ने संबंधित अधिकारी व चिकित्सक दोपहर दो बजे बुलाए।

12:15 बजे: दोनों कोर्ट कमिश्नरों ने 12:15 से 1:30 बजे तक एसएमएस अस्पताल का दौरा किया। उन्होंने देखा कि अस्पताल में काम चल रहा था, लेकिन हड़ताल के कारण कार्यरत स्टाफ पर काम का दबाव था।

दोपहर 2 बजे... सरकार व जार्ड प्रतिनिधियों का पक्ष सुना: अदालती आदेश पर दोपहर 2 बजे कोर्ट कमिश्नरों ने स्थिति से न्यायालय को अवगत कराया। साथ ही, चिकित्सा शिक्षा सचिव अम्बरीश कुमार, चिकित्सा शिक्षा आयुक्त इकबाल, एसएमएस मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल डॉ. दीपक माहेश्वरी व जार्ड प्रतिनिधि मनोहर सियोल व अन्य रेजिडेंट व्यक्तिश: पहुंचे, वहीं प्रमुख स्वास्थ्य सचिव गायत्री एस राठौड़ ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई में भाग लिया। जार्ड पदाधिकारियों ने कोर्ट को बताया कि अस्पतालों में रेजिडेंट डॉक्टरों की सुरक्षा व स्टाईपेण्ड के बारे में सरकार जो आश्वासन दे चुकी, उसके पूरा नहीं होने पर हड़ताल के लिए मजबूर हुए। अधिकारियों ने इस पर सरकार का पक्ष रखा।

दोपहर 2:35 बजे: समाधान के लिए सुनवाई 3:30 बजे तक टाल दी गई। एसएमएस मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल डॉ. दीपक माहेश्वरी कोर्ट रूम में असहज महसूस कर रहे थे, ऐसे में उन्हें अस्पताल ले जाया गया।

दोपहर 3:30 बजे: अतिरिक्त महाधिवक्ता विज्ञान शाह ने कहा कि सरकार वार्ता कर रही थी, लेकिन रेजिडेंट्स ने हड़ताल शुरू कर दी। रेजिडेंट्स की इस साल यह पांचवीं बार हड़ताल है। सरकार समाधान के लिए कमेटी बनाने को तैयार है, लेकिन पहले हड़ताल वापस ली जाए। राजस्थान पहला ऐसा राज्य है, जहां स्टाईपेण्ड को डीए से जोड़ दिया गया है। सुरक्षा के लिए 2018 में कानून बन चुका है। कोर्ट ने कहा कि पुलिस वाले और डॉक्टर मेहनत करते हैं। अस्पताल में डॉक्टरों से मारपीट का खतरा रहता है, उनकी समस्याओं के समाधान में वित्तीय संसाधन बाधा नहीं हो सकते। स्वास्थ्य मौलिक अधिकार है, डॉक्टरों का पेशा पवित्र होने के बावजूद उनकी हड़ताल संविधान के अनुच्छेद 21 के विपरीत है। डॉक्टरों का काम जीवन बचाना है, उनसे हड़ताल की अपेक्षा नहीं की जा सकती। कोर्ट ने इस मामले में अदालती कार्यवाही में सहयोग के लिए अधिवक्ता सुरेश साहनी व अधिवक्ता एस एस होरा को न्यायमित्र नियुक्त किया। मौखिक याचिका पेश करने वाले अधिवक्ता पार्थ शर्मा से भी सहयोग करने को कहा। सुनवाई के दौरान ही रेजिडेंट डॉक्टरों ने हड़ताल समाप्त कर तत्काल काम पर लौटने का भरोसा दिलाया।

सायं 4 बजे: कोर्ट ने आदेश में लिखवाया कि समाधान के लिए चिकित्सा शिक्षा सचिव ने कमेटी बना दी है। रेजिडेंट डॉक्टरों की मांगों पर गंभीरता से व सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाए। चिकित्सा शिक्षा सचिव की अध्यक्षता वाली कमेटी की पहली बैठक शनिवार को हो, यह कमेटी समाधान और प्रयासों से अवगत कराए। 18 नवंबर को कोर्ट में रिपोर्ट पेश हो। प्रमुख स्वास्थ्य सचिव ने बताया कि इस मामले को लेकर अंतर विभागीय कमेटी बनाई जाएगी। यह कमेटी चिकित्सा शिक्षा सचिव की कमेटी द्वारा सुझाए उपायों के आधार पर निर्णय करेगी।

एसएमएस अस्पताल में कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. शशिमोहन शर्मा ने बताया कि कोर्ट से ही उन्हें डॉ. दीपक माहेश्वरी की तबियत बिगड़ने की सूचना मिल गई। इमरजेंसी लाने पर उनकी ईसीजी की गई। जिसमें हार्ट अटैक का पता चला। एक धमनी में 100 प्रतिशत ब्लॉकेज पाए जाने पर उनकी एंजियोप्लास्टी कर एक स्टेंट डाला गया।

रेजिडेंट डॉक्टर काम पर लौटे

इधर कोर्ट में सुनवाई के बाद रेजिडेंट डॉक्टर काम पर लौट आए। जयपुर एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स (जार्ड) के अध्यक्ष डॉ. मनोहर सियोल ने बताया कि कोर्ट के निर्णय अनुसार हड़ताल समाप्त कर दी गई है। रेजिडेंट डॉक्टर्स की हड़ताल समाप्त होने के बाद गुरुवार से मेडिकल कॉलेजों में कामकाज सामान्य होने की संभावना है।

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