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Jhunjhunu मौसम में बदलाव से बढ़ रहे एलर्जी के मरीज, संक्रमण का खतरा बढ़ा

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झुंझुनू न्यूज़ डेस्क, झुंझुनू मौसम बदलने के साथ ही सांस की समस्या से ग्रसित मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है। सांस की नली में सूजन आने से BDK अस्पताल की ईएनटी विभाग और फिजिशियन की ओपीडी में एलर्जी के मरीजों की संख्या दोगुनी से अधिक हो गई है। BDK की ओपीडी में रोजाना सात से आठ दर्जन से ज्यादा मरीज आ रहे हैं।चिकित्सकों के अनुसार अस्थमा के 80 प्रतिशत मरीज एलर्जिक राइनाइटिस से पीड़ित होते हैं। वहीं, एलर्जिक राइनाइटिस के एक तिहाई मरीजों को अस्थमा होने का खतरा रहता है। इन मरीजों में महिलाओं पुरुषों की संख्या ज्यादा है। लगातार खांसी आने पर फेफड़ों में संक्रमण तेजी से फैलता है। इससे पीड़ित व्यक्ति को नाक से पानी, आंख में खुजली आदि की समस्या होती है। चिकित्सकों के अनुसार नेजल स्प्रे, एंटी एलर्जिक दवाओं के जरिए इस एलर्जी से बचाव हो सकता है।

यह है मरीज बढ़ने का कारण

सितंबर माह के खत्म होते ही मौसम में बदलाव शुरू हो गया है। सुबह व शाम ठंडक होने लग गई है। ऐसे में मौसम में आए बदलाव और फसल कटाई की वजह से नाक की एलर्जी (एलर्जिक राइनाइटिस) मरीज बढ़ने लग गए हैं। मौसम में नमी बढ़ने पर प्रदूषण व धूल मिटटी के कण हवा में ही तैरते रहते हैं।मानसून सीजन खत्म होने के कारण सितम्बर और अक्टूबर माह में बारिश बहुत कम होती है। इसके चलते यह समस्याएं ज्यादा आती है। हालांकि प्रदूषण जून-जुलाई व अगस्त के महीनों में भी होता है, लेकिन इन महीनों में हर दूसरे-तीसरे दिन बारिश होती रहती है। जिससे अगर प्रदूषण व धूल मिटटी के पार्टिकल जमीन पर आ जाते हैं, हवा में ज्यादा समय तक नहीं रहते।ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. राजेंद्र पायल ने बताया कि वातावरण में एलर्जन्स के कारण इन दिनों एलर्जिक राइनाटिस के मरीज बढ़े हैं। इस रोग से बचाव के लिए मुंह पर मास्क लगाएं और जो मरीज इसकी चपेट में आ चुके हैं वो एंटी एलर्जिक ड्रग्स लें। समय पर उपचार नहीं लेने से यह समस्या बढ़ सकती है। एलर्जी के पुराने मरीज को नियमित रूप से दवाएं लेनी चाहिए। इसके लिए सभी को जागरूक होना होगा।

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