अलवर न्यूज़ डेस्क, जंगल में शिकार करने वाले पक्षियों को बचाने की चिंता पर मंथन होने लगा है। ताकि जैव विविधता संरक्षण एवं परिस्थितिकी संतुलन बना रहे। WWF इंडिया की ओर से जयपुर में आयोजित कार्यशाला में इस पर चर्चा की गई है। जिसमें अलवर के सरिस्का के CCF सहित प्रदेश भर के अधिकारी भी पहुंचे थे। सरिस्का में अध्ययन करने के लिए WWF इंडिया से अनुरोध किया गया है।
WWF की ओर से आयोजित हो रही सेमिनार
सरिस्का के CCF संग्राम सिंह ने बताया कि WWF India की ओर से जयपुर में रेप्टर्स संरक्षण परिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य और संतुलन को बनाए रखने में रेप्टर्स महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। बड़े मांसाहारी, scavenger और पर्यावरणीय कल्याण के प्रमुख संकेतक के रूप में जैव विविधता संरक्षण एवं परिस्थितिकी स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है। प्राकृतिक प्रणालियों के संतुलन को सुनिश्चित करने के लिए उनकी सुरक्षा आवश्यक है। जिससे वन्यजीव और मानव आबादी दोनों को लाभ होता है।
भारत देश में रेप्टर्स काफी संख्या में हैं। पूरे भारत देश में इनकी 107 प्रजातियां दर्ज की गई है। अकेले राजस्थान में इनकी लगभग 52 प्रजातियां हैं, राजस्थान रेप्टर्स संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है। सरिस्का टाइगर रिजर्व, जो मुख्य रूप से बाघों के लिए विख्यात है। इन शिकारी पक्षियों के लिए भी एक महत्वपूर्ण आवास स्थल है। यहां इनकी 32 प्रजातियां हैं। जिनमें कई गिद्ध प्रजातियां भी शामिल हैं। सरिस्का बाघ परियोजना के क्रास्का, हवामहल, गर्वाजी झरना एवं नलदेश्वर में रेप्टर्स को देखा जा सकता है।
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