विद्या संबल योजना के तहत राजस्थान के सरकारी कॉलेजों में अस्थाई शिक्षकों की नियुक्ति के लिए कॉलेज शिक्षा आयुक्तालय ने प्रक्रिया शुरू कर दी है और नई गाइडलाइन जारी कर दी है। लेकिन गाइडलाइन जारी होते ही अभ्यर्थियों में नाराजगी है। उनका कहना है कि ये गाइडलाइन खामियों से भरी है और इससे कॉलेजों में पढ़ाई बाधित होगी।
केंद्रीय पोर्टल की मांग
अभ्यर्थियों का कहना है कि कॉलेज शिक्षा आयुक्तालय को एक केंद्रीकृत पोर्टल विकसित करना चाहिए, जहां विषयवार रिक्तियों की जानकारी, ऑनलाइन आवेदन और दस्तावेज सत्यापन हो सके। इससे न केवल समय और संसाधनों की बचत होगी, बल्कि भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता भी आएगी।
वेतन व्यवस्था में बदलाव पर नाराजगी
पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान विद्या संबल योजना के तहत मासिक वेतन दिया जाता था और शिक्षक पूरे सत्र तक पढ़ाते थे। लेकिन भाजपा सरकार आने के बाद योजना में बदलाव कर दिया गया है और घंटों के आधार पर भुगतान की व्यवस्था लागू कर दी गई है। इससे बीच सत्र में शिक्षण कार्य बंद होने की स्थिति बन जाती है।
अभ्यर्थियों की प्रमुख आपत्तियां
1- सप्ताह में मात्र 14 घंटे पढ़ाने की सीमा तय की गई है, जिससे यूजी व पीजी स्तर पर कोर्स अधूरा रहने का डर है।
2- गाइडलाइन के अनुसार परीक्षाओं की तिथि घोषित होते ही अस्थायी शिक्षकों की सेवाएं समाप्त हो जाएंगी, जबकि सेमेस्टर परीक्षाएं साल में दो बार होती हैं। इससे नई नियुक्तियों की प्रक्रिया में हर बार अड़चनें आएंगी।
3- आवेदन प्रक्रिया महाविद्यालय स्तर पर प्राचार्य द्वारा संचालित की जाएगी, जो पारदर्शिता व कार्यकुशलता में बाधक बन सकती है।
संविदा नियमावली के तहत नया स्वरूप दें
सरकार को अन्य राज्यों की तरह संविदा नियमावली के तहत इस योजना को नया स्वरूप देना चाहिए। इससे रिक्त पदों को भरने, गुणवत्ता व अनुशासन सुनिश्चित होगा।
महाविद्यालयों में पर्याप्त शिक्षकों की नियुक्ति जरूरी
नई शिक्षा नीति को सही मायने में लागू करना है तो महाविद्यालयों में पर्याप्त शिक्षकों की नियुक्ति जरूरी है। उन्हें बार-बार हटाना व नियुक्त करना गलत है।
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