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नागौर में बसे हैं इमली वाले बालाजी, 500 साल पुराना रहस्यमई इतिहास जान आप भी रह जाएंगे हैरान

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राजस्थान एक ऐसा राज्य है जहां सभी धर्मों के लोग निवास करते हैं। जहां सभी धर्मों के इष्ट देवी-देवताओं की पूजा की जाती है। लेकिन राजस्थान में कई ऐसे चमत्कारी मंदिर हैं जो पूरे देश में प्रसिद्ध हैं। मेड़ता को मीरा नगरी के नाम से जाना जाता है। लेकिन यहां इमली वाले बालाजी का एक प्रसिद्ध मंदिर भी है। माना जाता है कि इस मंदिर के निर्माण के पीछे एक रहस्यमयी घटना हुई थी। तब से यह लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है।मेड़ता सिटी निवासी श्याम बोराणा बताते हैं कि इस मंदिर की स्थापना 500 साल पहले एक संत ने की थी। इमली वाले बालाजी का मंदिर मेड़ता में बना हुआ है। मीरा महल के पास स्थित यह मंदिर क्षेत्र के लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है। जिसे विष्णु सागर सरोवर भी कहा जाता है।

मंदिर का इतिहास
इस मंदिर का नाम इमली वाले बाबा इसलिए रखा गया क्योंकि करीब अठारह साल पहले इस मंदिर में लगे इमली के पेड़ में अचानक आग लग गई और पेड़ के सभी छिद्रों से धुआं निकलने लगा। यह नजारा देख क्षेत्र के लोग सहम गए और प्रशासन हरकत में आ गया। प्रशासन ने फायर ब्रिगेड के जरिए आग बुझाने की कोशिश की। लेकिन पेड़ के तने पर रोजाना पांच से दस टैंकर पानी डालने के बावजूद आग पर काबू नहीं पाया जा सका। अंत में भक्तों ने 7 दिनों तक सुंदरकांड का पाठ किया और संगीत के साथ रामधुन का आयोजन किया। इस आयोजन के बाद अगले दिन आग बुझ गई और पेड़ आज भी पहले की तरह हरा-भरा है। यहां इमली के फल भी उगते हैं। तभी से यह आसपास के भक्तों के लिए धार्मिक आस्था का केंद्र बना हुआ है और इसे इमली वाले बालाजी के नाम से जाना जाता है।

ये है मंदिर की मान्यता

श्याम बोराणा बताते हैं कि यहां भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। लेकिन इससे पहले बालाजी भक्त की कड़ी परीक्षा लेते हैं। श्याम ने बताया कि भक्त की जैसी इच्छा होती है, बालाजी भी उसी तरह परीक्षा लेते हैं। इस मंदिर में भूत-प्रेत की समस्या सिर्फ भभूत लगाने से दूर हो जाती है और अगर आप किसी परेशानी से गुजर रहे हैं तो बालाजी की परिक्रमा करने मात्र से ही उसका समाधान हो जाता है।

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