जेल से रिहा हुए नरेश मीणा मंगलवार को अपनी मां के साथ खाटूश्यामजी आए थे। मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि एसडीएम को थप्पड़ मारना और समरवता में हुई हिंसा तात्कालिक थी। उस समय वहां जो हालात थे, वे दुर्भाग्यपूर्ण थे। मुझे थप्पड़ नहीं मारना चाहिए था। मीडिया से बातचीत में नरेश मीणा ने कहा कि मैं 20-25 साल से राजनीति में हूं। मुझे उम्मीद थी कि कोई बड़ा पद मिलेगा, लेकिन नहीं मिल पाया। इसके बाद मैं निराश हो गया था। फिर मैंने सोचा कि बाबा श्याम के दरबार में मत्था टेकूं।
"कोई शक्ति है जो सब कुछ करवा रही है"
नरेश मीणा ने कहा, "जब मैं निराश था, तो सोचा कि बाबा श्याम के दरबार में जाऊँ। मैं घटना से पहले खाटूश्यामजी आया था और मेरा टिकट कट गया। इसके बाद ये सब हुआ। मुझे लगता है कि सब कुछ बाबा की कृपा से हो रहा है। शायद विधायक बनने के बाद भी मैं इतना कुछ नहीं कर पाता। अब बाबा के आशीर्वाद से मुझे जनता का आशीर्वाद मिल रहा है। कोई शक्ति है जो मुझे कह रही है कि जितना हो सके जनता के लिए काम करूँ। बाबा ने मेरे लिए बड़ा सोचा है।"
"चुनाव के बाद मैं पैदल खाटूश्यामजी आऊँगा"
उन्होंने कहा, "मैं बाबा खाटूश्यामजी के दर्शन करने आया हूँ। चुनाव के बाद मैं पैदल खाटूश्यामजी के दर्शन करने आता, लेकिन घटना के बाद मैं आठ महीने जेल में रहा। 14 जुलाई को मैं जेल से बाहर आया। जेल से बाहर आने के बाद, मैं सीधे बाबा खाटूश्यामजी के दरबार में आना चाहता था, और आज मैं यहाँ आया हूँ।"
"बाबा श्याम ने मेरी प्रार्थना सुन ली"
नरेश मीणा ने कहा, "बाबा श्याम ने मेरी प्रार्थना सुन ली। उनकी कृपा से ही मुझे ज़मानत मिली है और मैं अपने पूरे परिवार के साथ यहाँ आया हूँ। मैंने बाबा श्याम से आशीर्वाद लिया है। जनता का आशीर्वाद मुझे मिल रहा है, ईश्वर मुझे और शक्ति दे ताकि मैं जनता के कल्याण के लिए काम करता रहूँ। मेरी कामना है कि मैं जनता के दिलों में अपनी जगह बना सकूँ।"
You may also like
थाईलैंड के 75 बौद्ध धर्मावलंबी उप्र के कुशीनगर में कर रहे वर्षावास
दिल्ली विवि के कुलपति ने किया टैगोर हॉल का उद्घाटन, सुरक्षा मानकों पर विशेष जोर
बिहार में बीते तीन दिनों से जारी बारिश से गयाजी और मुंगेर में बाढ़ जैसे हालात
बांग्लादेश में जुलाई विद्रोह के नेताओं पर बमों से हमला, गोपालगंज में तनाव
भुंतर में 895 ग्राम चरस के साथ नेपाली गिरफ्तार