Next Story
Newszop

यूक्रेन: जंग के मैदान में चुंबक से 'चमत्कार', सैनिकों की जान बचा रही ख़ास डिवाइस

Send Push
Kevin McGregor / BBC यूक्रेनी सैनिक सेरही मेलनिक अपने हाथ में धातु का वो टुकड़ा थामे हुए जो उनके दिल में धंसा हुआ था.

सेरही मेलनिक अपनी जेब से कागज में लपेटा हुआ एक धातु का एक टुकड़ा निकालते हैं. इसमें जंग लगी हुई है.

इस यूक्रेनी सैनिक ने इसे थोड़ा ऊपर उठाकर दिखाते हुए कहा, ''इसने मेरी किडनी को खरोंच दिया था और फेफड़ों और दिल को भी छेद दिया था.''

रूसी ड्रोन से निकले छर्रे जैसा दिखने वाले इस धातु के टुकड़े पर अभी भी सूखे हुए ख़ून का निशान दिख रहा था.

जब वो पूर्वी यूक्रेन में रूस के ख़िलाफ़ लड़ रहे थे तब ये (टुकड़ा) उनके शरीर में घुस गया था.

वो कहते हैं, ''पहले तो मुझे इसका अहसास नहीं हुआ. लेकिन बाद में सांस लेने में दिक्कत होने लगी. मुझे लगा कि शायद ऐसा बुलेटप्रूफ़ जैकेट की वजह से हो रहा होगा. डॉक्टरों ने बाद में ऑपरेशन कर इसे निकाला.''

यूक्रेन में ड्रोन युद्ध तेज होने के साथ ही इस तरह की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं.

ड्रोन जब फट जाते हैं तब इस तरह के धातु के छोटो टुकड़े लोगों को घायल कर देते हैं.

यूक्रेनी सेना में काम करने वाले डॉक्टरों के मुताबिक़ युद्ध के मैदान में लगने वाली चोटों में से 80 फ़ीसदी इसी तरह की चोटें हैं.

अगर सेरही की चोट का इलाज नहीं होता तो ये उनके लिए जानलेवा हो सकती थी.

सेरही कहते हैं, ''ये टुकड़ा किसी ब्लेड जैसा धारदार था. डॉक्टरों का कहना है कि ये टुकड़ा बड़ा था. मेरी किस्मत अच्छी थी कि मैं बच गया.''

लेकिन सिर्फ़ किस्मत ने उनकी जान नहीं बचाई है. इसके पीछे एक नई मेडिकल टेक्नोलॉजी थी. इसे मैग्नेटिक एक्स्ट्रैक्टर कहते हैं.

कैसे किया ऑपरेशन image Kevin McGregor / BBC ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर सेरही मेक्सिमेनको

कार्डियोवेस्क्युलर सर्जन सेरही मेक्सिमेनको उस धातु के टुकड़े की फुटेज दिखाते हैं जो सेरही मेलनिक के धड़कते लिए दिल में फंसा हुआ था. इसे एक पतले डिवाइस से बड़ी सावधानी से निकाल दिया गया. इस डिवाइस की नोक पर चुंबक लगा हुआ था.

डॉ. मेक्सिमेनको बताते हैं, ''इस डिवाइस की वजह से दिल में बड़े चीरे नहीं लगाने पड़ते हैं.''

उन्होंने कहा, ''मैंने एक छोटा सा चीरा लगाया और चुंबक को घुसाया. इसने उस टुकड़े को खींच कर निकाल दिया.''

डॉक्टर मेक्सिमेनको और उनकी टीम ने सिर्फ़ एक ही साल में इस डिवाइस से 70 सफल हार्ट ऑपरेशन किए हैं. इस डिवाइस ने युद्ध में घायल सैनिकों के इलाज की तस्वीर ही बदल दी है.

शरीर में घुसे ऐसे टुकड़ों को बाहर निकालना एक पेचीदा काम था.

लेकिन जब युद्ध के मोर्चे पर काम कर रहे डॉक्टरों ने इन्हें बहुत छोटे ऑपेरशन के जरिये सुरक्षित और तेजी से निकालने की जरूरत पर जोर दिया तो फिर इस तरह के डिवाइस तैयार किए गए.

image BBC

वकील के तौर पर काम करने वाले ओलेह बाइकोव ने इस तरह की पहल को रफ़्तार दी. वो 2014 से ही सेना के लिए बतौर वॉलन्टियर काम कर रहे हैं. उन्होंने युद्ध के मोर्चे पर काम करने वाले डॉक्टरों से बात की. उनसे सलाह-मशविरा करने के बाद ये मैग्नेटिक एक्स्ट्रैक्टर बनाया गया.

हालांकि ये कोई नया कॉन्सेप्ट नहीं है. शरीर में फंसे धातु के टुकड़ों को निकालने के लिए चुंबक का इस्तेमाल 1850 के दशक में हुए क्राइमिया युद्ध में भी हुआ था. लेकिन ओलेह की टीम ने इस अवधारणा को आधुनिक रूप दिया.

उन्होंने पेट की सर्जरी के लिए इसके लचीले मॉडल बनाए. ये माइक्रो एक्स्ट्रैक्चर थे जो बहुत ही बारीक और नाजुक ऑपरेशन के लिए थे. हड्डियों में फंसे धातु के टुकड़ों को निकालने के लिए ज्यादा मजबूती वाले टूल बनाए गए.

  • क्या यूरोपीय देश मिलकर बनाएंगे एक सेना? दुनिया जहान
  • रूस की क़ैद से लौटे यूक्रेनी सैनिकों का कैसे हुआ स्वागत?
  • यूक्रेन के 'ऑपरेशन स्पाइडर वेब' से भारत और दूसरे देश क्या सबक ले सकते हैं?
बेहतरीन आइडिया image Kevin McGregor / BBC ये चुंबक इतना ताक़तवर है कि भारी वजन वाले हथौड़े को भी उठा लेता है

ऑपरेशन अब अधिक सटीक हो गए हैं और इसके लिए चीर-फाड़ भी कम ही करनी पड़ती है. चुंबक को घाव की सतह पर चलाकर धातु के टुकड़ों को निकाला जा सकता है.

सर्जन फिर एक छोटा सा चीरा लगाते हैं और धातु का टुकड़ा निकाल लिया जाता है.

एक पतले पेन के आकार के टूल को पकड़े हुए ओलेह इसकी ताक़त दिखाते हैं. वो इसमें मौजूद चुंबक से एक हथौड़ा तक उठाकर दिखा देते हैं.

उनके इस काम की पूरी दुनिया में तारीफ़ हो रही है. डेविड नॉट जैसे पूर्व सैनिक उनकी सराहना कर रहे हैं.

वो कहते हैं, ''युद्ध में कुछ ऐसी चीजें विकसित हो जाती हैं जिनके बारे में आमतौर पर सोचना भी मुश्किल है.''

अब युद्ध का चेहरा बदल गया है और इस तरह के टुकड़ों से घायल होने वाली वालों की तादाद बढ़ी है.

चूंकि शरीर में घुसे इस तरह के धातु के टुकड़ों को ढूंढने में काफी वक़्त लगता है इसलिए उन्हें भरोसा है कि ये डिवाइस गेम चेंजर साबित हो सकती है.

वो कहते हैं कि मरीजों के शरीर के अंदर घुसे ऐसे छोटे टुकड़ों की तलाश "भूसे के ढेर में सूई ढूंढने जैसा है.''

ये हमेशा सफल नहीं होता. अक्सर इससे दूसरे घायलों के इलाज में देरी होती है.

डेविड कहते हैं, "इस तरह के छोटे टुकड़ों को हाथ से तलाशना ख़तरनाक हो सकता है. इसके लिए बड़े चीरे लगाने पड़ते हैं. इससे शरीर से ज्यादा ख़ून बहता है. इसलिए अगर एक चुंबक से इन्हें आसानी से ढूंढा जा सकता है तो ये काफी अच्छा आइडिया है.''

  • पश्चिमी देश रूस पर प्रतिबंध भी लगा रहे हैं और उसकी आर्थिक मदद भी कर रहे हैं, जानिए कैसे?
  • यूक्रेन ने ख़ुफ़िया ऑपरेशन से रूसी बॉम्बर्स को बनाया निशाना, स्मगलिंग से पहुँचाए थे ड्रोन्स
  • सर्बिया: क्या रेलवे स्टेशन पर एक दुर्घटना के कारण सत्ता से बाहर हो जाएंगे राष्ट्रपति?
पूरे यूक्रेन में हो रहा है इसका इस्तेमाल image Reuters यूक्रेन की राजधानी कीएव में गिरा मिसाइल का टुकड़ा (फ़ाइल फ़ोटो)

युद्ध के मैदान में आजमाए गए इस टूल का इस्तेमाल अब पूरे यूक्रेन में हो रहा है. अस्पतालों और युद्ध के मोर्चे पर काम कर रहे आंद्रेई एल्बन जैसे डॉक्टरों को ऐसे 3000 टूल दिए गए हैं. वो अब इस टूल पर निर्भर हैं.

ये डॉक्टर अक्सर गोलीबारी के बीच काम करते हैं. उन्हें बंकर्स और अस्थायी आउटडोर क्लीनिकों में भी काम करना पड़ता है और कभी-कभी लोकल एनस्थेटिक के बिना.

आंद्रेई एल्बन कहते हैं, ''मेरा काम सैनिकों की जान बचाना, घावों की मरहम पट्टी करना और सैनिकों को सुरक्षित निकालना है.''

हालांकि इस मैग्नेटिक एक्स्ट्रैक्टर का आधिकारिक सर्टिफिकेशन नहीं हुआ है.

यूक्रेनी स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि चिकित्सा उपकरणों का इस्तेमाल तकनीकी मानकों पर खरा उतरना होगा .

हालांकि युद्ध, मार्शल लॉ और इमरजेंसी जैसे हालात में इस तरह के अनसर्टिफाइड डिवाइस के इस्तेमाल की इज़ाजत दी जाती है ताकि सेना और सुरक्षा बलों की ज़रूरतों को पूरा किया जा सके.

ओलेह कहते हैं, ''जब युद्ध चरम पर हो तो ब्यूरोक्रेसी की प्रक्रियाओं के लिए समय नहीं होता है. ऐसे उपकरण जान बचाते हैं.''

वो थोड़ा मज़ाकिया लहजे में कहते हैं, ''अगर किसी को लगता है कि मेरा काम अपराध है, तो मैं इसकी पूरी ज़िम्मेदारी लेता हूं. अगर ज़रूरत पड़ी तो मैं जेल जाने को भी तैयार हूं. फिर तो उन सभी डॉक्टरों को भी जेल भेजना चाहिए जो इन उपकरणों का इस्तेमाल करते हैं.''

डेविड नॉट भी मानते हैं कि इस समय सर्टिफ़िकेशन (डिवाइस का) प्राथमिकता नहीं है. उन्हें लगता है कि ये डिवाइस ग़ज़ा जैसे दूसरे युद्ध क्षेत्रों में भी मददगार साबित हो सकती है.

"युद्ध में इसकी (सर्टिफ़िकेशन की) ज़रूरत नहीं होती. आप वही चीज़ें करते हैं जो लोगों की जान बचाने के लिए ज़रूरी होती हैं.''

लवीव में सेरही की पत्नी यूलिया इस बात के लिए आभारी हैं कि उनके पति की जान बच गई.

वो कहती हैं, "मैं उन लोगों की तारीफ़ करना चाहती हूं, जिन्होंने ये एक्स्ट्रैक्टर बनाया है."

आंखों में आंसू लिए वो कहती हैं, ''उन लोगों की वजह से ही मेरे पति आज ज़िंदा हैं."

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

  • क्या रूस और यूक्रेन की जंग फ़िलहाल नहीं थमेगी?
  • रूसी राष्ट्रपति पुतिन क्या फिर से दुनिया में रूस का दबदबा क़ायम कर पाएंगे?
  • पहले पुतिन की तारीफ़ के बाद अब उनसे बेहद ख़फ़ा क्यों हुए डोनाल्ड ट्रंप, रूस को दी ये चेतावनी
image
Loving Newspoint? Download the app now