उत्तर प्रदेश के कानपुर में बारावफ़ात (ईद मिलाद-उन-नबी) के मौक़े पर 'आई लव मोहम्मद' का बैनर लगाने को लेकर विवाद हो गया है.
इससे जुड़ी एफ़आईआर के बाद उत्तर प्रदेश और देश के कई शहरों में मुसलमानों ने प्रदर्शन किए हैं.
अलग-अलग शहरों में कुछ एफ़आईआर दर्ज हुई हैं और कुछ लोगों की गिरफ़्तारी भी हुई है.
उत्तराखंड के काशीपुर में भी रविवार को 'आई लव मोहम्मद' के बैनर के साथ जुलूस निकाले जाने के दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों में झड़प हो गई.
यहाँ आठ लोगों को गिरफ़्तार किया गया है.
वहीं, उत्तर प्रदेश के उन्नाव में रविवार को जुलूस निकाले जाने के बाद पाँच लोगों को गिरफ़्तार किया गया है.
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कुछ लोगों का आरोप है कि पुलिस मुसलमानों को अपनी धार्मिक स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति के लिए निशाना बना रही है.
लेकिन कानपुर पुलिस ने कहा है कि एफ़आईआर 'आई लव मोहम्मद' का बैनर लगाने के लिए नहीं बल्कि तय जगह से अलग टेंट लगाने को लेकर की गई थी.
जबकि उत्तर प्रदेश बीजेपी के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा है कि 'आस्था के आधार पर किसी को टारगेट नहीं किया जा रहा' है.
कानपुर में क्या हुआ?
कानपुर के डीसीपी वेस्ट दिनेश त्रिपाठी ने एक बयान में कहा, "थानाक्षेत्र रावतपुर में बारावफ़ात का परंपरागत जुलूस निकलना था. मोहल्ले के लोगों ने तय स्थान से अलग एक टेंट और आई लव मोहम्मद का बैनर लगा दिया. एक पक्ष ने इसका विरोध किया. बाद में दोनों पक्षों में आपसी सहमति से बैनर को परंपरागत स्थान पर लगवा दिया गया था."
दिनेश त्रिपाठी ने दावा किया कि एफ़आईआर 'आई लव मोहम्मद' के लिखने या बैनर को लेकर नहीं की गई है, बल्कि परंपरागत स्थान से हटकर टेंट लगाने और जुलूस के दौरान एक पक्ष की ओर से दूसरे पक्ष के पोस्टर फाड़ने को लेकर हुई है.
एफ़आईआर में कहा गया है कि मुस्लिम समुदाय ने 'आई लव मोहम्मद' का बैनर लगाकर नई परंपरा की शुरुआत करने की कोशिश की और इसका 'दूसरे समुदाय ने विरोध किया. ये एफ़आईआर जुलूस के दौरान तैनात रहे पुलिसकर्मियों की तरफ़ से कराई गई है.'
एफ़आईआर में ये दावा भी किया गया है कि जुलूस के दौरान दूसरे समुदाय के धार्मिक पोस्टर भी फाड़ दिए गए.
कानपुर के रावतपुर थाने में भारतीय न्याय संहिता की धारा 196 और 299 के तहत की गई इस एफ़आईआर में दो समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने और नफ़रत फैलाने के आरोप लगाए गए हैं.
जुलूस के आयोजकों समेत कई लोगों को एफ़आईआर में नामज़द किया गया है.
कानपुर पुलिस के मुताबिक़, इस घटना के संबंध में किसी को गिरफ़्तार नहीं किया गया है.
स्थानीय पत्रकार अभिषेक शर्मा के मुताबिक़, बैनर लगाने को लेकर चार सितंबर को विवाद हुआ था और अगले दिन यानी बारावफ़ात के मौक़े पर जुलूस निकाला गया था, जबकि एफ़आईआर 10 सितंबर की शाम को की गई.
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कानपुर में 'आई लव मोहम्मद' के बैनर को लेकर विवाद और एफ़आईआर के बाद एआईएमआईएम के नेता और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने 15 सितंबर को कानपुर पुलिस को टैग करते हुए एक्स पर लिखा, "आई लव मोहम्मद, कानपुर पुलिस ये जुर्म नहीं है. अगर है तो इसकी हर सज़ा मंज़ूर है."
ओवैसी ने अपनी पोस्ट में लिखा, "तुम पर मेरी लाख जान क़ुर्बान या रसूल."
लखनऊ में प्रदर्शन, हिरासत में लेने के आरोप
लखनऊ में कई महिलाओं ने हाथ में 'आई लव मोहम्मद' का बैनर लेकर विधानसभा के गेट नंबर चार के सामने प्रदर्शन किया.
इन महिलाओं का नेतृत्व सपा नेता और दिवंगत शायर मुनव्वर राणा की बेटी सुमैया राणा कर रही थीं.
बीबीसी से बातचीत में सुमैया राणा ने कहा कि कई युवा भी इस प्रदर्शन में शामिल होना चाह रहे थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें रास्ते में ही रोक दिया.
सुमैया ने बीबीसी से कहा, "हम महिलाएँ कार में सवार होकर विधानसभा तक पहुँचीं और अपना विरोध दर्ज कराया. पुलिस ने हमें भी वहाँ से हटा दिया."
सुमैया ने दावा किया कि पुलिस ने प्रदर्शन में शामिल कई युवाओं को कुछ घंटे हिरासत में रखा. हालाँकि इस संबंध में लखनऊ पुलिस ने कोई बयान दर्ज नहीं किया है.
सुमैया ने कहा, "मुसलमानों के ख़िलाफ़ भड़काऊ भाषण दिए जाते हैं तब मुक़दमा नहीं होता. मुसलमान अपने संवैधानिक अधिकारों के तहत धार्मिक अभिव्यक्ति करते हैं तो एफ़आईआर दर्ज कर ली जाती है. ये मुसलमानों की धार्मिक अभिव्यक्ति और भावनाओं को दबाने के प्रयास हैं जिन्हें बर्दाश्त नहीं किया जाएगा."
दूसरी ओर लखनऊ के डीसीपी सेंट्रल आशीष श्रीवास्तव ने बीबीसी को बताया, "विधानसभा के क़रीब प्रदर्शन को लेकर कोई एफ़आईआर दर्ज नहीं की गई है. प्रदर्शन के लिए ईको गॉर्डन निर्धारित जगह है. प्रदर्शनकारियों को पकड़कर वहीं छोड़ दिया गया था."
उन्नाव में प्रदर्शन, कई गिरफ़्तारकानपुर में हुई एफ़आईआर के ख़िलाफ़ उन्नाव में भी जुलूस निकाला गया. इसके बाद पुलिस ने मुक़दमा दर्ज किया है और पाँच लोगों को गिरफ़्तार किया है.
इस दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प भी हुई.
सोशल मीडिया पर ऐसे कई वीडियो शेयर किए गए हैं, जिनमें उन्नाव के गंगाघाट थानाक्षेत्र में कई बच्चे और महिलाएँ 'आई लव मोहम्मद' का बैनर लेकर नारेबाज़ी करते दिखी हैं.
उन्नाव के अपर पुलिस अधीक्षक (उत्तरी) अखिलेश सिंह ने एक बयान में कहा, "उन्नाव में धारा 163 लागू है जिसके तहत बिना अनुमति के कोई जुलूस या प्रदर्शन नहीं किया जा सकता है. गंगाघाट इलाक़े में बिना अनुमति के जुलूस निकाला जा रहा था. जब पुलिस वहाँ पहुँची, तो कुछ महिलाओं और बच्चों ने सरकारी कार्य में बाधा डालने का प्रयास किया. इस संबंध में पाँच लोगों को हिरासत में लिया गया और मुक़दमा दर्ज करके गिरफ़्तार किया गया. आठ लोग नामजद हैं. आगे जाँच की जा रही है."
अखिलेश सिंह के मुताबिक़, अब हालात सामान्य हैं और पुलिस बल गश्त कर रहे हैं.
वहीं, यूपी सरकार में मंत्री धर्मपाल सिंह ने एक बयान में कहा, "क़ानून से किसी को खिलवाड़ नहीं करने दिया जाएगा, सूचना मिलने पर कड़ी कार्रवाई की गई है, कई को गिरफ़्तार किया गया है, आगे भी जाँच करके सख़्त कार्रवाई की जाएगी."
काशीपुर में भी हिंसा और एफ़आईआरउत्तराखंड के काशीपुर क़स्बे में भी रविवार शाम स्थानीय मुसलमानों ने 'आई लव मोहम्मद' का बैनर लेकर जुलूस निकाला. इस दौरान पुलिस के साथ झड़प भी हुई.
स्थानीय संवाददाता अबु बकर के मुताबिक़, पुलिस ने घटना के बाद मुक़दमा दर्ज किया और पुलिस बल तैनात किए गए हैं. देर शाम तक कई लोगों को गिरफ़्तार भी किया गया.
स्थानीय पत्रकार अबु बबर के मुताबिक़, काशीपुर के अल्लीखां मोहल्ले में निकाले जा रहे जुलूस के दौरान प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प हुई, जिसमें एक सिपाही को चोट लगी.
काशीपुर में भी लोग हाथों में 'आई लव मोहम्मद' के बैनर और तख़्तियाँ लेकर प्रदर्शन कर रहे थे.
अबू बकर के मुताबिक़, "जुलूस निकाले जाने की जानकारी होने पर जब पुलिस मौक़े पर पहुँची, तो जुलूस में शामिल कुछ युवाओं और पुलिस के बीच टकराव हो गया. पुलिस की गाड़ी के शीशे भी टूट गए."
यहाँ हालात नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल बुलाया गया और लाठीचार्ज कर भीड़ को तितर-बितर किया गया.
ऊधमसिंह नगर के एसएसपी मणिकांत मिश्रा ने कहा, "काशीपुर में बिना अनुमति जुलूस निकाला गया जिसमें क़रीब 400 लोग शामिल थे. भीड़ ने पुलिस के वाहन पर भी हमला किया. नदीम अख़्तर और सात अन्य को गिरफ़्तार किया गया है और 10 अन्य को हिरासत में लिया गया है."
एसएसपी ने कहा, "नदीम से पूछताछ की जा रही है कि इस धार्मिक उन्माद को फैलाने के पीछे और कौन लोग शामिल हैं."
काशीपुर में ज़िला प्रशासन, नगर निगम और बिजली विभाग की टीमों को भी तैनात किया गया है. एसएसपी ने बताया कि ये देखा जा रहा है कि कहीं कोई अवैध गतिविधि तो नहीं चल रही है.
बीबीसी ने स्थानीय नेताओं और प्रदर्शन में शामिल लोगों से बात करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया.
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'आई लव मोहम्मद विवाद' के बाद गुजरात के गोधरा और महाराष्ट्र के मुंबई में भी प्रदर्शन, एफ़आईआर और गिरफ़्तारियां हुई हैं.
बीबीसी के सहयोगी पत्रकार दक्षेश शाह के मुताबिक़ बीते शुक्रवार को गोधरा में एक पुलिस स्टेशन के बाहर प्रदर्शन और तोड़फोड़ के बाद 87 लोगों पर मुक़दमा दर्ज किया गया और 17 लोगों को गिरफ़्तार किया गया.
स्थानीय संवाददाता के मुताबिक़, सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने वाले एक स्थानीय युवक ज़ाकिर जाबा ने 'आई लव मोहम्मद' विवाद को लेकर सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था जिसके बाद उसे पुलिस ने पूछताछ के लिए बुलाया था.
पुलिस के मुताबिक़ युवक को जाने दिया गया था लेकिन उसने थाने से जाने के बाद पुलिस पर उत्पीड़न और दुर्व्यवहार के आरोप लगाते हुए एक और वीडियो शेयर किया, जिससे स्थानीय लोगों का ग़ुस्सा भड़क गया.
पंचमहल ज़िले के पुलिस अधीक्षक डॉ. हरेश दुधात ने कहा, "भीड़ ने चौकी नंबर चार में तोड़फोड़ की, पुलिस को लाठीचार्ज करके स्थिति को संभालना पड़ा."
पुलिस अधीक्षक ने कहा, "ये युवक लगातार सोशल मीडिया पर पोस्ट करता है. नवरात्रि पर्व को ध्यान में रखकर हमने उसे बुलाया था और उससे आपत्तिजनक सामग्री पोस्ट ना करने के लिए कहा था. लेकिन इसकी वजह से ग़लतफ़हमी हुई कि पुलिस ने ज़ाकिर को पीटा है. अब स्थिति नियंत्रण में है."
वहीं, मुंबई के भायखला इलाक़े में भी मुसलमानों के प्रदर्शन के बाद एफ़आईआर हुई है.
स्थानीय संवाददाता अल्पेश करकरे के मुताबिक़, ''मुंबई के भायखला इलाक़े में 21 सितंबर को कुछ महिलाओं और पुरुषों ने रैली निकाली थी. भायखला पुलिस के मुताबिक़ बिना अनुमति रैली निकालने के आरोप में मुक़दमा दर्ज किया गया है और एक व्यक्ति को हिरासत में लिया गया''
वहीं मुस्लिम संगठनों ने आरोप लगाया कि ये एफ़आईआर 'आई लव मोहम्मद' अभियान के संबंध में दर्ज की गई.
इसके विरोध में एआईएमआईएम के कार्यकर्ताओं समेत मुस्लिम संगठनों के लोग भायखला थाने के बाहर इकट्ठा भी हुए थे.
पुलिस ने हिरासत में लिए गए व्यक्ति को नोटिस देकर रिहा कर दिया.
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उत्तर प्रदेश के बहराइच ज़िले की कैसरगंज तहसील में एसडीएम को ज्ञापन देने वाले युवाओं के समूह पर भी मुक़दमा किया गया है.
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष फ़ैज़ुल हसन ने बीबीसी को बताया, "हमने शांतिपूर्ण मार्च किया और 'आई लव मोहम्मद' का बैनर लगाने पर एफ़आईआर का विरोध किया. हमने कोई नारेबाज़ी नहीं की और ना ही कोई क़ानून तोड़ा. बाद में हमें पता चला कि हम पर मुक़दमा दर्ज कर लिया गया है."
फ़ैज़ुल हसन ने अब इस एफ़आईआर को रद्द कराने के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की है.
फ़ैज़ुल कहते हैं, "मुसलमान पैगंबर मोहम्मद से मोहब्बत करते हैं. हमें अपने रसूल से मोहब्बत का इज़हार करने पर निशाना बनाया जा रहा है."
मुसलमानों के ख़िलाफ़ चुन कर कार्रवाई-कार्यकर्तावहीं मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि छोटी-मोटी घटनाओं को बड़ा बनाकर मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है और उनकी धार्मिक भावनाएँ भड़काने के प्रयास किए जा रहे हैं.
'यूनाइटेड अगेंस्ट हेट' से जुड़े नदीम ख़ान ने बीबीसी से कहा, "हमें कई जगहों पर मुसलमानों के ख़िलाफ़ पुलिस कार्रवाई की जानकारी मिली है. कुल कितनी एफ़आईआर हुई हैं या कितने लोगों को गिरफ़्तार किया गया है, ये पुख़्ता जानकारी अभी हम नहीं जुटा सके हैं."
नदीम ख़ान कहते हैं, "कानपुर में जो हुआ है, उससे मुसलमानों में ग़ुस्सा और नाराज़गी है. लेकिन ये ऐसी पहली घटना नहीं है. धीरे-धीरे हालात यहाँ तक पहुँचे हैं. रमज़ान के महीने में मुरादाबाद में घर में नमाज़ पढ़ने को लेकर मुक़दमा किया गया. फिर छत पर नमाज़ पढ़ने से रोका गया. अब पैगंबर के पोस्टर को लेकर मुक़दमा हुआ है. ऐसा लगता है कि मुसलमानों को सेलेक्टिव तरीक़े से निशाना बनाने और उनकी भावनाओं को भड़काने के प्रयास हो रहे हैं."
कानपुर की घटना को लेकर नदीम ख़ान कहते हैं, "आई लव मोहम्मद का बैनर तोड़ा गया, उसे लेकर मुसलमानों ने शिकायत दी, उस पर एफ़आईआर नहीं की गई, उल्टा उनके ख़िलाफ़ ही मुक़दमा कर लिया गया. हमारा प्रतिनिधिमंडल कानपुर पुलिस कमिश्नर से मिल रहा है, अगर बैनर तोड़ने को लेकर एफ़आईआर नहीं हुई तो हम अपने संवैधानिक अधिकारों के तहत अदालत का रुख़ करेंगे और मुक़दमा दर्ज करवाएँगे."
कानपुर पुलिस ने नदीम ख़ान के आरोपों का जवाब नहीं दिया.
क्या 30 करोड़ मुसलमानों पर दर्ज़ होंगे मुक़दमे- इमरान प्रतापगढ़ी
कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी सवाल करते हैं कि अगर पैगंबर मोहम्मद से मोहब्बत ज़ाहिर करने पर मुक़दमे हो रहे हैं, तो क्या भारत के 30 करोड़ मुसलमानों पर मुक़दमे दर्ज किए जाएँगे क्योंकि हर मुसलमान पैगंबर मोहम्मद से अपनी जान से ज़्यादा मोहब्बत करता है.
इमरान प्रतापगढ़ी ये भी कहते हैं कि मुसलमान युवाओं को बिना मंज़ूरी के जुलूस नहीं निकालना चाहिए, ऐसा करके वो क़ानूनी दिक़्क़त में फँस सकते हैं.
इमरान प्रतापगढ़ी कहते हैं, "अगर आप प्रोटेस्ट करना या धरना देना चाहते हैं, तो उसकी अनुमति लें या हर राज्य, ज़िले में शांतिपूर्ण तरीक़े से प्रदर्शन करने के लिए कुछ जगहें होती हैं, जहाँ बैठ कर भी विरोध दर्ज कराया जा सकता है. सोशल मीडिया पर भी विरोध दर्ज करने के तरीक़े हैं."
कई एफ़आईआर होने पर इमरान कहते हैं कि प्रशासन मुसलमानों को निशाना बनाने के लिए आमदा है, इसलिए लोगों को संभलकर अपनी भावनाएँ ज़ाहिर करने की ज़रूरत है.
किसी को माहौल ख़राब नहीं करने देंगे- बीजेपीसरकार और पुलिस पर भेदभाव के आरोपों को ख़ारिज करते हुए उत्तर प्रदेश बीजेपी के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी कहते हैं, "सरकार धर्म देखकर कार्रवाई नहीं करती है, जो क़ानून तोड़ेगा, उस पर कार्रवाई होगी ही."
राकेश त्रिपाठी ये भी कहते हैं कि इस घटना को मुद्दा बनाकर प्रदेश की क़ानून व्यवस्था ख़राब करने और राजनीति करने की कोशिश की जाती है.
बीबीसी से बात करते हुए राकेश त्रिपाठी ने कहा, "किसी को उनकी आस्था के आधार पर टारगेट नहीं किया जा सकता. ना किसी मज़हबी नारे से किसी को कोई आपत्ति है. लेकिन कोई भी ऐसा नारा या स्लोगन अगर कानून के दायरे को पार करेगा, तो निश्चित तौर पर कार्रवाई होगी. कोई भी पोस्टर, बैनर या स्लोगन कहाँ लिखा जाना है, इसके लिए स्थान निर्धारित है. अगर उसका उल्लंघन हो रहा है और बिना अनुमति के लगाया जा रहा है तो कार्रवाई होगी. जानबूझकर एक अभियान बना कर लोगों की भावनाओं को भड़काने का प्रयास किया जा रहा है, जो ठीक नहीं है."
मुसलमानों की प्रतिक्रिया की वजह क्या है?कानपुर के घटनाक्रम के बाद सिर्फ़ यूपी ही नहीं कई और राज्यों में भी प्रदर्शन हुए हैं. उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और गुजरात में भी आई लव मोहम्मद के मुद्दे पर लोगों ने आक्रोश ज़ाहिर किया है.
सोशल मीडिया पर मुसलमान आई लव मोहम्मद की तस्वीरें पोस्ट कर रहे हैं. बड़ी तादाद में लोगों ने इस पोस्टर को प्रोफ़ाइल तस्वीर भी बनाया है.
जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में प्रोफ़ेसर विवेक कुमार कहते हैं, "ये तो नहीं कहा जा सकता कि केंद्रीय स्तर पर किसी नीति के तहत मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है या ऐसा कोई अभियान है लेकिन छोटी-छोटी घटनाएँ और उन पर आ रही प्रतिक्रियाओं से ये अंदाज़ा लगता है कि अल्पसंख्यकों में ये भावना पैदा हो रही है कि उन्हें अलग-थलग किया जा रहा है."
प्रोफ़ेसर विवेक कुमार कहते हैं, "एक समूह को ये अहसास कराया जा रहा है कि वो कमज़ोर या अलग है."
हालाँकि, प्रोफ़ेसर विवेक कुमार ये तर्क भी देते हैं कि ये समझने की ज़रूरत है कि एक समूह एफ़आईआर को इतनी गंभीरता से क्यों ले रहा है. एफ़आईआर हो जाने पर उसे ये क्यों लग रहा है कि उसके संवैधानिक अधिकारों पर हमला हो रहा है.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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