ओडिशा के बालासोर के फकीर मोहन कॉलेज में एक छात्रा के कॉलेज के एक विभाग के विभागाध्यक्ष पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए, आत्महत्या की कोशिश का मामला सामने आया है.
यह घटना शनिवार दोपहर की है. फिलहाल छात्रा का इलाज भुवनेश्वर स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में चल रहा है.
छात्रा के परिवार वालों ने बीबीसी को बताया कि उसकी हालत बेहद गंभीर है.
छात्रा बीएड की स्टूडेंट हैं. उन्होंने विभागाध्यक्ष (एचओडी) पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था और इस घटना की शिकायत कॉलेज प्रशासन से की थी. इस मामले को लेकर उन्होंने कई आला अधिकारियों को टैग करते हुए सोशल मीडिया पोस्ट भी किया था.
इस मामले में अभियुक्त समेत कॉलेज के प्रिंसिपल और एक अन्य व्यक्ति को सस्पेंड कर दिया गया है.
वहीं पुलिस ने अभियुक्त विभागाध्यक्ष को गिरफ़्तार कर लिया है और प्रदेश सरकार ने इस मामले में जांच के आदेश दिए हैं.
बीबीसी ने इस बारे में कॉलेज के निलंबित प्रिंसिपल दिलीप घोष से बात करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने इस पर कुछ भी कहने से मना कर दिया.
इधर रविवार को कांग्रेस और बीजू जनता दल के विधायक और कार्यकर्ताओं ने भुवनेश्वर में प्रदर्शन किया और छात्रा के लिए न्याय की मांग की.
(आत्महत्या एक गंभीर मनोवैज्ञानिक और सामाजिक समस्या है. अगर आप भी तनाव से गुज़र रहे हैं तो भारत सरकार की जीवनसाथी हेल्पलाइन 1800 233 3330 से मदद ले सकते हैं. आपको अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से भी बात करनी चाहिए.)
छात्रा की हालत के बारे में एम्स ने क्या बताया?एम्स के निदेशक आशुतोष बिस्वास ने कहा की छात्रा की हालत बेहत गंभीर है.
उन्होंने कहा, "डॉक्टरों की टीम अपनी पूरी कोशिश कर रही है. मरीज़ को वेंटीलेटर पर रखा गया है. छात्रा की किडनी समेत कुछ इंटरनल पार्ट प्रभावित हुए हैं."
आशुतोष बिस्वास ने बताया कि इस मामले में दिल्ली एम्स के डाक्टरों से भी कंसल्ट किया जा रहा है.
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ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने रविवार को भुवनेश्वर एम्स पहुंचकर छात्रा के बारे में डाक्टरों से बात की.
घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि मामले को गंभीरता से लिया जा रहा है.
उन्होंने कहा, "किस स्थिति में यह घटना घटी उसकी जांच चल रही है. सरकार मामले में कड़ी कार्रवाई करेगी और आगे किसी कॉलेज या विश्वविद्यालय में इस तरह की कोई घटना न घटे इस पर ध्यान दिया जाएगा."
उन्होंने कहा कि उन्होंने छात्रा के परिवार के साथ-साथ उसका इलाज कर रही डॉक्टरों की टीम से भी मुलाक़ात की है.
उन्होंने कहा, "अगले 24 घंटे बहुत नाजु़क हैं, ज़रूरत पड़ी तो छात्रा को इलाज के लिए एयर लिफ्ट कर दिल्ली ले जाया जाएगा."
उधर, ओडिशा के उच्च शिक्षा मंत्री सूर्यवंशी सूरज ने कहा, "अभियुक्त अध्यापक और प्रिंसिपल दिलीप घोष को फिलहाल सस्पेंड कर दिया गया है. घटना की उच्च स्तरीय जांच करने के भी निर्देश दिए गए हैं."
उन्होंने कहा, "छात्रा की शिकायत के बाद कॉलेज अध्यक्ष ने सरकार को क्यों सूचित नहीं किया, यह भी एक सवाल है. इसे ध्यान में रखते हुए अध्यक्ष को भी सस्पेंड कर दिया गया है."
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छात्रा के साथ पढ़ने वाली एक लड़की ने बीबीसी को बताया कि छात्रा कई दिनों से टीचर के व्यवहार को लेकर परेशान थीं और सदमे में थीं.
उन्होंने बताया, "छात्रा ने अध्यापक के ख़िलाफ़ अनुचित व्यवहार का आरोप लगाते हुए कॉलेज अध्यक्ष के पास शिकायत दर्ज कराई थी. इसके बाद इस मामले में एक जांच कमेटी का गठन किया गया."
छात्रा के दादा जीतेंद्र दास ने बीबीसी को बताया, "इस जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में अध्यापक के ख़िलाफ़ यौन शोषण का ज़िक्र नहीं किया, बल्कि मामले को दबाने के लिए दबाव डाला गया."
जीतेंद्र दास का कहना है कि स्टूडेंट ने इस घटना की जानकारी परिवार के सदस्यों को भी दी थी.
उन्होंने बताया, "मानसिक तौर पर भी उसका उत्पीड़न किया जा रहा था. उसे कुछ पेपर में फेल करवाया गया और कम उपस्थिति दिखाकर परीक्षा में बैठने नहीं दिया गया."
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पुलिस का कहना है कि वो इस मामले की जांच कर रही है और इसके लिए विशेष टीम का गठन किया गया है.
बालासोर एसपी राज प्रसाद ने बताया, "इस घटना की हर एंगल से जांच की जाएगी. फ़ोरेंसिक टीम भी जांच में शामिल है. डीएसपी स्तर के एक अधिकारी को जांच की ज़िम्मेदारी दी गई है."
उन्होंने कहा, "छात्रा ने पहले कॉलेज की इंटरनल कंप्लेंट कमेटी में शिकायत की थी. हम यह भी देखेंगे कि कमिटी ने क्या जांच की है और उन्होंने इस बारे में प्रिंसिपल को क्या रिपोर्ट दी है. घटना के बाद तुरंत अभियुक्त अध्यापक को गिरफ़्तार कर लिया गया है."
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ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने इस मामले में प्रदेश के गवर्नर से हस्तक्षेप की गुज़ारिश की है.
सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में उन्होंने लिखा, "ओडिशा की एक प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी में एक युवा छात्रा को आत्महत्या जैसा कदम उठाने को बाध्य होना पड़ा, ये अपने आप में चौंकाने वाला और बेहद परेशान करने वाला है. मैं ईश्वर से उनके जल्द ठीक होने की प्रार्थना करता हूं."
नवीन पटनायक ने लिखा, "छात्रा का कथित तौर पर यौन उत्पीड़न किया गया, टीचर की तरफ़ से उनसे बार-बार सेक्सुअल फ़ेवर की मांग की गई. प्रिंसपल को लिखे एक पत्र में छात्रा ने कहा था कि उन्होंने पहले आत्महत्या की कोशिश की है लेकिन उन्हें बचा लिया गया था."
"कई महीनों तक वो डर में और पीड़ा में रहीं, फिर एक जुलाई को उन्होंने परेशान होकर मदद की गुहार लगाई और सोशल मीडिया पर कई बड़े अधिकारियों को टैग करते हुए अपनी परेशानी बताई. लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई."
पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने लिखा, "दुख की बात है कि उन्होंने अपने दुख को ख़त्म करने की एक आख़िरी कोशिश की और प्रिसिंपल के कमरे के बाहर ही आत्महत्या की कोशिश की. ये घटना इस सच्चाई को सामने लाती है कि उन्हें न्याय नहीं मिला. उन्होंने कॉलेज प्रिंसिपल से लेकर उच्च शिक्षा मंत्री और केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री से बार-बार गुहार लगाई."
उन्होंने प्रदेश के गवर्नर हरि बाबू कंभमपति और मुख्यमंत्री कार्यालय को अपने पोस्ट में टैग किया और लिखा, "उच्च शिक्षा के फ्रेमवर्क में गवर्नर सरकारी यूनिवर्सिटीज़ के चांसलर होते हैं, वो एफ़एम कॉलेज के भी चांसलर हैं. मैं गवर्नर से अपील करता हूं कि वो इस मामले में संज्ञान लें और हस्तक्षेप करें ताकि छात्र को न्याय मिल सके."

बीजू जनता दल के नेता और बालासोर ज़िले के भोगराई के विधायक गौतमबुद्ध दास ने बीबीसी से बातचीत में कहा कि पिछले छह महीने से छात्रा को परेशान किया जा रहा था. उनका यौन उत्पीड़न किया गया था और उनकी शिकायत को भी गंभीरता से नहीं लिया गया.
उन्होंने कहा, "कॉलेज की जांच कमेटी ने अभियुक्त अध्यापक के ख़िलाफ़ न बोलने और समझौता करने के लिए छात्रा पर दबाव डाला था, जिसके कारण यह घटना घटी है. भाजपा सरकार के लिए यह शर्म की बात है."
वहीं बारबाटी-कटक से कांग्रेस विधायक सोफ़िया फ़िरदौस ने महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराधों पर ओडिशा सरकार की आलोचना की है.
घटना के बाद सोफिया ने कहा, "सरकार की नींद कब टूटेगी? उन्होंने कहा कि एक तारीख से खुद छात्रा ने सोशल मीडिया एक्स पर इस बारे में जानकारी दी थी. लेकिन मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई. छात्रा पर दबाव डाला गया जिसके कारण उन्होंने बाध्य होकर अपनी जान देने की कोशिश की."
उन्होंने कहा, "दुर्भाग्य से वह एबीवीपी की सदस्य भी हैं और ये साफ़ दिखाता है कि जब पार्टी की महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं, नेता भी उनको नहीं बचा पा रहे हैं तो प्रदेश में महिलाओं की क्या स्थिति है."
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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