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शेफ़ाली जरीवाला की मौत के बाद से चर्चा में आया एंटी एजिंग ट्रीटमेंट क्या है?

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shefalijariwala/Insta बीती 27 जून को अभिनेत्री शेफ़ाली जरीवाला का निधन हुआ था

महज़ 42 साल की उम्र में अभिनेत्री शेफ़ाली जरीवाला की अचानक मौत की वजह का अब तक पता नहीं चल सका है.

उनकी मौत की जांच में जुटे कुछ पुलिस अधिकारियों ने ये कहा है कि शेफ़ाली एंटी-एजिंग टैबलेट्स समेत कई दवाइयां ले रही थीं. संभवतः ये दवाइयां ख़ाली पेट लेने की वजह से उनका ब्लड प्रेशर अचानक गिर गया.

समाचार एजेंसी पीटीआई ने एक पुलिस अधिकारी के हवाले से ये बताया कि 27 जून की दोपहर शेफ़ाली ने एक इंजेक्शन लिया था, जो संभवतः एंटी-एजिंग इंजेक्शन था.

पुलिस अधिकारी ने कहा, "उनका ब्लड प्रेशर तेज़ी से गिरा और उन्हें ठिठुरन होने लगी. इसके बाद परिवार वाले उन्हें अस्पताल लेकर गए."

शेफ़ाली जरीवाला को 27 जून की रात अंधेरी के बेलेव्यू मल्टीस्पेशिएलिटी अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था. पुलिस को देर रात एक बजे इसकी सूचना दी गई और फिर उनके शव को पोस्टमॉर्टम के लिए कूपर अस्पताल भेजा गया.

पुलिस के मुताबिक़, "अंबोली पुलिस ने अब तक 10 लोगों के बयान दर्ज किए हैं, इनमें शेफ़ाली के पति और माता-पिता के साथ ही घर में काम कर रहे सहायक भी शामिल हैं. ये सभी उस वक़्त घर पर ही थे. हालांकि, अभी तक कुछ संदिग्ध नहीं पता लगा है. जांच के तहत एक पुलिस टीम फ़ॉरेंसिंक एक्सपर्ट्स के साथ उनके घर गई और कई चीज़ों से सैंपल इकट्ठे किए हैं. इसमें शेफ़ाली की दवाइयां और इंजेक्शन भी शामिल हैं."

शेफ़ाली जरीवाला की मौत के बाद ये बहस तेज़ हो गई है कि उम्र संबंधी शारीरिक बदलावों को रोकने वाले यानी एंटी एजिंग ट्रीटमेंट के साथ कौन-कौन से ख़तरे जुड़े होते हैं.

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मशहूर अभिनेत्रियों ने क्या कहा? image Getty Images मल्लिका शेरावत ने अपने प्रशंसकों को बोटॉक्स फ़्री रहने की सलाह दी है

शेफ़ाली जरीवाला की मौत के बाद अभिनेत्री मल्लिका शेरावत ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर किया और अपने फ़ैन्स को एक 'हेल्दी लाइफ़स्टाइल' अपनाने की हिदायत दी.

उन्होंने कहा, "मैंने कोई फ़िल्टर इस्तेमाल नहीं किया है, कोई मेकअप नहीं किया है. यहां तक कि बाल भी नहीं बनाए हैं. मैं आप सबके साथ ये वीडियो शेयर कर रही हूं ताकि हम सभी एक साथ बोटॉक्स, आर्टिफ़िशियल कॉस्मेटिक फ़िलर्स को ना और एक हेल्दी लाइफ़स्टाइल को हां कह सकें."

वहीं, एक इंटरव्यू में अभिनेत्री करीना कपूर ने भी ये कहा कि 'मैं बोटॉक्स के ख़िलाफ़ हूं.'

हालांकि, वह सिर्फ़ बढ़ती उम्र के साथ अभिनेत्रियों के लिए बढ़ती चुनौतियों पर चर्चा कर रही थीं और उनसे पूछा गया कि वो भी क्या झुर्रियों से, उम्र बढ़ने से घबराती हैं.

इस पर , "मैं बोटॉक्स के ख़िलाफ़ हूं, हां मैं ख़ुद का ध्यान रखने की हिमायती हूं, जिसका मतलब है स्वस्थ रहना, अच्छा महसूस करना और नेचुरल थैरेपी. ये ख़ुद को और अपने टैलेंट को सहेजने के बारे में भी है क्योंकि यही मेरा हथियार है. इसका मतलब है कि आप छुट्टियां लें, परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताएं, जो सेट पर करते हैं उससे कुछ अलग चीज़ें करें. न कि सूइयों और सर्जरी में उलझें. "

हालांकि, इन दोनों ही अभिनेत्रियों ने अपने बयान में शेफ़ाली जरीवाला का ज़िक्र नहीं किया है लेकिन उनकी मौत के बाद आए इन दोनों अभिनेत्रियों के बयान को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है.

image BBC क्या होता है एंटी एजिंग ट्रीटमेंट? image Getty Images एंटी एजिंग के लिए ग्लूटाथियोन इंजेक्शन का भी इस्तेमाल किया जाता है (सांकेतिक तस्वीर)

जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, उसके साथ ही चेहरे पर महीन रेखाएं, झुर्रियां भी दिखने लगती हैं, चेहरे की स्किन भी धीरे-धीरे लटकने लगती है. मगर इसे रोकने के लिए आजकल कॉस्मेटिक सर्जरी, इंजेक्टेबल फ़िलर्स, बोटॉक्स वग़ैराह का चलन बढ़ा है.

एंटी एजिंग ट्रीटमेंट... कुछ दवाओं या दवा और ऐसे कंपाउंड्स के कॉम्बिनेशन से होता है जो बढ़ती उम्र के असर को धीमा करने में मदद करते हैं.

इन सबमें ज़्यादा प्रचलित है जो एक ऐसा पावरफुल इंजेक्शन है, जो कि हमारी मांसपेशियों को बहुत ही छोटे हिस्से में रिलैक्स करता है. माथे की लकीरें या आंखों के पास दिखने वाली रेखाएं, नाक के आसपास दिखने वाली रेखाओं को कम करने के लिए बोटॉक्स का इस्तेमाल किया जा सकता है.

20 साल से भी अधिक समय पहले फ़ूड एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन (एफ़डीए) ने कॉस्मेटिक प्रक्रियाओं में इसके इस्तेमाल की मंज़ूरी दे दी थी.

द एस्थेटिक क्लिनिक्स के सीनियर कॉस्मेटिक सर्जन डॉक्टर देबराज शोम ने हिंदी न्यूज़ वेबसाइट द लल्लनटॉप से बातचीत में बताया था कि होते हैं जो स्किन के अंदर दिए जाते हैं. ये उसी पदार्थ से बनते हैं, जिससे हमारी त्वचा की कोशिकाएं बनी होती हैं.

उन्होंने बताया कि स्किन में उम्र के साथ कोलेजन कम होने लगता है, मगर फ़िलर्स की मदद से कोलेजन वापस डाला जाता है और चेहरा जवान लगने लगता है.

वहीं एंटी एजिंग के लिए कई लोग ग्लूटाथियोन इंजेक्शन का भी इस्तेमाल करते हैं. ये एक एंटीऑक्सीडेंट है, जो हमारे शरीर की कोशिकाओं को होने वाले डैमेज को रोकने में काम आते हैं. ग्लूटाथियोन अक्सर इंट्रावेनस इंजेक्शन और टैबलेट्स के ज़रिए लिया जाता है.

कैलाश अस्पताल के डर्मटोलॉजी विभाग की सीनियर कंसलटेंट डॉक्टर अंजू झा बताती हैं, "ग्लूटाथियोन हमारे शरीर में पहले से ही मौजूद होता है. लेकिन उम्र के साथ-साथ शरीर ग्लूटाथियोन बनाना कम कर देता है. इसलिए इसे बाहर से लिया जाता है. ऐसा भी माना जाता है कि ग्लूटाथियोन लेने वाले लोगों की त्वचा के रंग में थोड़ा निखार आता है. अगर इंट्रावेनस ग्लूटाथियोन लिया जाए तो उसके नतीजे और बेहतर माने जाते हैं. मगर इसके साइड इफ़ेक्ट्स भी हैं. ये एफ़डीए अप्रूव्ड नहीं है."

कितना सुरक्षित है ये ट्रीटमेंट? image Getty Images

क्या ये फ़िलर्स या ग्लूटाथियोन इंजेक्शन इतने ख़तरनाक हो सकते हैं कि इससे किसी की जान चली जाए?

द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में डर्मटोलॉजी विभाग के चेयरमैन डॉक्टर ऋषि पराशर कहते हैं, "इक्का-दुक्का अपवादों को छोड़ दें तो इस तरह के इंजेक्शन अभी तक सुरक्षित साबित हुए हैं. लेकिन सबसे ज़रूरी चीज़ जो है, वो ये कि इन्हें किसी रजिस्टर्ड डर्मटोलॉजिस्ट की निगरानी में ही लिया जाए."

इसी ख़बर में ये भी बताया गया है कि बोटॉक्स के जोखिमों पर अप्रैल 2024 में तब चर्चा तेज़ हुई जब यूएस सेंटर फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) ने एक चेतावनी जारी करते हुए ये कहा कि 25 से 59 साल की 22 महिलाओं में बोटॉक्स के हानिकारक रिएक्शंस देखे गए हैं. इनमें से 11 को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा और छह लोगों में ऐसी स्थिति पाई गई, जहां बोटॉक्स के ज़रिए दिए गए टॉक्सिन्स फैलकर नर्वस सिस्टम तक पहुंच गए. ये एक ऐसी स्थिति है, जिसमें मौत भी हो सकती है.

इस पर डॉक्टर पराशर ने कहा, "ये साबित हो चुका है कि इन सभी महिलाओं ने बिना लाइसेंस वाले या अप्रशिक्षित लोगों से ऐसी जगह इंजेक्शन लिए, जो हेल्थकेयर सेंटर भी नहीं थे."

इन दवाओं से होने वाले जोखिम पर डॉक्टर अंजू झा कहती हैं, "एफ़डीए ने ग्लूटाथियोन को इसलिए अप्रूव नहीं किया क्योंकि देखा गया कि इसके कुछ साइड इफ़ेक्ट्स हैं. इससे कुछ मरीज़ों को एनाफाईलैक्सिस हो सकता है, इंजेक्टेबल दवाओं से स्टीवन जॉनसन जैसी बीमारियां हो सकती हैं. ये दवाओं के रिएक्शन से पैदा होने वाली स्थितियां हैं, जिसमें मौत की भी आशंका है. हालांकि, ये बहुत दुर्लभ है."

वह कहती हैं कि जो लोग स्किन लाइटनिंग या त्वचा को गोरा करने के लिए इन दवाओं का इस्तेमाल करते हैं, उन पर इसका असर तब तक ही होता है जब तक वो इसे ले रहे हैं. इसका असर, हमेशा नहीं रहता.

डॉक्टर अंजू कहती हैं, "ये बहुत ज़रूरी है कि आप दवाएं कितनी ले रहे हैं, आपको ये लेनी चाहिए या नहीं. कहीं आपको पहले से कोई दिक्कत तो नहीं, जो इन दवाओं से और बढ़े. इन सबके लिए अच्छे डर्मटोलॉजिस्ट की सलाह चाहिए."

"इससे (दवाओं से) हार्ट अटैक नहीं हो सकता है. मगर कई बार डोज़ ज़्यादा लेने से ये लिवर, किडनी पर असर डाल सकती हैं. इस तरह के परोक्ष असर हैं. इसलिए ज़रूरी है कि ये ट्रीटमेंट कोई एक्सपर्ट करे, जिन्हें ये पता हो कि कौन से मसल्स में इंजेक्ट करना है और कितना करना है. ये खुद से न करें, किसी पार्लर में न कराएं, बल्कि किसी ऐसे डॉक्टर से भी न कराएं, जिन्हें जानकारी न हो."

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

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