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भानु सप्तमी 2025 में सूर्य देव को प्रसन्न करने का श्रेष्ठ अवसर करियर में मिलेगी तरक्की

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वैदिक पंचांग के अनुसार, हर माह कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को भानु सप्तमी का पर्व मनाया जाता है। यह दिन सूर्य देव की उपासना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस वर्ष वैशाख मास की भानु सप्तमी 20 अप्रैल 2025 को मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन विधिपूर्वक सूर्य देव की पूजा करने से न केवल जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ती है, बल्कि कार्यक्षेत्र में सफलता और मान-सम्मान भी प्राप्त होता है।

भानु सप्तमी पर सूर्य पूजा का महत्व

इस दिन प्रातः काल उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देना और विशेष मंत्रों एवं स्तोत्रों का पाठ करना अत्यंत फलदायी होता है। खासतौर पर सूर्य कवच और सूर्य अष्टक स्तोत्र का पाठ करने से साधक को मानसिक शांति, स्वास्थ्य लाभ, और जीवन में उन्नति के अवसर प्राप्त होते हैं। यह दिन आत्मिक शुद्धि और ऊर्जा के संचार के लिए उत्तम माना जाता है।

भानु सप्तमी के दिन करें इन वस्तुओं का दान

पूजा के पश्चात कुछ विशेष वस्तुओं का दान करना अत्यंत शुभ फल देने वाला माना गया है। इनमें गुड़, चावल, गेहूं, तांबा, लाल वस्त्र और दूध का दान प्रमुख रूप से शामिल है। मान्यता है कि इन वस्तुओं का दान करने से सूर्य देव की कृपा बनी रहती है और जीवन में रुके हुए कार्य धीरे-धीरे पूर्ण होने लगते हैं।

सूर्य कवच स्तोत्र

सूर्य कवच का पाठ करने से शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है और साधक दीर्घायु एवं सौभाग्यशाली होता है। इस कवच की रचना महर्षि याज्ञवल्क्य ने की थी, और इसे विशेष रूप से भानु सप्तमी जैसे पावन अवसर पर पढ़ने की परंपरा रही है।

सूर्य अष्टक स्तोत्र

सूर्य अष्टक स्तोत्र में सूर्य देव के दिव्य स्वरूप, उनके तेज, और उनके द्वारा विश्व को प्रदान किए गए प्रकाश और ऊर्जा का गुणगान किया गया है। इस स्तोत्र के माध्यम से साधक अपने भीतर की नकारात्मकता को दूर कर, सकारात्मक ऊर्जा और आत्मबल की प्राप्ति करता है।

पाठ का महत्व

सूर्य कवच और सूर्य अष्टक का पाठ नियमित रूप से अथवा विशेष पर्वों जैसे भानु सप्तमी पर करने से शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभ मिलते हैं। यह साधना करियर में सफलता, आर्थिक स्थिरता और पारिवारिक सुख में वृद्धि करती है।

भानु सप्तमी 2025 सूर्य उपासना का एक अत्यंत प्रभावशाली दिन है। इस दिन प्रातः काल सूर्योदय से पूर्व स्नान कर, स्वच्छ वस्त्र धारण कर विधिपूर्वक सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करें। तत्पश्चात सूर्य कवच और सूर्य अष्टक का पाठ करें तथा यथासंभव दान करें। इससे जीवन में उन्नति, संतुलन और शांति का संचार होता है और साधक को सूर्य देव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

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