सितंबर महीने में इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में निवेश थोड़ा कम हो गया है। अगस्त के मुकाबले इस बार निवेश में 9% की गिरावट देखी गई है, जो कुल मिलाकर 30,422 करोड़ रुपए रहा। हालांकि, मिडकैप और स्मॉलकैप फंड्स में निवेशकों की अच्छी दिलचस्पी बनी हुई है। वहीं, कुछ फंड्स जैसे डिविडेंड यील्ड और ELSS में निवेश कम हुआ है। सितंबर में मिडकैप फंड्स में सबसे ज्यादा निवेश आया, जो 5,085 करोड़ रुपए था। जबकि स्मॉलकैप फंड्स में 4,362 करोड़ रुपए का निवेश हुआ।
सेक्टरल और थीमैटिक फंड्स में निवेश बहुत कम हुआ। इन फंड्स में कुल 1,220 करोड़ रुपए का ही पैसा आया। वहीं, ELSS (इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम) और डिविडेंड यील्ड फंड्स से पैसा बाहर गया। ELSS फंड्स से 307 करोड़ रुपए और डिविडेंड यील्ड फंड्स से 167 करोड़ रुपए की निकासी हुई। महीने के हिसाब से देखें तो मल्टीकैप, लार्ज एंड मिडकैप, वैल्यू/कॉन्ट्रा और फोकस्ड फंड्स में निवेश बढ़ा है। मल्टीकैप फंड्स में निवेश में भी 11% की बढ़ोतरी हुई है, जबकि लार्ज और मिडकैप फंड्स में यह बढ़ोतरी 14% रही। वैल्यू/कॉन्ट्रा फंड्स में निवेश 85% तक बढ़ गया। फोकस्ड फंड्स में भी 22% का निवेश बढ़ा। इसका मतलब है कि निवेशकों ने इन फंड्स में ज्यादा भरोसा दिखाया है।
जबकि, सेक्टरल और थीमैटिक फंड्स में निवेश घटा है। इसमें निवेश लगभग 69% कम हो गया, यानी निवेशकों ने इन फंड्स में कम पैसा लगाया। दूसरी ओर डेट म्यूचुअल फंड्स से भारी निकासी हुई है। सितंबर महीने में डेट फंड्स से कुल 1.01 लाख करोड़ रुपए बाहर गया, जो कि पिछले महीने अगस्त में 7,979 करोड़ रुपए की निकासी के मुकाबले काफी ज्यादा है। इसका मतलब यह है कि निवेशक डेट फंड्स से अपना पैसा निकाल रहे हैं।
16 में से सिर्फ कुछ ही डेट फंड कैटेगरीज में आया निवेश
सितंबर महीने में डेट म्यूचुअल फंड्स की कुल 16 कैटेगरीज में से सिर्फ 4 कैटेगरीज में ही निवेशकों ने पैसा लगाया। इनमें ओवरनाइट फंड्स, मीडियम-टू-लॉन्ग ड्यूरेशन फंड्स, लॉन्ग ड्यूरेशन फंड्स और डायनामिक बॉन्ड फंड्स शामिल हैं। इन सभी में सबसे ज्यादा निवेश ओवरनाइट फंड्स में हुआ, जिसमें 4,279 करोड़ रुपए का इनफ्लो आया। इसके बाद डायनामिक बॉन्ड फंड्स में 519 करोड़ रुपए का निवेश देखने को मिला। यह दिखाता है कि निवेशकों ने कम जोखिम वाले और लिक्विड ऑप्शंस को चुना।
लिक्विड फंड्स से भारी निकासी
लिक्विड फंड्स से सितंबर में सबसे ज्यादा पैसा बाहर निकाला गया। कुल 66,042 करोड़ रुपए की निकासी हुई, जो कि किसी भी फंड कैटेगरी में सबसे ज्यादा है। इससे पता चलता है कि निवेशकों ने लिक्विडिटी की जरूरत के चलते पैसे निकाल लिए।
हाइब्रिड फंड्स में निवेश घटा
हाइब्रिड म्यूचुअल फंड्स में भी सितंबर में निवेश की रफ्तार धीमी रही। अगस्त में जहां इन फंड्स में 15,293 करोड़ रुपए का निवेश हुआ था। वहीं सितंबर में यह घटकर 9,397 करोड़ रुपए रह गया। यानी इसमें करीब 39% की गिरावट दर्ज की गई। इस कैटेगरी से छह में से दो फंड्स - कंजर्वेटिव हाइब्रिड फंड्स और आर्बिट्राज फंड्स से पैसा निकाला गया। यानी निवेशकों ने इनमें अपनी होल्डिंग्स कम की हैं। बाकी हाइब्रिड फंड्स में निवेश बरकरार रहा, लेकिन उतनी मजबूती नहीं दिखी।
ओपन-एंडेड फंड्स से भारी निकासी
सितंबर 2025 में ओपन-एंडेड म्यूचुअल फंड्स से बड़ी मात्रा में पैसा निकाला गया। जहां अगस्त में इन फंड्स में 52,501 करोड़ रुपए का निवेश हुआ था। वहीं सितंबर में इसका उल्टा हो गया और ₹42,815 करोड़ की निकासी हुई। यानी निवेशकों ने काफी संख्या में अपने पैसे वापस निकाल लिए।
म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री का कुल AUM थोड़ा बढ़ा
भले ही कुछ कैटेगरीज में पैसे निकाले गए हों, लेकिन कुल म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री का एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) सितंबर में थोड़ा बढ़ा है। अगस्त में जहां AUM 74.93 लाख करोड़ रुपए था, वहीं सितंबर में यह बढ़कर 75.35 लाख करोड़ रुपए हो गया। यानी महीने-दर-महीने करीब 0.57% की मामूली बढ़त दर्ज की गई।
सितंबर में लॉन्च हुए 9 नई फंड्स
सितंबर के महीने में ओपन-एंडेड कैटेगरीज के तहत कुल 9 नई म्यूचुअल फंड्स लॉन्च हुए। इन फंड्स के जरिए कुल 1,959 करोड़ रुपए जुटाए गए।
सेक्टरल और थीमैटिक फंड्स में निवेश बहुत कम हुआ। इन फंड्स में कुल 1,220 करोड़ रुपए का ही पैसा आया। वहीं, ELSS (इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम) और डिविडेंड यील्ड फंड्स से पैसा बाहर गया। ELSS फंड्स से 307 करोड़ रुपए और डिविडेंड यील्ड फंड्स से 167 करोड़ रुपए की निकासी हुई। महीने के हिसाब से देखें तो मल्टीकैप, लार्ज एंड मिडकैप, वैल्यू/कॉन्ट्रा और फोकस्ड फंड्स में निवेश बढ़ा है। मल्टीकैप फंड्स में निवेश में भी 11% की बढ़ोतरी हुई है, जबकि लार्ज और मिडकैप फंड्स में यह बढ़ोतरी 14% रही। वैल्यू/कॉन्ट्रा फंड्स में निवेश 85% तक बढ़ गया। फोकस्ड फंड्स में भी 22% का निवेश बढ़ा। इसका मतलब है कि निवेशकों ने इन फंड्स में ज्यादा भरोसा दिखाया है।
जबकि, सेक्टरल और थीमैटिक फंड्स में निवेश घटा है। इसमें निवेश लगभग 69% कम हो गया, यानी निवेशकों ने इन फंड्स में कम पैसा लगाया। दूसरी ओर डेट म्यूचुअल फंड्स से भारी निकासी हुई है। सितंबर महीने में डेट फंड्स से कुल 1.01 लाख करोड़ रुपए बाहर गया, जो कि पिछले महीने अगस्त में 7,979 करोड़ रुपए की निकासी के मुकाबले काफी ज्यादा है। इसका मतलब यह है कि निवेशक डेट फंड्स से अपना पैसा निकाल रहे हैं।
16 में से सिर्फ कुछ ही डेट फंड कैटेगरीज में आया निवेश
सितंबर महीने में डेट म्यूचुअल फंड्स की कुल 16 कैटेगरीज में से सिर्फ 4 कैटेगरीज में ही निवेशकों ने पैसा लगाया। इनमें ओवरनाइट फंड्स, मीडियम-टू-लॉन्ग ड्यूरेशन फंड्स, लॉन्ग ड्यूरेशन फंड्स और डायनामिक बॉन्ड फंड्स शामिल हैं। इन सभी में सबसे ज्यादा निवेश ओवरनाइट फंड्स में हुआ, जिसमें 4,279 करोड़ रुपए का इनफ्लो आया। इसके बाद डायनामिक बॉन्ड फंड्स में 519 करोड़ रुपए का निवेश देखने को मिला। यह दिखाता है कि निवेशकों ने कम जोखिम वाले और लिक्विड ऑप्शंस को चुना।
लिक्विड फंड्स से भारी निकासी
लिक्विड फंड्स से सितंबर में सबसे ज्यादा पैसा बाहर निकाला गया। कुल 66,042 करोड़ रुपए की निकासी हुई, जो कि किसी भी फंड कैटेगरी में सबसे ज्यादा है। इससे पता चलता है कि निवेशकों ने लिक्विडिटी की जरूरत के चलते पैसे निकाल लिए।
हाइब्रिड फंड्स में निवेश घटा
हाइब्रिड म्यूचुअल फंड्स में भी सितंबर में निवेश की रफ्तार धीमी रही। अगस्त में जहां इन फंड्स में 15,293 करोड़ रुपए का निवेश हुआ था। वहीं सितंबर में यह घटकर 9,397 करोड़ रुपए रह गया। यानी इसमें करीब 39% की गिरावट दर्ज की गई। इस कैटेगरी से छह में से दो फंड्स - कंजर्वेटिव हाइब्रिड फंड्स और आर्बिट्राज फंड्स से पैसा निकाला गया। यानी निवेशकों ने इनमें अपनी होल्डिंग्स कम की हैं। बाकी हाइब्रिड फंड्स में निवेश बरकरार रहा, लेकिन उतनी मजबूती नहीं दिखी।
ओपन-एंडेड फंड्स से भारी निकासी
सितंबर 2025 में ओपन-एंडेड म्यूचुअल फंड्स से बड़ी मात्रा में पैसा निकाला गया। जहां अगस्त में इन फंड्स में 52,501 करोड़ रुपए का निवेश हुआ था। वहीं सितंबर में इसका उल्टा हो गया और ₹42,815 करोड़ की निकासी हुई। यानी निवेशकों ने काफी संख्या में अपने पैसे वापस निकाल लिए।
म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री का कुल AUM थोड़ा बढ़ा
भले ही कुछ कैटेगरीज में पैसे निकाले गए हों, लेकिन कुल म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री का एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) सितंबर में थोड़ा बढ़ा है। अगस्त में जहां AUM 74.93 लाख करोड़ रुपए था, वहीं सितंबर में यह बढ़कर 75.35 लाख करोड़ रुपए हो गया। यानी महीने-दर-महीने करीब 0.57% की मामूली बढ़त दर्ज की गई।
सितंबर में लॉन्च हुए 9 नई फंड्स
सितंबर के महीने में ओपन-एंडेड कैटेगरीज के तहत कुल 9 नई म्यूचुअल फंड्स लॉन्च हुए। इन फंड्स के जरिए कुल 1,959 करोड़ रुपए जुटाए गए।
You may also like
दिव्यांगजन स्वयं को कम न आंके, परमात्मा ने आपको दी हैं विशिष्ट शक्तियां: मुख्यमंत्री डॉ. यादव
सिंगापुर ने वाटर पोलो के 5-8 क्लासिफिकेशन मैच में भारत की 27-7 को हराया
नायडू ने एयरलाइनों से त्योहारी सीजन में उचित किराया सुनिश्चित करने को कहा
राष्ट्रीय स्तर पर दो नवाचार पुरस्कारों से सम्मानित हुए डीसी
जीतू के तीरंदाजी टीम में चयन पर सुदेश ने किया सम्मानित