HDFC बैंक की दुबई ब्रांच DIFC को वहां की फाइनेंशियल सर्विसेज अथॉरिटी (DFSA) ने नए ग्राहकों को ऑनबोर्ड करने और उन्हें सर्विस देने से रोक दिया है। इसके बाद अब DIFC यानी दुबई इंटरनेशनल फाइनेंशियल सेंटर नई एडवाइज, क्रेडिट अरेंजमेंट या फाइनेंशियल प्रमोशन्स नहीं कर सकेगी। यह कदम बैंक के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।
हालांकि, जो ग्राहक पहले से बैंक से जुड़े हैं या जिनसे बात चल रही थी, उनपर इसका कोई असर नहीं होगा। यह रोक तब तक लगी रहेगी जब तक DFSA इसे हटाने या बदलने का फैसला नहीं करता है।
ग्राहकों को दी जाने वाली सर्विस पर भी उठे सवाल
अथॉरिटी ने इस DIFC पर कुछ सवाल उठाए हैं कि उन्होंने उन ग्राहकों को भी सेवाएं दीं, जिन्हें पूरी तरह से बैंक के सिस्टम में शामिल नहीं किया गया था। इसके साथ ही, DIFC की ग्राहकों को जोड़ने की प्रोसेस में भी कुछ दिक्कतें पाई गई हैं। HDFC बैंक ने बताया कि इस ब्रांच का उनके पूरे कारोबार पर बहुत बड़ा असर नहीं है। 23 सितंबर तक इस ब्रांच के पास कुल 1,489 ग्राहक थे, जिसमें ज्वाइंट अकाउंट भी शामिल हैं। बैंक ने कहा है कि उन्होंने अथॉरिटी के निर्देशों का पालन करना शुरू कर दिया है और DFSA के साथ पूरी मदद कर रहे हैं ताकि जल्दी से जल्दी सारी समस्याएं ठीक की जा सकें।
दो साल पुराने एक विवाद से जुड़ा है यह मामला
यह मामला दो साल पुराने एक विवाद से जुड़ा है। उस विवाद में क्रेडिट सुइस बैंक पर आरोप लगे थे कि उसने अपने हाई-रिस्क वाले अतिरिक्त टियर-1 (AT1) बॉन्ड्स गलत तरीके से बेचें। निवेशकों का कहना था कि बैंक ने ये बॉन्ड्स अपनी UAE की ब्रांचेज के जरिए बेचे थे। इसमें DIFC के अधिकारी सलाह देते थे, दुबई ऑफिस के कर्मचारी ग्राहकों के संबंध संभालते थे और बहराइन ब्रांच में अकाउंट बनाए जाते थे। 2023 में क्रेडिट सुइस बैंक डूब गया। इस दौरान, उसके AT1 बॉन्ड्स की कीमतें बहुत कम हो गईं। इससे कई अमीर गैर-निवासी भारतीय निवेशकों को बड़ा नुकसान हुआ। जिन निवेशकों ने उधार लेकर ये बॉन्ड खरीदे थे, उन्हें अब ज्यादा पैसे लौटाने पड़ रहे हैं।
DIFC में ग्राहकों की ऑनबोर्डिंग की जांच
दुबई की अथॉरिटी ने यह जांच भी शुरू की कि क्या DIFC में ग्राहकों को सही ढंग से जोड़ा गया था या नहीं। क्योंकि DIFC में अलग वित्तीय नियम होते हैं और प्रोफेशनल ग्राहकों के लिए कड़े नियम लागू हैं।
हालांकि, जो ग्राहक पहले से बैंक से जुड़े हैं या जिनसे बात चल रही थी, उनपर इसका कोई असर नहीं होगा। यह रोक तब तक लगी रहेगी जब तक DFSA इसे हटाने या बदलने का फैसला नहीं करता है।
ग्राहकों को दी जाने वाली सर्विस पर भी उठे सवाल
अथॉरिटी ने इस DIFC पर कुछ सवाल उठाए हैं कि उन्होंने उन ग्राहकों को भी सेवाएं दीं, जिन्हें पूरी तरह से बैंक के सिस्टम में शामिल नहीं किया गया था। इसके साथ ही, DIFC की ग्राहकों को जोड़ने की प्रोसेस में भी कुछ दिक्कतें पाई गई हैं। HDFC बैंक ने बताया कि इस ब्रांच का उनके पूरे कारोबार पर बहुत बड़ा असर नहीं है। 23 सितंबर तक इस ब्रांच के पास कुल 1,489 ग्राहक थे, जिसमें ज्वाइंट अकाउंट भी शामिल हैं। बैंक ने कहा है कि उन्होंने अथॉरिटी के निर्देशों का पालन करना शुरू कर दिया है और DFSA के साथ पूरी मदद कर रहे हैं ताकि जल्दी से जल्दी सारी समस्याएं ठीक की जा सकें।
दो साल पुराने एक विवाद से जुड़ा है यह मामला
यह मामला दो साल पुराने एक विवाद से जुड़ा है। उस विवाद में क्रेडिट सुइस बैंक पर आरोप लगे थे कि उसने अपने हाई-रिस्क वाले अतिरिक्त टियर-1 (AT1) बॉन्ड्स गलत तरीके से बेचें। निवेशकों का कहना था कि बैंक ने ये बॉन्ड्स अपनी UAE की ब्रांचेज के जरिए बेचे थे। इसमें DIFC के अधिकारी सलाह देते थे, दुबई ऑफिस के कर्मचारी ग्राहकों के संबंध संभालते थे और बहराइन ब्रांच में अकाउंट बनाए जाते थे। 2023 में क्रेडिट सुइस बैंक डूब गया। इस दौरान, उसके AT1 बॉन्ड्स की कीमतें बहुत कम हो गईं। इससे कई अमीर गैर-निवासी भारतीय निवेशकों को बड़ा नुकसान हुआ। जिन निवेशकों ने उधार लेकर ये बॉन्ड खरीदे थे, उन्हें अब ज्यादा पैसे लौटाने पड़ रहे हैं।
DIFC में ग्राहकों की ऑनबोर्डिंग की जांच
दुबई की अथॉरिटी ने यह जांच भी शुरू की कि क्या DIFC में ग्राहकों को सही ढंग से जोड़ा गया था या नहीं। क्योंकि DIFC में अलग वित्तीय नियम होते हैं और प्रोफेशनल ग्राहकों के लिए कड़े नियम लागू हैं।
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