बरेली में एक दुर्लभ बच्ची का जन्म हुआ है, जो हार्लेक्विन इक्थियोसिस नामक त्वचा विकार से ग्रसित थी। यह बच्ची राजेंद्र नगर के एक निजी अस्पताल में पिछले गुरुवार को पैदा हुई, लेकिन गर्भ में ही उसकी मृत्यु हो गई। डॉक्टरों ने उसकी स्थिति को समझने के लिए स्किन बायोप्सी और केरिया टाइमिन टेस्ट के लिए सैंपल एकत्रित किए हैं।
बच्ची के माता-पिता फतेहगंज पश्चिमी के निवासी हैं। जब उन्हें अपनी बच्ची के निधन की सूचना मिली और उन्होंने उसे देखा, तो उनका दिल टूट गया। परिवार के अनुसार, बच्ची का शरीर सफेद था और उसकी त्वचा कई जगहों पर फटी हुई थी। उसकी आंखें पलटी हुई थीं, होंठ पूरी तरह से विकसित नहीं हुए थे, और दांत भी बाहर निकले हुए थे। डॉक्टरों के अनुसार, ऐसे बच्चों को हार्लेक्विन इक्थियोसिस बेबी कहा जाता है।
बच्ची गर्भ में केवल सात महीने तक ही रही। उसके शरीर में तेल बनाने वाली ग्रंथियों की कमी के कारण उसकी त्वचा फट गई थी। पलटी हुई पलकें उसके चेहरे को डरावना बना रही थीं। डॉक्टर अब विकार के कारणों का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं और इसके लिए आवश्यक सैंपल भी ले लिए गए हैं।
एक अध्ययन के अनुसार, हर 30 लाख जन्में बच्चों में से एक बच्चा हार्लेक्विन इक्थियोसिस से प्रभावित होता है। विश्वभर में इस प्रकार के लगभग 250 मामले सामने आए हैं। ऐसे बच्चों की औसत आयु दो से चार दिन या कभी-कभी कुछ घंटों तक होती है। चूंकि इस विकार का कोई प्रभावी इलाज नहीं है, इसलिए इन बच्चों के जीवित रहने की संभावना बहुत कम होती है। इनकी त्वचा सख्त, मोटी और सफेद होती है, और उनके शरीर में प्रोटीन और म्यूकस मेम्ब्रेन की कमी होती है।
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