भारत में सनातन धर्म का प्रचार लंबे समय से हो रहा है, और अब यह विदेशों में भी फैल रहा है। जापान की एक युवती, रीको वाथाबे, ने भारतीय संस्कृति को अपनाया है। उन्होंने माइक्रोसॉफ्ट जैसी प्रतिष्ठित कंपनी की नौकरी छोड़कर भारतीय दर्शन और श्रीमद्भागवत गीता का अध्ययन शुरू किया। एक अज्ञात व्यक्ति द्वारा उन्हें गीता भेंट की गई, जिसके बाद उनका जीवन बदल गया।
माइक्रोसॉफ्ट की नौकरी छोड़कर भारतीय दर्शन की ओर
रीको ने गीता पढ़ने के बाद भारतीय संस्कृति के प्रति गहरी रुचि विकसित की। उन्होंने कानागावा कॉलेज ऑफ फॉरेन स्टडीज से पढ़ाई की और इंग्लैंड में भी अध्ययन किया। जापान में, उन्होंने कई कंपनियों के साथ काम किया, लेकिन एक दिन टोक्यो रेलवे स्टेशन पर उन्हें गीता मिली। इस गीता ने उनके जीवन में एक नया मोड़ लाया।
रीको की मुलाकात दिल्ली के मुकेश से हुई, जो जापान में भारतीय कपड़े बेचते थे। दोनों ने एक-दूसरे से शादी करने का निर्णय लिया, लेकिन परिवारों की आपत्ति के बावजूद, उन्होंने 2000 में शादी कर ली। रीको ने भारत आकर पारंपरिक रीति-रिवाजों से शादी की और 2005 में उनके बेटे अर्जुन का जन्म हुआ।
जापान में भारतीय संस्कृति का प्रचार
शादी के बाद, रीको ने भारतीय दर्शन के बारे में और जानने की इच्छा जताई। उन्हें ओडिशा के गुरु एमके पांडा से मिलवाया गया, जहां उन्होंने गीता, वेद और योग का अध्ययन किया। अब, रीको जापान में विभिन्न योग संस्थानों में गीता और भारतीय दर्शन का ज्ञान फैला रही हैं।
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