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यश जौहर: बॉलीवुड के दिग्गज निर्माता की यादें

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यश जौहर का प्रभाव

हिंदी फिल्म उद्योग में यश जौहर का नाम सुनते ही हर किसी के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है। वह केवल करण जौहर के पिता नहीं थे, बल्कि उनके व्यक्तित्व में और भी बहुत कुछ था।


करण जौहर याद करते हैं, "मेरे लिए मेरे पिता से बेहतर कोई बेटा नहीं था। वह हमेशा मेरे बारे में दूसरों के सामने प्रशंसा करते थे, जिससे मुझे शर्मिंदगी होती थी। जो कुछ भी मैं आज हूं, वह मेरे पिता की वजह से है। मैं फिल्म उद्योग में उनकी अच्छी छवि का लाभ उठा रहा हूं।"


यश जौहर का करियर

यश जौहर ने स्वतंत्र निर्माता बनने से पहले देव आनंद के साथ करीबी संबंध बनाए। देव आनंद ने यश के बारे में कहा, "उन्होंने मेरे साथ फिल्म उद्योग में कदम रखा। उन्हें सभी ने प्यार किया। यश के लिए कोई भी चीज़ असंभव नहीं थी।"


जब स्मिता पाटिल को तत्काल चिकित्सा सहायता की आवश्यकता थी, तो यश जौहर ने सभी कॉल किए और सबसे पहले अस्पताल पहुंचे।


करण जौहर की भावनाएँ

करण ने कहा, "मेरे पिता हमेशा फिल्म उद्योग में सभी के लिए मौजूद रहते थे। मैंने उनसे दयालुता, सहानुभूति और उदारता सीखी।"


वहीं, वाहीदा रहमान ने यश जौहर को याद करते हुए कहा, "वह भगवान का बच्चा था। कोई भी, यहां तक कि अजनबी भी, मदद के लिए यश के पास जा सकता था।"


कठिन समय

जब करण ने 'कल हो ना हो' का निर्माण किया, तब उनके पिता गंभीर रूप से बीमार थे। करीना कपूर को मुख्य भूमिका का प्रस्ताव दिया गया, लेकिन उन्होंने उस समय मना कर दिया। करण के लिए यह एक बड़ा झटका था।


यश जौहर ने 1970 और 80 के दशक में प्रमुख निर्माता के रूप में काम किया, लेकिन 1980 के दशक में कई बड़े बजट की फिल्मों में नुकसान उठाया।


यश जौहर की विरासत

यश जौहर का सबसे बड़ा झटका 'मुक़द्दर का फैसला' था, जो 1987 में रिलीज हुई थी और यह एक बड़ी विफलता साबित हुई।


1998 में, करण ने अपने पिता के प्रोडक्शन हाउस को फिर से जीवित किया। "जब 'कuch kuch hota hai' हिट हुई, तो मैंने अपने पिता के चेहरे पर खुशी देखी। यह मेरे जीवन का सबसे गर्वित क्षण था," करण ने कहा।


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