गाय को भारत में माता का दर्जा प्राप्त है। लोग इसकी पूजा और सेवा करते हैं। इसी गौमाता ने 13 हफ्ते की बच्ची की फरिश्ता बनकर जान बचा ली। दरअसल मामला साउथ ईस्ट लंदन के सिडकप शहर का है। यहां पैदा हुई एक बच्ची के दिल में प्रॉबलम आ गई। उसकी दिल से शरीर के दूसरे अंगों में खून ले जाने वाली नली में लीकेज होने लगा।
बच्ची के दिल में थी दिक्कतइस बीमार के चलते बच्ची को सांस लेने में भी तकलीफ होने लगी थी। यहां तक कि उसने दूध पीना भी बंद कर दिया था। ऐसे में मां बाप ने बच्ची को डॉक्टर को दिखाया। डॉक्टरों ने जांच में पता लगाया कि बच्ची को मिक्स्ड मिट्रल वाल्व डिजीज है। यदि उसका जल्द इलाज न हुआ तो जान भी जा सकती है।
बताते चलें कि मिक्स्ड मिट्रल वाल्व एक ऐसी बीमारी है जिसमें मिट्रल वाल्व खराब हो जाता है। मिट्रल वाल्व एक फ्लैप होता है। इससे ही ऑक्सीजन वाला खून फेफड़ों से होते हुए पूरे शरीर में जाता है। इसमें दिक्कत आए तो शरीर के बाकी अंग भी खराब होने लगते हैं। इस चीज को फिक्स करने के लिए अधिकतर ओपन हार्ट सर्जरी की जाती है। लेकिन 13 हफ्ते की बच्ची पर ये करना डॉक्टर्स के लिए बड़ा मुश्किल था।
डॉक्टर ने लगा दिया गाय के टिशू से बना वॉलऐसे में गौमाता फरिश्ता बनकर सामने आई। सर्जरी करने वाले पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर आरोन बेल ने ओपन हार्ट सर्जरी करने के लिए गाय के टिशू का उपयोग किया। बताते चलें कि गाय के दिल के वॉल्व से मैलोडी वॉल बनाने की तकनीक बीते दो वर्षों से मेडिकल फील्ड में इस्तेमाल की जा रही है। हालांकि अभी तक इतनी छोटी बच्ची पर कोई प्रयोग नहीं किया गया था।
बच्ची की नाजुक हालत देख डॉक्टर्स ने ये ऑपरेशन करने का निर्णय लिया। ओपन हार्ट सर्जरी कर नया वॉल्व बच्ची के दिल में लगा दिया। गाय के टिशू का भी चमत्कार हो गया। न सिर्फ ऑपरेशन सफल रहा बल्कि बच्ची भी ठीक होकर अस्पताल से 8 दिन में ही घर चली गई।
6 घंटे चला ऑपरेशनबच्ची का यह ऑपरेशन करीब 6 घंटे तक चला था। ऑपरेशन में डॉक्टर ने पहले बच्ची के दिल से खराब वॉल्व निकाल दिया। फिर गाय के टिशू से बना नया मैलोडी वॉल्व लगा दिया। इसके लिए उन्होंने एक पतली गुब्बारे जैसी चीज का उपयोग किया। नया वाल अपनी जगह सेट हुआ तो गुब्बारे को हटा दिया गया। इसके बाद बच्ची के शरीर के सभी अंगों में खून का संचार होने लगा। वहीं ऑक्सीजन की सप्लाई भी स्टार्ट हो गई।
बताते चलें कि भारत में भी हर साल करीब दो लाख बच्चे दिल की बीमारी के साथ पैदा होते हैं। इनमें 25 से 30 हजार बच्चों की हार्ट सर्जरी करनी पड़ती है।
You may also like

महिला वर्ल्ड कप फ़ाइनल: दक्षिण अफ्रीका के 100 रन पूरे, लॉरा वुल्फ़ार्ट ने लगाई फिफ्टी

सीएमएस-03 का सफल प्रक्षेपण भारत की आत्मनिर्भरता और अत्याधुनिक नवाचार का उदाहरण : राजनाथ सिंह

प्रेमिका के साथ रंगरलिया मना रहे CO को पत्नी ने रंगे हाथ पकड़ा, छत से कूदकर भागे साहब!

जया बच्चन का फिल्मी करियर: अमिताभ बच्चन से पहले की शुरुआत

महिलाओं के लिए न्याय व्यवस्था में विश्वास जरूरी: CJI सूर्यकांत का संदेश





