kota Student Suicide Case: राजस्थान के कोटा शहर जो कभी शिक्षा और कोचिंग का गढ़ माना जाता था. आज छात्रों की बढ़ती आत्महत्याओं के कारण चर्चा में है. सुप्रीम कोर्ट ने 23 मई 2025 को इस गंभीर मुद्दे पर सुनवाई के दौरान राजस्थान सरकार को कठघरे में खड़ा किया. कोर्ट ने तीखे सवाल पूछे और सरकार से जवाब मांगा कि आखिर कोटा में ही छात्र आत्महत्याएं क्यों कर रहे हैं और इसे रोकने के लिए अब तक क्या कदम उठाए गए हैं.
ये बच्चे क्यों मर रहे हैं?जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की बेंच ने सुनवाई के दौरान कोटा में बढ़ती आत्महत्याओं को “गंभीर” बताया. कोर्ट ने राजस्थान सरकार के वकील से सवाल किया आप एक राज्य के रूप में क्या कर रहे हैं? ये बच्चे आत्महत्या क्यों कर रहे हैं और केवल कोटा में ही क्यों? क्या आपने इस पर विचार नहीं किया?. बेंच ने यह भी पूछा कि 2025 में अब तक कोटा में 14 छात्रों की आत्महत्या के बाद भी FIR दर्ज क्यों नहीं की गई. सरकार के वकील ने जवाब दिया कि एक विशेष जांच दल (SIT) गठित किया गया है जो इन मामलों की जांच कर रहा है. हालांकि कोर्ट ने स्पष्ट किया कि SIT की जांच के बावजूद स्थानीय पुलिस की जिम्मेदारी है कि वह तुरंत FIR दर्ज करे और जांच शुरू करे.
कोटा में आत्महत्याओं का भयावह आंकड़ाआंकड़े चिंताजनक हैं. 2018 से अप्रैल 2025 तक कोटा में 94 छात्रों ने आत्महत्या की जबकि सीकर में 16, डीडवाना में 2 और जयपुर ग्रामीण में 1 मामला दर्ज हुआ.. 2024 में 17 और 2023 में 29 छात्रों ने अपनी जान गंवाई. इस साल जनवरी में ही 6 छात्रों ने आत्महत्या की. जिनमें से 5 JEE और 1 NEET की तैयारी कर रहे थे. सुप्रीम कोर्ट ने इस स्थिति को “अत्यंत गंभीर” बताते हुए सरकार से ठोस कदमों की मांग की.
सरकार के प्रयास कितने प्रभावी?राजस्थान सरकार ने आत्महत्याओं को रोकने के लिए कुछ उपाय किए हैं, जैसे-
एंटी-हैंगिंग डिवाइस: हॉस्टलों में स्प्रिंग-लोडेड पंखे और बालकनियों में जाल लगाने के निर्देश.
हेल्पलाइन और काउंसलिंग: छात्रों के लिए जीवनसाथी हेल्पलाइन (18002333330) और मानसिक स्वास्थ्य परामर्श को अनिवार्य किया गया.
कोचिंग रेगुलेशन बिल: 2024 में सरकार ने एक विधेयक का मसौदा तैयार किया, जो कोचिंग संस्थानों को नियंत्रित करने के लिए था लेकिन यह अभी तक लागू नहीं हुआ.
जिला प्रशासन के कदम: ‘डिनर विद कलेक्टर’ और ‘संवाद’ जैसे कार्यक्रमों के जरिए छात्रों से संवाद और WHO-प्रोटोकॉल आधारित गेट-कीपर प्रशिक्षण.
हालांकि कोटा के जिला प्रशासन का दावा है कि 2024 में आत्महत्याओं में 38% की कमी आई (2023 में 26, 2024 में 16 मामले) लेकिन यह कमी पर्याप्त नहीं मानी जा रही.
राजस्थान हाईकोर्ट की भी नाराजगीराजस्थान हाईकोर्ट ने भी 2016 से इस मुद्दे पर स्वत संज्ञान लिया था. मई 2025 में चीफ जस्टिस एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस मुकेश राजपुरोहित की खंडपीठ ने सरकार की निष्क्रियता पर नाराजगी जताई क्योंकि 2019 से कोचिंग रेगुलेशन एक्ट लागू नहीं हुआ. कोर्ट ने कहा सरकार सिर्फ बातें कर रही है लेकिन कानून नहीं बना रही.
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