लखनऊ, 23 जून . उत्तर प्रदेश में हर बार की तरह इस बार भी पौधारोपण का रिकॉर्ड बनाने की तैयारी है. वन महोत्सव के तहत यह अभियान एक जुलाई से शुरू होगा. लक्ष्य 35 करोड़ पौधरोपण का है. वर्ष 2024 में भी इतने का ही लक्ष्य था, पर लक्ष्य के सापेक्ष अधिक पौधारोपण हुआ था. इस साल भी नर्सरी में तैयार पौधों की संख्या और योगी सरकार की तैयारियों के मद्देनजर पूरी उम्मीद है कि हर साल की तरह वर्ष 2025 के भी अभियान में भी एक नया रिकॉर्ड बनेगा.
हर साल लगभग इसी सीजन में किए जाने वाले पौधरोपण का मकसद प्रदेश में हरियाणी बढ़ाना, पर्यावरण को स्वच्छ व सुंदर बनाना, जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों को कम करना और हर प्रकार के पौधे (फलदार, छायादार, औषधीय और इमारती) लगाकर अधिकतम जैव विविधता को सुनिश्चित करना है. पर्यावरण संरक्षण में पौधरोपण के इसी बहुआयामी महत्व के मद्देनजर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इसे जन आंदोलन बनाना चाहते हैं. इस बाबत वह कई बार कह चुके हैं, “पर्यावरण संरक्षण केवल शासन की नहीं, बल्कि समाज की सामूहिक जिम्मेदारी है. 2030 तक प्रदेश के हरित आवरण को 20 प्रतिशत तक ले जाने का हमारा लक्ष्य तभी सफल होगा जब वृक्षारोपण जन आंदोलन का स्वरूप ले.”
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2024 के पौधारोपण अभियान के दौरान सहजन के करीब 55 लाख पौधे लगाए गए थे. वर्ष 2025 के लिए यह संख्या कमोबेश यही रहेगी. मुख्यमंत्री पहले ही प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभार्थियों और आंगनबाड़ी केंद्रों में सहजन के पौधे वितरित करने का निर्देश दे चुके हैं. यही नहीं, विकास के मानकों पर पिछड़े आकांक्षात्मक जिलों में हर परिवार को सहजन के कुछ पौधे लगाने को भी प्रेरित किया जाएगा.
सहजन के औषधीय और पोषण संबंधी खूबियों के मद्देनजर वाराणसी के स्वास्थ्य विभाग ने अनुकरणीय पहल की है. इस क्रम में हर सामुदायिक, प्राथमिक और हेल्थ सब सेंटर्स पर सहजन के दो-दो पौध लगाए जाएंगे. पिछले दिनों से इसकी शुरुआत भी हो चुकी है. दो साल पूर्व केंद्र ने राज्यों को निर्देश दिया था कि वे पीएम पोषण योजना में स्थानीय स्तर पर सीजन में उगने वाले पोषक तत्वों से भरपूर पालक, अन्य शाक-भाजी एवं फलियों के साथ सहजन को भी शामिल करें.
विशेषज्ञों की माने तो सहजन सिर्फ एक पौधा नहीं है बल्कि खुद में पोषण का पावरहाउस है. इसकी पत्तियों एवं फलियों में 300 से अधिक रोगों की रोकथाम के गुण होते हैं. इनमें 92 तरह के विटामिन्स, 46 तरह के एंटी ऑक्सीडेंट, 36 तरह के दर्द निवारक और 18 तरह के एमिनो एसिड मिलते हैं. इसके अलावा सहजन में विटामिन सी- संतरे से सात गुना, विटामिन ए- गाजर से चार गुना, कैल्शियम- दूध से चार गुना, पोटैशियम- केले से तीन गुना, प्रोटीन- दही से तीन गुना मिलता है.
दक्षिण भारत के राज्यों आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और कर्नाटक में इसकी खेती होती है. साथ ही इसकी फलियों और पत्तियों का कई तरह से प्रयोग भी. तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय ने पीकेएम-1 और पीकेएम-2 नाम से दो प्रजातियां विकसित की हैं. पीकेएम-1 यहां के कृषि जलवायु क्षेत्र के अनुकूल भी है. यह हर तरह की जमीन में हो सकता है. बस इसे सूरज की भरपूर रोशनी चाहिए. सहजन की खूबियां यहीं खत्म नहीं होतीं. चारे के रूप में इसकी हरी या सूखी पत्तियों के प्रयोग से पशुओं के दूध में डेढ़ गुने से अधिक और वजन में एक तिहाई से अधिक की वृद्धि की रिपोर्ट है. यही नहीं इसकी पत्तियों के रस को पानी के घोल में मिलाकर फसल पर छिड़कने से उपज में सवाया से अधिक की वृद्धि होती है.
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विकेटी/एएस
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