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भारत की जेन जेड आबादी 2035 तक 1.8 ट्रिलियन डॉलर करेगी खर्च

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नई दिल्ली, 16 अक्टूबर . भारत को एक युवा राष्ट्र माना जाता है. देश की 377 मिलियन आबादी जनरेशन जेड से आती है. जनरेशन जेड देश की कंजप्शन ग्रोथ को लेकर एक बड़े योगदानकर्ता होंगे. बुधवार को आई एक रिपोर्ट के अनुसार, जेन जेड 2025 तक 1.8 ट्रिलियन डॉलर का प्रत्यक्ष खर्च लाने में सक्षम होंगे.

बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (बीसीजी) के साथ साझेदारी में स्नैप इंक की रिपोर्ट के अनुसार, 2025 में, जनरेशन जेड का प्रत्यक्ष खर्च 250 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा. इस समय तक हर दूसरा जनरेशन जेड कमाई कर रहा होगा.

जेन जेड की सामूहिक व्यय क्षमता 860 बिलियन डॉलर तक पहुंच गई है, जो 2035 तक 2 ट्रिलियन डॉलर तक बढ़ जाएगी. जनरेशन जेड, मिलेनियल्स के बराबर ही खरीदारी करता है. वे अपने खर्च पर 1.5 गुना ज्यादा रिसर्च करते हैं.

स्नैप इंक के भारत में प्रबंध निदेशक पुलकित त्रिवेदी ने कहा, “भारत एक युवा राष्ट्र है, जिसकी 377 मिलियन जनरेशन जेड आबादी है, जो अगले दो दशकों में भारत के विकास के भविष्य को आकार देगी. जेन जेड को सेवा देने वाले प्लेटफॉर्म के रूप में हम ब्रांड और बिजनेस के साथ काम करने को तैयार हैं.”

लगभग 45 प्रतिशत व्यवसाय जनरेशन जेड की क्षमता को पहचानते हैं, लेकिन केवल 15 प्रतिशत ही सक्रिय रूप से उन्हें संबोधित करने के लिए कार्रवाई करते हैं, जो एक बड़े अवसर का संकेत देता है.

स्नैपचैट के डेली एक्टिव यूजर्स में 90 प्रतिशत की आयु 13-34 वर्ष है, जिससे पता चलता है कि यह प्लेटफॉर्म भारत में युवाओं का लोकप्रिय मंच बन गया है.

बीसीजी इंडिया की सीनियर पार्टनर और मैनेजिंग डायरेक्टर निमिषा जैन ने कहा, “जनरेशन जेड पहले से ही भारत के उपभोक्ता खर्च का 43 प्रतिशत हिस्सा चला रही है.

उनका प्रभाव चुनिंदा श्रेणियों तक सीमित नहीं है – यह फैशन, खाने-पीने से लेकर ऑटोमोबाइल और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स तक की श्रेणियों में फैला हुआ है.”

रिपोर्ट में कहा गया है कि यह गतिशील समूह अलग-अलग कैटेगरी में व्यय को प्रभावित कर रहा है. जैसे कि कुल व्यय का 50 प्रतिशत फुटवियर पर, 48 प्रतिशत भोजन पर, 48 प्रतिशत आउट-ऑफ-होम मनोरंजन पर और 47 प्रतिशत फैशन और जीवनशैली पर खर्च किया जा रहा है.

खर्च के वितरण का तरीका यह दर्शाता है कि वर्तमान में, जनरेशन जेड की कुल व्यय क्षमता 860 बिलियन डॉलर है. इसमें लगभग 200 बिलियन डॉलर प्रत्यक्ष व्यय (जो पैसा वे खुद कमाते हैं और खर्च करते हैं) से आता है. बाकी के 660 बिलियन डॉलर वे दूसरों के सुझाव या पसंद के आधार पर खर्च करते हैं.

एसकेटी/एएस

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