बालासोर, 12 जुलाई . ओडिशा के बालासोर के फकीर मोहन कॉलेज की एक छात्रा ने Friday को कॉलेज के गेट पर आत्मदाह का प्रयास किया. सौम्यश्री बिसी नामक छात्रा ने कथित तौर पर विभागाध्यक्ष द्वारा उत्पीड़न सहन नहीं कर पाने के कारण अपने शरीर पर पेट्रोल डालकर खुद को आग लगा ली. जो इंटीग्रेटेड बी.एड. द्वितीय वर्ष की छात्रा है.
घटना से पहले सौम्यश्री ने कथित दुर्व्यवहार के लिए प्रोफेसर के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर कॉलेज परिसर के पास धरना दिया था. पहले शिकायत दर्ज कराने के बावजूद, अधिकारियों द्वारा कोई कार्रवाई न किए जाने से वह कथित रूप से निराश थी.
आत्मदाह के दौरान उसे तुरंत बचाया गया और गंभीर हालत में बालासोर मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया. बाद में उसकी चोटों की गंभीरता को देखते हुए एम्स भुवनेश्वर स्थानांतरित कर दिया गया.
इस घटना से छात्रों और नागरिक समाज में आक्रोश फैल गया और वे निष्पक्ष जांच और आरोपी अधिकारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.
राज्य सहायक सचिव शुभ्रा संबित नायक ने फकीर मोहन कॉलेज प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं. नायक ने कहा, “यह घटना अचानक नहीं हुई. लड़की पिछले छह महीनों से उत्पीड़न का सामना कर रही थी. पिछले दो सालों में कई छात्राओं ने इसी लेक्चरर के खिलाफ शिकायत की थी. बार-बार शिकायत करने के बावजूद कॉलेज और प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की.”
उन्होंने आगे आरोप लगाया कि शिकायतों पर कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं की गई. छात्रा को बार-बार मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया और उसे झूठा करार दिया गया, जबकि लेक्चरर को एक अच्छा शिक्षक बताया गया.
कार्रवाई न होने पर गुस्सा जताते हुए उन्होंने कहा, “यह हमारी बहन की जान का सवाल था. किसी को नहीं पता था कि वह इतनी बड़ी योजना बना रही है. वह बस यह जानना चाहती थी कि आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है. अगर ऐसा ही चलता रहा, तो हम विरोध प्रदर्शन करने पर मजबूर हो जाएंगे. हमने सोचा था कि अगर न्याय नहीं मिला तो हम हड़ताल पर चले जाएंगे.”
शुभ्रा संबित नायक ने आरोप लगाया कि छात्रा शायद पहले से सोची-समझी योजना बनाकर आई थी, और शायद अपने साथ पेट्रोल भी ले गई थी. वह कैंपस से बाहर गई और फिर खुद को आग लगा ली. उसे बचाने की कोशिश करने वाला एक लड़का भी घायल हो गया और उसका इलाज चल रहा है.
नायक ने यह भी बताया कि यह पहली घटना नहीं है, जिसमें उसी लेक्चरर का नाम सामने आया है. इससे पहले करीब 4-5 छात्रों ने पहले भी उसके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन प्रशासन उन्हें नज़रअंदाज़ करता रहा. प्रिंसिपल को इसकी पूरी जानकारी थी, लेकिन उन्होंने सभी चेतावनियों को नज़रअंदाज़ किया.
उन्होंने इंटीग्रेटेड बी.एड के विभागाध्यक्ष समीर कुमार साहू और अन्य लोगों को मामले को दबाने की कोशिश करने के लिए जिम्मेदार ठहराया, जिन्होंने कथित तौर पर घटना को छिपाने की कोशिश की थी. उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने आरोपियों को बचाने की कोशिश की, उन्हें हिरासत में लिया जाना चाहिए और उनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए.
एकेएस/जीकेटी
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