बीजिंग, 16 अगस्त . जापानी प्रधानमंत्री इशिबा शिगेरु ने तथाकथित युद्ध में मृतकों की स्मृति सभा में भाषण देकर विभिन्न एशियाई देशों पर आक्रमण कर नुकसान पहुंचाने की जापान की जिम्मेदारी का उल्लेख नहीं किया. उन्होंने यासुकुनी श्राइन में पूजा के लिए राशि प्रदान की.
उनके मंत्रिमंडल के कुछ सदस्यों ने यासुकुनी मंदिर में दर्शन कर पूजा की. अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने इसकी व्यापक आलोचना की.
चाइना मीडिया ग्रुप के सीजीटीएन द्वारा हाल ही में चलाए गए एक सर्वे से जाहिर है कि वैश्विक उत्तरदाताओं ने इतिहास के सवाल पर जापान सरकार के गलत रुख पर जबरदस्त असंतोष व्यक्त किया.
आंकड़ों के अनुसार, 64.4 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने जापानी राजनीतिज्ञों का यासुकुनी मंदिर का दर्शन करने का विरोध किया.
55.3 प्रतिशत लोगों ने जापान द्वारा ऐतिहासिक अपराध की जिम्मेदारी से कतराने की आलोचना की.
65.2 प्रतिशत लोगों ने जापान द्वारा इतिहास की पाठ्यपुस्तक विकृत करने का विरोध किया.
65.7 प्रतिशत लोगों ने जापान सरकार से शिकार देशों से क्षमा मांगने और मुआवजा देने की मांग की.
इतिहास के सवाल के प्रति जापान के रुख पर दक्षिण कोरिया में 90 प्रतिशत से अधिक उत्तरदाताओं ने असंतोष व्यक्त किया. इंडोनेशिया और फिलीपींस में 80 प्रतिशत से अधिक उत्तरदाताओं ने जापान सरकार से शिकार देशों में क्षमा मांगने और मुआवजा देने की अपील की.
उधर, 57 प्रतिशत वैश्विक उत्तरदाताओं का विचार है कि जापान के युद्धोत्तर प्रदर्शन से चीन-जापान संबंधों का सामान्य विकास बाधित है.
50.7 प्रतिशत उत्तरदाताओं का विचार है कि युद्धोत्तर जापान के प्रदर्शन ने जापान की अंतर्राष्ट्रीय छवि को गंभीर नुकसान पहुंचाया है.
विश्व के 40 देशों के 11,913 लोगों ने इस सर्वे में भाग लिया. उत्तरदाताओं की आयु 18 वर्ष के ऊपर है.
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
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एबीएम/
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