New Delhi, 25 अगस्त . देश के सबसे बड़े ऋणदाता भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से बैंकों को अधिग्रहण के लिए वित्तपोषण की अनुमति देने का अनुरोध किया है. वर्तमान में, भारतीय बैंकों को विलय और अधिग्रहण के लिए ऋण देने की अनुमति नहीं है.
इस नियम के कारण, कंपनियां आमतौर पर अन्य व्यवसायों को खरीदने की योजना बनाते समय गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों का रुख करती हैं या बॉन्ड के माध्यम से धन जुटाती हैं.
फिक्की और आईबीए द्वारा आयोजित एफआईबीएसी 2025 कार्यक्रम में एसबीआई चेयरमैन सीएस शेट्टी ने कहा कि शुरुआत में बड़ी सूचीबद्ध कंपनियों के लिए एसबीआई ने आरबीआई से अधिग्रहण के लिए वित्तपोषण की अनुमति देने पर विचार करने का अनुरोध किया है.
शेट्टी ने इवेंट को लेकर कहा कि हम सम्मेलन के लिए एक समसामयिक विषय चुनने के लिए उत्सुक थे ताकि प्रतिभागियों को सम्मेलन के समग्र विषय से जुड़े प्रासंगिक क्षेत्रों में दो दिवसीय विचार-विमर्श के अंत में नए विचार प्राप्त हों.
उन्होंने कहा कि कार्यक्रम के लिए इस वर्ष का विषय ‘चार्टिंग न्यू फ्रंटियर्स’ आज के संदर्भ में काफी महत्वपूर्ण है.
पैनल चर्चाओं को भी उन सभी पहलुओं को शामिल करने के लिए सावधानीपूर्वक तैयार किया गया है, जो बैंकिंग सिस्टम और कॉर्पोरेट जगत की क्षमता को उजागर करने में मदद करेंगे.
उन्होंने कहा, “हम एक ऐसे परिवर्तनकारी दौर से गुजर रहे हैं, जो अगले 20-25 वर्षों के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण हो सकता है. अनुकूल जनसांख्यिकीय लाभांश, मजबूत डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर, उच्च विकास क्षमता और एक स्पष्ट राष्ट्रीय दृष्टिकोण ‘विकसित भारत’ के साथ, देश एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है.”
उन्होंने कहा कि यह समावेशी विकास को गति देने, वैश्विक प्रतिस्पर्धा क्षमता को बढ़ाने और एक समृद्ध और सस्टेनेबल भविष्य को आकार देने का समय है.
एसबीआई की ओर से यह अनुरोध ऐसे समय में आया है जब सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) ने मजबूत मुनाफा और बेहतर बैलेंस शीट दर्ज की है.
कुल मिलाकर, 12 सार्वजनिक बैंकों ने वित्त वर्ष 2026 की अप्रैल-जून तिमाही में 44,218 करोड़ रुपए का रिकॉर्ड लाभ कमाया, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 11 प्रतिशत अधिक है.
इसमें अकेले एसबीआई का योगदान 43 प्रतिशत रहा, जिसका शुद्ध लाभ 19,160 करोड़ रुपए रहा.
अप्रैल-जून तिमाही में 19,160 करोड़ रुपए के शुद्ध लाभ के साथ, जो वित्त वर्ष 25 की पहली तिमाही की तुलना में 12 प्रतिशत अधिक था, एसबीआई शीर्ष पर रहा. आकार और लाभ के मामले में, देश का सबसे बड़ा ऋणदाता अभी भी सार्वजनिक बैंकिंग बाजार को नियंत्रित करता है.
पिछले तीन वित्तीय वर्षों (वित्त वर्ष 23 से वित्त वर्ष 25) में, सार्वजनिक बैंकों ने अपने पूंजी आधार को मजबूत करने और ऋण वृद्धि को समर्थन देने के लिए इक्विटी और बॉन्ड के माध्यम से लगभग 1.54 लाख करोड़ रुपए जुटाए.
वित्त मंत्रालय इस सप्ताह इन बैंकों के प्रदर्शन की समीक्षा करेगा, जिसमें उनकी वित्तीय स्थिति और विकास के दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा.
अगर आरबीआई एसबीआई के प्रस्ताव को स्वीकार कर लेता है तो अधिग्रहण के जरिए विस्तार की तलाश कर रही भारतीय कंपनियों के लिए वित्तपोषण का एक नया विकल्प खुल सकता है.
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एसकेटी/
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