तेल अवीव, 10 अगस्त . जून में ईरानी मिसाइल हमले में घायल हुई 91 वर्षीय होलोकॉस्ट सर्वाइवर ओल्गा वीसबर्ग को नहीं बचाया जा सका. इजरायली (हिब्रू) मीडिया के अनुसार, शहर पर मिसाइल हमले के लगभग दो महीने बाद, 9 अगस्त की रात रेहोवोट में उनकी मृत्यु हो गई. हाल के दिनों में उनकी हालत इतनी बिगड़ गई थी कि वे अचानक बेहोश हो गई थीं.
ऑपरेशन “अम कलावी” के दौरान रेहोवोट में ईरानी मिसाइल हमले में गंभीर रूप से जख्मी हो गई थीं.
उनका अंतिम संस्कार Sunday (10 अगस्त) शाम 5:00 बजे (स्थानीय समयानुसार) रेहोवोट के ग्रोडस्की कब्रिस्तान में होगा. उनके परिवार ने जनता से अनुरोध किया है कि वे उनकी अंतिम यात्रा में उनके साथ चलें. उनके परिवार में एक बेटी, एक पोता, एक परपोता और उनके पति हैं. पति भी होलोकॉस्ट में बच निकले थे.
द इजरायल टाइम्स की खबर के मुताबिक 13 जून से 25 जून 2025 के बीच चले संघर्ष में 30 लोग मारे गए थे. इनमें से एक ही परिवार के 29 सदस्य भी शामिल थे.
ओल्गा यहूदी नरसंहार सर्वाइवर थीं. 1933 में जर्मनी की सत्ता पर काबिज होने के बाद एडोल्फ हिटलर ने अपना नस्लवादी साम्राज्य बनाया था. तानाशाह ने यहूदियों को चुन-चुनकर मारा. हिटलर की ये नफरत होलोकास्ट के रूप में सामने आई. जो पोलैंड में खुले ऑशविच कन्सनट्रेशन कैंप से शुरू हुआ था. पोलैंड के इस कैंप में धर्म, नस्ल, या शारीरिक कमजोरी के नाम पर लाखों लोगों को गैस चैंबर में भेज दिया जाता था. कैंप ऐसी जगह बनाया गया था जहां से भाग पाना नामुमकिन था. यही नहीं, बूढ़ों और बीमारों को गैस चैंबर में मौत दे दी जाती थी.
11 लाख से भी ज्यादा यहूदियों की अभाव और ज्यादती के कारण दर्दनाक मौत हुई थी. 27 जनवरी 1945 को सोवियत रेड आर्मी ने ऑशविच कैंप में बचे लोगों को आजाद कराया था.
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केआर/
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