राजौरी, 20 अप्रैल . पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) प्रमुख एवं जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने रविवार को उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) शासित जम्मू-कश्मीर सरकार की आलोचना की. उन्होंने कहा कि मौजूदा निर्वाचित सरकार और उपराज्यपाल (एलजी) प्रशासन में कोई अंतर नहीं है.
पीडीपी प्रमुख ने मीडिया को दिए एक बयान में कहा, “उपराज्यपाल प्रशासन लोगों को पानी और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाएं भी मुहैया करा रहा था, जो मौजूदा सरकार कर रही है. लेकिन उन लोगों के लिए कोई अंतर नहीं है जिन्होंने वास्तविक बदलाव की उम्मीद में एक लोकप्रिय सरकार को वोट दिया था.”
मुफ्ती ने नौकरी से निकाले जाने और लगातार गिरफ्तारियों को लेकर सरकार की आलोचना की, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि निर्वाचित शासन की बहाली के बावजूद स्थिति अपरिवर्तित बनी हुई है.
उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली सरकार पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा, “हम यह उम्मीद नहीं कर सकते कि सरकार छह महीने में अपने सभी वादे पूरे कर देगी, लेकिन कम से कम उन वादों को पूरा करने की दिशा में प्रयास तो दिखने चाहिए- जो कहीं नजर नहीं आ रहे हैं. यह दुर्भाग्यपूर्ण है.”
हाल ही में मुख्यमंत्री द्वारा विधायकों के साथ शक्तियों के हस्तांतरण के बारे में बुलाई गई बैठक का हवाला देते हुए – जो पहले एलजी प्रशासन के अधीन थी, मुफ्ती ने सरकार की प्राथमिकताओं पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा, “इससे पता चलता है कि सरकार दिहाड़ी मजदूरों की दुर्दशा जैसी सार्वजनिक शिकायतों को दूर करने की तुलना में शक्तियों के हस्तांतरण के बारे में अधिक चिंतित है.”
अनुच्छेद 370 को निरस्त करने में डॉ. फारूक अब्दुल्ला की कथित भूमिका पर रॉ के पूर्व प्रमुख एएस दुलत के हालिया बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए मुफ्ती ने कहा, “यह नेशनल कॉन्फ्रेंस और भाजपा के बीच एक राजनीतिक गठबंधन को उत्प्रेरित करने का एक प्रयास है.”
पीडीपी अध्यक्ष ने डॉ. फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला पर विवादास्पद वक्फ संशोधन विधेयक पर चुप रहने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, “उन्होंने विधेयक के खिलाफ एक शब्द भी नहीं कहा, बल्कि संसद में इसे पेश करने वाले केंद्रीय मंत्री का स्वागत किया.”
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