नई दिल्ली, 31 मई . अंतरिक्ष विभाग के राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने शनिवार को कहा कि भारतीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला आगामी एक्सिओम मिशन 4 (एक्स-4) के सदस्य के रूप में अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर विशेष खाद्य और पोषण संबंधी प्रयोग करेंगे.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) के बीच भागीदारी और नासा के सहयोग से ये प्रयोग विकसित किए गए हैं. इनका उद्देश्य भविष्य में लंबी अवधि की अंतरिक्ष यात्रा के लिए आवश्यक अंतरिक्ष पोषण और आत्मनिर्भर जीवन समर्थन प्रणालियों का विकास करना है.
डॉ. सिंह ने कहा कि पहला आईएसएस प्रयोग खाने योग्य सूक्ष्मशैवाल पर सूक्ष्मगुरुत्व और अंतरिक्ष विकिरण के प्रभाव की जांच करेगा, जो एक उच्च क्षमता वाला, पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य स्रोत है.
अध्ययन में मुख्य विकास मापदंडों और पृथ्वी की स्थितियों की तुलना में अंतरिक्ष में विभिन्न शैवाल प्रजातियों के ट्रांसक्रिप्टोम, प्रोटिओम और मेटाबोलोम में परिवर्तन पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा.
आत्मनिर्भर भारत का एक उदाहरण प्रस्तुत करते हुए, आईएसएस पर अंतरिक्ष जीव विज्ञान प्रयोग जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) के तहत स्वदेशी रूप से विकसित जैव प्रौद्योगिकी किटों का उपयोग करके किए जाएंगे.
सूक्ष्मगुरुत्व स्थितियों के लिए तैयार इन विशेष किटों को भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा डिजाइन और प्रमाणित किया गया है, ताकि अंतरिक्ष आधारित अनुसंधान में सटीकता और विश्वसनीयता सुनिश्चित की जा सके.
उनकी तैनाती अग्रणी अनुसंधान के लिए विश्व स्तरीय वैज्ञानिक उपकरण प्रदान करने की भारत की क्षमता में एक मील का पत्थर है और अंतरिक्ष अन्वेषण एवं जैव प्रौद्योगिकी के लिए महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों में देश की बढ़ती आत्मनिर्भरता को रेखांकित करती है.
डॉ. सिंह ने कहा, “सूक्ष्म शैवाल तेजी से बढ़ते हैं, उच्च प्रोटीन वाले बायोमास का उत्पादन करते हैं, कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं और ऑक्सीजन छोड़ते हैं, जिससे वे टिकाऊ अंतरिक्ष पोषण और क्लोज्ड-लूप जीवन समर्थन प्रणालियों के लिए आदर्श बन जाते हैं.”
दूसरे प्रयोग में यूरिया और नाइट्रेट आधारित मीडिया का उपयोग करके सूक्ष्मगुरुत्व के तहत साइनोबैक्टीरिया – विशेष रूप से स्पाइरुलिना और सिनेकोकस – की वृद्धि और प्रोटिओमिक प्रतिक्रिया की जांच की जाएगी.
अनुसंधान में स्पाइरुलिना की उच्च प्रोटीन और विटामिन सामग्री के कारण अंतरिक्ष ‘सुपरफूड’ के रूप में क्षमता का मूल्यांकन किया जाएगा, साइनोबैक्टीरियल वृद्धि के लिए मानव अपशिष्ट, जैसे यूरिया से प्राप्त नाइट्रोजन स्रोतों का उपयोग करने की व्यवहार्यता का आकलन किया जाएगा, और सेलुलर चयापचय और जैविक दक्षता पर माइक्रोग्रैविटी के प्रभावों का अध्ययन किया जाएगा.
ये जानकारियां, लंबी अवधि के अंतरिक्ष मिशनों के लिए आवश्यक बंद-लूप, आत्मनिर्भर जीवन समर्थन प्रणालियों के विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं.
मंत्री ने कहा, “ये जीव अंतरिक्ष यान और भविष्य के अंतरिक्ष आवासों में कार्बन और नाइट्रोजन पुनर्चक्रण की कुंजी हो सकते हैं.”
शुक्ला मानव अंतरिक्ष उड़ान के लिए प्रशिक्षित भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों की पहली टीम का हिस्सा हैं, जिसमें ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर उनके बैकअप के रूप में हैं.
एक्सिओम स्पेस द्वारा प्रबंधित और स्पेसएक्स फाल्कन 9 के माध्यम से प्रक्षेपित एक्स-4 मिशन, आईएसएस पर भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री-वैज्ञानिक के नेतृत्व वाले अंतरिक्ष जीवविज्ञान प्रयोगों के लिए एक मील का पत्थर है.
एक्स-4 मिशन 8 जून को लॉन्च करने की योजना है. अंतरिक्ष यात्री 14 दिन तक अंतरिक्ष में रह सकते हैं.
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पीएके/एकेजे
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