Mumbai , 30 जुलाई . हिंदी सिनेमा में जब भी 60-70 के दशक की खूबसूरत अभिनेत्रियों का जिक्र होता है, तो मुमताज का नाम सबसे पहले याद आता है. उनका सफर किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं है. उनकी शुरुआत बेहद मामूली रही, लेकिन रास्ता मुश्किलों से भरा रहा और आखिर में चकाचौंध से भरी जिंदगी देखने को मिली. एक वक्त था जब मुमताज को सिर्फ स्टंट फिल्मों की ‘हीरोइन फॉर हायर’ माना जाता था.
31 जुलाई 1947 को Mumbai में जन्म लेने वाली मुमताज का असली नाम मुमताज बेगम जहान देहलवी था. उन्होंने महज 11 साल की उम्र में चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर फिल्मी दुनिया में कदम रखा था. वह अपने आत्मविश्वास और मेहनत के दम पर आगे बढ़ती रहीं.
उनके करियर का पहला बड़ा मोड़ 1963 में रिलीज हुई फिल्म ‘फौलाद’ से आया, जिसमें उन्होंने मशहूर पहलवान और अभिनेता दारा सिंह के साथ लीड रोल निभाया. यह एक एक्शन फिल्म थी. उन्हें ‘सिकंदर-ए-आजम’, ‘राका’, ‘वीर भीमसेन’, ‘टार्जन कम्स टू देल्ही’, ‘रुस्तम-ए-हिंद’, और ‘डाकू मंगल सिंह’ जैसी एक्शन फिल्मों में दारा सिंह के साथ कास्ट किया गया.
इन फिल्मों में मुमताज कभी तलवारें चलाती नजर आती, तो कभी पेड़ों पर चढ़कर स्टंट करती दिखती. वह फिल्मों में खलनायकों से खूब भिड़ी और मारधाड़ से भरपूर किरदार निभाए. मुमताज ने दारा सिंह के साथ करीब 16 फिल्मों में काम किया, जिनमें से 12 फिल्में बॉक्स ऑफिस पर सफल रहीं. इंडस्ट्री ने उन्हें ‘स्टंट फिल्मों की नायिका’ के टैग से नवाजा.
हालांकि, इस टैग ने उन्हें बड़े बैनर्स और स्टार नायकों से दूर भी कर दिया. कई अभिनेता, खासकर शशि कपूर और जीतेंद्र जैसे नाम, उनके साथ काम करने से कतराते थे. मुमताज ने हार नहीं मानी. उन्होंने 1967 में आई फिल्म ‘राम और श्याम’ और 1969 में आई फिल्म ‘दो रास्ते’ के जरिए लोगों को दिखाया कि वह सिर्फ स्टंट सीन ही नहीं, बल्कि इमोशन और रोमांस सीन्स को भी बेहतरीन तरीके से निभा सकती हैं.
इसके बाद ‘बंधन’, ‘सच्चा झूठा’, ‘खिलौना’, ‘रोटी’, ‘चोर मचाए शोर’, और ‘आपकी कसम’ जैसी फिल्मों में उन्होंने लीड रोल निभाया और सुपरहिट परफॉर्मेंस दी.
1970 में फिल्म ‘खिलौना’ में दमदार अभिनय के लिए उन्हें बेस्ट एक्ट्रेस का फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला. इसके अलावा 1996 में उन्हें फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से भी नवाजा गया.
मुमताज की सबसे मशहूर जोड़ी राजेश खन्ना के साथ रही. दोनों ने आठ फिल्मों में साथ काम किया और हर फिल्म हिट साबित हुई. पर्दे पर उनकी केमिस्ट्री, खासकर ‘प्रेम कहानी’ और ‘आपकी कसम’ जैसी फिल्मों में, दर्शकों के दिलों पर अमिट छाप छोड़ गई.
1974 में जब मुमताज करियर के शिखर पर थीं, तब उन्होंने मयूर मधवानी से शादी करके फिल्मों से दूरी बना ली. शादी के बाद उन्होंने कुछ सालों के लिए इंडस्ट्री से दूरी रखी और परिवार को प्राथमिकता दी.
1990 में मुमताज ने एक बार फिर फिल्म ‘आंधियां’ के साथ वापसी की, लेकिन यह फिल्म चल नहीं सकी. इसके बाद उन्होंने फिल्मी दुनिया से संन्यास ले लिया, लेकिन उनकी जिंदगी में एक गंभीर मोड़ आया, जब उन्हें कैंसर का पता चला. उन्होंने तुरंत इलाज करवाने का फैसला लिया और अमेरिका में कीमोथैरेपी से लेकर सर्जरी तक का कठिन और दर्दनाक इलाज करवाया, लेकिन मानसिक तौर पर उन्होंने कभी हार नहीं मानी और ठीक होकर लौटीं.
मुमताज ने उस वक्त एक इंटरव्यू में कहा था, “मैं हर उस महिला को बताना चाहती हूं, जो कैंसर से जूझ रही है कि यह अंत नहीं है. अगर मुझ जैसी औरत इससे उबर सकती है, तो कोई भी कर सकता है. हिम्मत मत हारो, जिंदगी बहुत खूबसूरत है.”
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पीके/एबीएम
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