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परिसीमन नहीं होने से बिहार जैसे राज्यों को हो रहा नुकसान : उपेंद्र कुशवाहा

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गया, 29 जून . बिहार के गया में रविवार को राष्ट्रीय लोक मोर्चा ने ‘संवैधानिक अधिकार-परिसीमन सुधार महारैली’ का आयोजन किया. इस रैली में भाग लेने मोर्चा के प्रमुख और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा भी पहुंचे.

उन्होंने इस दौरान लोगों को संबोधित करते हुए जहां परिसीमन सुधार की वकालत की, वहीं विपक्ष पर जोरदार निशाना साधा. उन्होंने कहा कि परिसीमन नहीं होने से बिहार जैसे राज्यों को बहुत नुकसान हो रहा है.

राज्यसभा सांसद कुशवाहा ने कहा कि आपातकाल के बाद परिसीमन का कार्य रोक दिया गया, जो अभी तक रुका हुआ है. इस रुकावट से बिहार और उसके आसपास के कुछ राज्यों को बहुत नुकसान हो रहा है. अगर पुरानी व्यवस्था के अनुसार 2011 की जनसंख्या के आधार पर परिसीमन हुआ होता, तो बिहार में लोकसभा क्षेत्रों की संख्या 40 से बढ़कर कम से कम 60 हो गई होती. विधानसभा क्षेत्र की संख्या भी उसके अनुरूप बढ़ती, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. 50 साल से यह प्रक्रिया रुकी हुई है, जिससे बिहार के लोगों को बड़ा नुकसान हो रहा है.

उन्होंने कहा कि परिसीमन का मुद्दा जनता के हक से जुड़ा है. संविधान में हर दस साल पर जनगणना के बाद परिसीमन का प्रावधान है. कुशवाहा ने कहा कि यह लड़ाई सिर्फ लोकसभा सीटों की नहीं, बल्कि विधानसभा सीट, दलितों-पिछड़ों, महिलाओं के आरक्षण और उनके सही प्रतिनिधित्व की भी है. आज दक्षिण भारत में 21 लाख की आबादी पर एक सांसद है, जबकि बिहार में 31 लाख पर. इससे न संसदीय प्रतिनिधित्व सही है और न विकास का पैसा न्याय से मिल रहा है.

उन्होंने कहा कि सदन में 60 सांसद बिहार के लिए आवाज उठाएंगे तो हमारा बिहार विकसित होगा. उन्होंने लोगों से ‘ताकत’ देने की अपील करते हुए कहा कि हम मजबूती से आपकी आवाज सदन में उठाएंगे. यह हकमारी सभी समुदाय, सभी वर्ग और सभी धर्म की है.

राष्ट्रीय लोक मोर्चा के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि हमारी पार्टी ने तय किया है कि हमें आम लोगों के बीच यह जानकारी पहुंचानी है कि परिसीमन के अधिकार से हम वंचित हैं और हमारा नुकसान हो रहा है.

एमएनपी/एबीएम/डीएससी

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