भारत को मंदिरों का देश कहा जाता है, जहां हर राज्य में प्राचीन मंदिरों की एक लंबी सूची है। इनमें से कुछ मंदिरों के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं और इनकी पूजा भी केवल कुछ ही स्थानों पर की जाती है। गोवा के शिरोडा गांव में स्थित लैराई देवी मंदिर एक ऐसा ही खास मंदिर है, जो स्थानीय लोगों और पर्यटकों के लिए श्रद्धा का प्रमुख केंद्र है। इस मंदिर में हर साल एक विशाल जात्रा का आयोजन होता है, जो न केवल आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है, बल्कि एक अद्भुत सांस्कृतिक परंपरा को भी जीवित रखता है। हाल ही में, इस जात्रा के दौरान एक भगदड़ में पांच लोगों की मौत और कई अन्य लोग घायल हो गए थे, जिसने इस स्थान के धार्मिक महत्व को और अधिक उजागर किया है।
लैराई देवी कौन हैं?
लैराई देवी को दक्षिण गोवा में स्थित शिरोडा गांव में मुख्य रूप से पूजा जाता है। यह देवी स्थानीय लोगों के बीच शक्ति, रक्षक और उर्वरता का प्रतीक मानी जाती हैं। लैराई देवी की पूजा, उनके आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए की जाती है, और इस मंदिर का हर एक दर्शन आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है। लैराई देवी का उत्सव आमतौर पर मार्च महीने में बड़े उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है, जब भक्तजन देवी की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं और अपने दुखों से मुक्ति पाने की प्रार्थना करते हैं।
लैराई देवी की पौराणिक कहानी
गोवा में लैराई देवी के बारे में कई प्रसिद्ध कथाएँ प्रचलित हैं। इनमें से एक कहानी के अनुसार, लैराई देवी सात बहन और एक भाई के साथ धरती पर आईं थीं। वे हाथी पर सवार होकर शिरगांव स्थान पर आईं और वहां के वातावरण को इतना पसंद किया कि उन्होंने वहां बसने का निर्णय लिया। एक बार, जब लैराई देवी का भाई खाना पकाने के लिए लकड़ी नहीं ला सका, तो लैराई देवी ने उसे गुस्से में आकर लात मारी। बाद में उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ, और माफी मांगने के लिए वे आग में से गुजरने लगीं। यह परंपरा आज भी शिरगांव जात्रा के दौरान निभाई जाती है।
लैराई देवी जात्रा का महत्व
लैराई देवी जात्रा, गोवा में आयोजित होने वाली सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक यात्रा में से एक मानी जाती है। यह जात्रा हर साल वैशाख शुक्ल पंचमी के दिन आयोजित की जाती है, जो देवी लैराई के सम्मान में होती है। इस अवसर पर बड़ी संख्या में लोग एकत्रित होते हैं और देवी की पूजा करते हैं। खासतौर पर इस दिन एक 21 फीट ऊंची अग्नि की वेदी तैयार की जाती है, जो लगभग 15 फीट चौड़ी और 15 फीट लंबी होती है। यह वेदी आग पर चलने की परंपरा का हिस्सा होती है, जिसे देवी लैराई के आग में से गुजरने की कहानी से जोड़ा जाता है। भक्तजन इस अग्नि वेदी पर चलते हैं, जो एक प्रकार की श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक है।
लैराई देवी जात्रा के दौरान विशेष अनुष्ठान
लैराई देवी जात्रा के दौरान कई प्रकार के धार्मिक और सांस्कृतिक अनुष्ठान किए जाते हैं। भक्तजन देवी की पूजा, भजन-कीर्तन और अन्य धार्मिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं। इसके अलावा, गांव के लोग और बाहर से आने वाले श्रद्धालु मिलकर विभिन्न अनुष्ठान करते हैं और देवी के आशीर्वाद की प्राप्ति की प्रार्थना करते हैं। इस दिन देवी के मंदिर को सजाया जाता है और विशेष रूप से खाद्य पदार्थों का भोग अर्पित किया जाता है।
लैराई देवी जात्रा में हुई भगदड़
हालांकि, लैराई देवी की जात्रा एक धार्मिक उत्सव होती है, लेकिन हाल ही में एक हादसा भी हुआ। 2023 में, जात्रा के दौरान एक भगदड़ हुई, जिसमें 5 लोगों की मौत हो गई और लगभग 50 लोग घायल हो गए। इस घटना ने इस धार्मिक यात्रा की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर कई सवाल उठाए हैं। इसके बावजूद, लैराई देवी का यह उत्सव भक्तों के बीच अपनी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को बनाए रखने का एक प्रमुख माध्यम है।
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