बिहार में अगले कुछ महीनों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और ऐसे में हर तरफ चर्चाओं, अफवाहों और दावों की बाढ़ सी आ गई है। आम जनता उम्मीदों से भरी निगाहों से सरकार की तरफ देख रही है, लेकिन इसी बीच एक बड़ा भ्रम सामने आया—जिसमें कहा गया कि नीतीश सरकार हर महीने 100 यूनिट तक बिजली मुफ्त देने जा रही है। यह खबर कई लोगों के बीच उम्मीद की किरण बन गई थी, लेकिन अफसोस कि कुछ ही घंटों में सरकार की ओर से इस पर पूरी तरह से विराम लगा दिया गया।
शनिवार को बिहार वित्त विभाग (Bihar Finance Department) ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए इस दावे का सख्ती से खंडन किया और साफ कहा कि ऐसी कोई योजना या प्रस्ताव फिलहाल उनके पास विचाराधीन नहीं है। विभाग ने जनता से भावनात्मक अपील करते हुए आग्रह किया कि भ्रामक और झूठी खबरों को फैलाने से बचें और केवल सत्य व तथ्यों पर आधारित जानकारी को ही साझा करें।
क्या कहा बिहार वित्त विभाग ने?
बिहार वित्त विभाग ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में स्पष्ट किया, “कतिपय संचार माध्यमों में यह सूचना फैलाई जा रही है कि वित्त विभाग द्वारा प्रत्येक माह 100 यूनिट मुफ्त बिजली देने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है। लेकिन हम यह साफ कर देना चाहते हैं कि ऐसी कोई सहमति न दी गई है, न ही ऐसा कोई निर्णय लिया गया है।”
विभाग ने इस कथित सूचना को "तथ्यों से परे और भ्रामक" करार देते हुए अपील की, “कृपया ऐसे संवेदनशील मामलों में जिम्मेदारी से जानकारी साझा करें। जनता की आशाओं से जुड़ी कोई भी खबर अगर झूठी हो, तो वह सिर्फ भ्रम ही नहीं, निराशा भी फैला सकती है।”
चुनाव से पहले वादों की बारिश, लेकिन मुफ्त बिजली नहीं
चुनाव से पहले राज्य सरकार कई योजनाओं की घोषणा कर रही है, जिससे जनता में उम्मीदें जागी हैं। हाल ही में शुरू हुई ‘मुख्यमंत्री प्रतिज्ञा योजना’ के तहत युवाओं को 4,000 से 6,000 रुपये तक स्टाइपेंड देने की घोषणा की गई है, जिससे वे प्रतिष्ठित कंपनियों में इंटर्नशिप कर सकें।
साथ ही कलाकारों को हर महीने 3,000 रुपये की पेंशन देने की भी योजना है। इसके अलावा ‘सुरक्षा पेंशन योजना’ में मिलने वाली राशि को भी सरकार ने बढ़ाकर 1,100 रुपये कर दिया है, जो पहले सिर्फ 400 रुपये थी।
जनता के भरोसे से न खेलें
इस पूरे घटनाक्रम में सबसे अहम बात यह रही कि जब लोग चुनावी मौसम में किसी राहत या सुविधा की उम्मीद करते हैं, तो इस तरह की झूठी खबरें उन्हें भ्रमित और कभी-कभी गहरे मानसिक तनाव में भी डाल सकती हैं। इसलिए सरकार की ओर से समय रहते स्पष्टीकरण दिया जाना एक ज़िम्मेदार कदम है, जिससे जनभावनाओं को ठेस न पहुंचे।
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