महाराष्ट्र के अहमदनगर में आयोजित एक जनसभा के दौरान एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने केंद्र सरकार पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) के तहत उन्हें भेजे गए नोटिस को लेकर सवाल उठाते हुए कहा कि जब अन्य विपक्षी नेताओं को नोटिस नहीं भेजा गया, तो केवल उन्हें ही क्यों निशाना बनाया गया? ओवैसी का यह बयान राजनीतिक गलियारों में नई हलचल पैदा कर रहा है और सरकार की नई आपराधिक न्याय प्रणाली की निष्पक्षता पर सवाल खड़े कर रहा है।
“मेरे साथ भेदभाव क्यों किया गया?”
लोकसभा में BNSS संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान ओवैसी ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। अपने 20 मिनट के भाषण में उन्होंने कहा कि यह नया कानून, जो अब सीआरपीसी की जगह ले चुका है, "न्याय" के नाम पर विपक्ष को दबाने का एक नया औजार बन गया है। उन्होंने BNSS की धारा 223 का उल्लेख करते हुए बताया कि नोटिस जारी करने से पहले शिकायतकर्ता और गवाहों के बयान दर्ज करना जरूरी होता है, लेकिन उनके मामले में यह प्रक्रिया पूरी तरह से अनदेखी की गई।
ओवैसी ने कहा, “इलाहाबाद हाई कोर्ट ने साफ कहा है कि बिना गवाहों के बयान के कोई भी नोटिस अवैध है, फिर मेरे साथ यह भेदभाव क्यों? क्या कानून का इस्तेमाल केवल विपक्षी आवाज़ों को दबाने के लिए किया जा रहा है?”
“यह नोटिस राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा”
ओवैसी ने बताया कि उन्हें 8 अक्टूबर को नोटिस मिला, उस वक्त दिल्ली में धारा 163 लागू थी और विरोध प्रदर्शनों को रोकने के लिए माहौल तनावपूर्ण था। उन्होंने कहा, “कांग्रेस या दूसरे विपक्षी दलों को कोई नोटिस नहीं मिला। क्या इसलिए कि मैं सरकार की नीतियों की सबसे कड़ी आलोचना करता हूं? यह कदम राजनीतिक बदले की भावना से उठाया गया है।”
उन्होंने आगे कहा कि BNSS के तहत सात साल से अधिक सजा वाले अपराधों के लिए फॉरेंसिक जांच अनिवार्य है, लेकिन उनके मामले में इस नियम की भी अनदेखी की गई। “अगर यह न्याय व्यवस्था है, तो इसे समान रूप से लागू किया जाए, न कि चुनिंदा लोगों पर,” ओवैसी ने जोर देते हुए कहा।
“खामखा मुझे लव लेटर दे रहे हैं”
अपने चिर-परिचित अंदाज में ओवैसी ने व्यंग्य करते हुए कहा, “मैं ही अकेला मर्द हूं क्या, जो नोटिस भेजा गया? अगर आज महात्मा गांधी और भगत सिंह जिंदा होते, तो वे भी इस कानून के खिलाफ आवाज उठाते। मुझे देश से मोहब्बत है, लेकिन सरकार मुझे ये लव लेटर (नोटिस) भेज रही है, जैसे मैं कोई दुश्मन हूं।”
“BNSS लोकतंत्र पर हमला है”
ओवैसी ने संसद के 2023 सत्र का जिक्र करते हुए कहा कि जिस तरह तब 151 सांसदों को निलंबित किया गया था, वैसा ही माहौल दोबारा बनाया जा रहा है। “मैंने राजनीति देश सेवा के लिए चुनी है, डर के लिए नहीं। अगर BNSS न्याय का प्रतीक है, तो इसे हर नागरिक पर समान रूप से लागू किया जाना चाहिए। अन्यथा यह लोकतंत्र पर सीधा हमला है,” उन्होंने कहा।
उनके भाषण पर विपक्षी सांसदों ने तालियां बजाईं, जबकि सत्तारूढ़ दल के सदस्यों ने कड़ा विरोध जताया। इस पर गृह मंत्री ने सफाई दी कि “नोटिस केवल कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा हैं,” लेकिन ओवैसी ने इसे “निंदा योग्य न्याय” बताया।
“यह लड़ाई लोकतंत्र और न्याय की है”
ओवैसी ने BNSS की उन धाराओं की भी आलोचना की जो पुलिस हिरासत को 15 दिनों तक बढ़ाने की अनुमति देती हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि इससे बेल मिलना और कठिन हो जाएगा तथा नागरिक अधिकारों पर असर पड़ेगा।
सभा के अंत में ओवैसी ने दो टूक कहा, “मैं डरने वाला नहीं हूं। यह लड़ाई मेरी नहीं, बल्कि संविधान, न्याय और लोकतंत्र की रक्षा की लड़ाई है। चाहे कोई कितनी भी कोशिश कर ले, मैं अपनी आवाज़ बुलंद रखूंगा।”
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