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अर्थजगतः शेयर बाजार में लगातार दूसरे दिन गिरावट और भारत का कॉफी निर्यात 55 प्रतिशत बढ़ा, वैश्विक मांग बढ़ी

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शेयर बाजार में लगातार दूसरे दिन गिरावट, सेंसेक्स 319 अंक फिसला

विदेशी कोषों की लगातार निकासी और वैश्विक बाजारों के कमजोर रुख के बीच बुधवार को सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) और वाहन क्षेत्र के शेयरों में बिकवाली का जोर रहने से स्थानीय बाजारों में गिरावट रही। मानक सूचकांक सेंसेक्स 319 अंक टूट गया जबकि निफ्टी में 86 अंक की गिरावट आई। बीएसई का 30 शेयरों पर आधारित मानक सूचकांक सेंसेक्स लगातार दूसरे दिन गिरावट पर रहा और 318.76 अंक यानी 0.39 प्रतिशत फिसलकर 81,501.36 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 461.86 अंक गिरकर 81,358.26 अंक पर आ गया था।

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का मानक सूचकांक निफ्टी भी 86.05 अंक यानी 0.34 प्रतिशत की गिरावट के साथ 24,971.30 अंक पर बंद हुआ। सेंसेक्स की कंपनियों में महिंद्रा एंड महिंद्रा, इन्फोसिस, कोटक महिंद्रा बैंक, जेएसडब्ल्यू स्टील, अदाणी पोर्ट्स, टाटा मोटर्स, आईटीसी और टाइटन के शेयरों में सबसे ज्यादा गिरावट रही। दूसरी तरफ एचडीएफसी बैंक, भारती एयरटेल, रिलायंस इंडस्ट्रीज, एशियन पेंट्स और भारतीय स्टेट बैंक के शेयर लाभ के साथ बंद हुए।

भारत का कॉफी निर्यात 55 प्रतिशत बढ़ा, वैश्विक मांग में वृद्धि

भारत का कॉफी निर्यात चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में सालाना आधार पर 55 प्रतिशत बढ़कर 7,771.88 करोड़ रुपये हो गया है, यह पिछले वित्त वर्ष की सामन अवधि में 4,956 करोड़ रुपये पर था। इसमें बढ़त की वजह दुनिया में भारतीय कॉफी की मांग में इजाफा होना है। कॉफी बोर्ड ऑफ इंडिया की ओर से जारी किए गए डेटा में बताया गया कि अप्रैल से सितंबर की अवधि में भारत द्वारा 2.2 लाख टन कॉफी का निर्यात किया गया है। बीते वित्त वर्ष की समान अवधि में यह आंकड़ा 1.91 लाख टन था, जो दिखाता है पिछले एक वर्ष में वॉल्यूम में 15 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। प्रत्याशित यूरोपीय निर्यात नियमों के बीच, अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कॉफी की कीमत में तेज वृद्धि हुई है।

कॉफी खरीदार भारतीय कॉफी के लिए औसतन 352 रुपये प्रति किलोग्राम का भुगतान कर रहे हैं, जो पहले 259 रुपये प्रति किलोग्राम था। भारत की ओर से कॉफी का सबसे ज्यादा निर्यात इटली को किया है। देश के कॉफी निर्यात में इटली की हिस्सेदारी 20 प्रतिशत है। इसके बाद जर्मनी, रूस, यूएई और बेल्जियम की संयुक्त हिस्सेदारी 45 प्रतिशत है। फसल वर्ष 2023-24 में भारत में कॉफी का उत्पादन लगभग 3.6 लाख मीट्रिक टन था। 2021-22 के दौरान, भारतीय कॉफी निर्यात 1.016 बिलियन डॉलर रहा, जो पिछले वर्ष 2020-21 से 38 प्रतिशत अधिक था। वर्ष 2021-22 में वैश्विक कॉफी निर्यात में लगभग 6 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ भारत दुनिया में कॉफी का पांचवां सबसे बड़ा निर्यातक था। भारत के कॉफी उत्पादन का लगभग 70 प्रतिशत कर्नाटक में होता है। केरल भारत के कॉफी उत्पादन में 20 प्रतिशत का योगदान देता है, जो इसे देश में दूसरा सबसे बड़ा कॉफी उत्पादक राज्य बनाता है। तमिलनाडु 5.7 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ तीसरे स्थान पर है।

केंद्र ने रबी फसलों के लिए एमएसपी में किया इजाफा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने बुधवार को 2025-26 के लिए सभी जरूरी रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को बढ़ाने का ऐलान किया। सीसीईए द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, एमएसपी में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी सरसों के लिए 300 रुपये प्रति क्विंटल की गई है, इसके बाद मसूर की एमएसपी को 275 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाया गया है। चना, गेहूं, कुसुम और जौ के लिए क्रमशः 210 रुपये प्रति क्विंटल, 150 रुपये प्रति क्विंटल, 140 रुपये प्रति क्विंटल और 130 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि हुई है।

एमएसपी में वृद्धि केंद्रीय बजट 2018-19 में न्यूनतम समर्थन मूल्य को अखिल भारतीय भारित औसत उत्पादन लागत के कम से कम 1.5 गुना के स्तर पर तय करने की घोषणा के अनुरूप है। सरकार के अनुसार, अखिल भारतीय भारित औसत उत्पादन लागत पर अनुमानित मार्जिन गेहूं के लिए 105 प्रतिशत है, इसके बाद सरसों के लिए 98 प्रतिशत है, दाल के लिए 89 प्रतिशत, चने के लिए 60 प्रतिशत, जौ के लिए 60 प्रतिशत और कुसुम के लिए 50 प्रतिशत है। सरकार ने कहा कि रबी फसलों की बढ़ी हुई एमएसपी यह सुनिश्चित करेगी कि किसानों के लिए उनकी फसल लाभाकारी हो। इसके साथ ही यह फसल विविधीकरण को भी प्रोत्साहित करेगी।

पिछले महीने कैबिनेट ने 24,475.53 करोड़ रुपये के बजटीय परिव्यय के साथ फॉस्फेटिक और पोटाश (पी एंड के) उर्वरकों पर रबी फसलों के लिए पोषक तत्व-आधारित सब्सिडी (एनबीएस) दरों को मंजूरी दी थी। इस निर्णय से किसानों को सब्सिडीयुक्त, किफायती और उचित मूल्य पर उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित होगी। देश ने कृषि वर्ष 2023-24 में रिकॉर्ड 3,322.98 एलएमटी (लाख मीट्रिक टन) का खाद्यान्न उत्पादन दर्ज किया, जो कृषि वर्ष 2022-23 के दौरान प्राप्त 3,296.87 एलएमटी खाद्यान्न उत्पादन की तुलना में 26.11 एलएमटी अधिक है। चावल, गेहूं और बाजरा की अच्छी फसलों के कारण खाद्यान्न उत्पादन में रिकॉर्ड वृद्धि देखी गई थी।

सोना रिकॉर्ड ऊंचाई पर, चांदी में 1,000 रुपये का उछाल

आभूषण विक्रेताओं की सतत लिवाली के कारण बुधवार को राष्ट्रीय राजधानी के सर्राफा बाजार में सोने की कीमत 250 रुपये की तेजी के साथ 78,900 रुपये प्रति 10 ग्राम के नए सर्वकालिक उच्चस्तर पर पहुंच गई। अखिल भारतीय सर्राफा संघ ने यह जानकारी दी। मंगलवार को पिछले सत्र में सोना 78,650 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था। औद्योगिक इकाइयों और सिक्का निर्माताओं की ताजा लिवाली के कारण चांदी भी 1,000 रुपये उछलकर 93,500 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई। मंगलवार को यह 92,500 रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुई थी।

इस बीच, 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना 250 रुपये उछलकर 78,500 रुपये प्रति 10 ग्राम के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया, जबकि पिछला बंद भाव 78,250 रुपये प्रति 10 ग्राम था। व्यापारियों ने सोने की कीमतों में तेजी की वजह स्थानीय आभूषण विक्रेताओं की मजबूत मांग को बताया। इसके अलावा, शेयर बाजारों में गिरावट से भी सोने में तेजी को बल मिला क्योंकि निवेशकों ने सोने जैसी सुरक्षित निवेश वाली परिसंपत्तियों की ओर रुख किया। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) के वायदा कारोबार में दिसंबर डिलिवरी वाले सोने का अनुबंध 268 रुपये या 0.35 प्रतिशत बढ़कर 76,628 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गया।

एक्सचेंज में दिसंबर डिलिवरी वाले चांदी के अनुबंध का भाव 580 रुपये या 0.63 प्रतिशत बढ़कर 92,203 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया। एलकेपी सिक्योरिटीज के शोध विश्लेषण विभाग के उपाध्यक्ष - जिंस एंड मुद्रा जतीन त्रिवेदी ने कहा, ‘‘एमसीएक्स में तेजी के साथ सोने की कीमतें ऊंची रहीं, जबकि कॉमेक्स सोना 2,675 डॉलर से ऊपर कारोबार कर रहा था।’’ वैश्विक स्तर पर कॉमेक्स सोना वायदा 0.51 प्रतिशत बढ़कर 2,692.50 डॉलर प्रति औंस हो गया। एशियाई बाजार में चांदी 0.91 प्रतिशत बढ़कर 32.05 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गई।

भारत में दूसरी तिमाही में दोपहिया वाहनों की धड़ाधड़ हुई बिक्री

इस वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में दोपहिया और तिपहिया वाहनों की बिक्री में वृद्धि दर्ज हुई है। बुधवार को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, दूसरी तिमाही में सालाना आधार पर दोपहिया वाहनों की बिक्री में मजबूत दोहरे अंकों की वृद्धि देखी गई। दूसरी ओर, तिपहिया वाहनों की बिक्री में एक अंक में वृद्धि दर्ज हुई। थोक मात्रा का रुझान मिश्रित रहा। जुलाई से सितंबर के बीच, ओरिजिनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर्स (ओईएम) के राजस्व और मुनाफे में अलग-अलग वृद्धि हुई। दोपहिया वाहनों ने अन्य वाहनों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया। बीएनपी पारिबा इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, "हम अभी भी सेक्टर की अनुकूल परिस्थितियों को देखते हुए यात्री वाहनों (पीवी) के प्रति दीर्घकालिक रूप से सकारात्मक हैं और वाणिज्यिक वाहनों (सीवी) में कमजोरी को एक अस्थायी बाधा के रूप में देखते हैं।"

यात्री वाहनों की मात्रा में मामूली गिरावट आई और वाणिज्यिक वाहनों की मात्रा भी कमजोर रही, जो लम्बे समय तक मानसून रहने और बुनियादी ढांचे की गतिविधियों में मंदी के कारण प्रभावित हुई। होंडा मोटरसाइकिल ने दोपहिया में सबसे अधिक बाजार हिस्सेदारी (खुदरा) हासिल की, जबकि हीरो मोटोकॉर्प लिमिटेड ने वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में सबसे अधिक नुकसान उठाया। यात्री वाहनों में, महिंद्रा एंड महिंद्रा ने सबसे अधिक बाजार हिस्सेदारी हासिल की, जबकि मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड और हुंडई को नुकसान हुआ।

रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में दो पहियों वाले वाहन की बिक्री में तेजी से वृद्धि होने की उम्मीद है, जबकि महिंद्रा को छोड़कर यात्री वाहनों की बिक्री में थोड़ी कमी आ सकती है। यात्री वाहन इन्वेंट्री के उच्च स्तर, बढ़ती छूट और त्योहारी मांग को लेकर नजर रखना महत्वपूर्ण होगा। रिपोर्ट में कहा गया है, "वैश्विक स्तर पर कमजोर होती ऑटो मांग को देखते हुए, अब हम जगुआर लैंड रोवर (जेएलआर) द्वारा अपने वित्त वर्ष 2025 के मार्गदर्शन में कटौती करने का जोखिम देखते हैं।"

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