मुंबई : दिल में ट्यूमर होना बहुत ही कम होता है। दस लाख लोगों में से एक को भी ये बीमारी नहीं होती। डोंबिवली में रहने वाले 67 साल के योगेश मेहता के दिल में मायक्सोमा नाम का ट्यूमर था। यह ट्यूमर खतरनाक नहीं था, लेकिन उनके दिल की एक मुख्य धमनी में ब्लॉकेज भी था। हार्ट सर्जन डॉ. बिजॉय कुट्टी ने मेहता का ऑपरेशन किया।डॉ. बिजॉय ने बताया कि यह बहुत ही कम होता है कि किसी को राइट एट्रियल मायक्सोमा हो और साथ ही दिल की बीमारी भी हो। उन्होंने कहा कि मेहता को एक साथ दो परेशानियां थीं। अचानक पड़े बीमारमेहता पहले महाराष्ट्र में हार्डवेयर का बिजनेस करते थे। उन्हें कुछ ऐसे लक्षण हो रहे थे जो दिल की बीमारी जैसे नहीं लग रहे थे। उन्हें दस्त और कमजोरी हो रही थी, इसलिए डॉक्टरों ने उनके पेट की जांच की। संतरे के आकार को था ट्यूमरएक और अजीब बात ये थी कि जब वो बिस्तर पर लेटते थे तो उन्हें सांस लेने में दिक्कत होती थी या वो बेहोश हो जाते थे। लेकिन इसे भी किसी ने दिल की बीमारी नहीं समझा। डॉ. कुट्टी ने कहा कि मेहता ने पिछले दो महीनों में कई डॉक्टरों को दिखाया, लेकिन किसी ने भी इन लक्षणों को नहीं समझा। बाद में पता चला कि ट्यूमर इतना बड़ा हो गया था कि उसने उनके दिल और खून की नसों पर दबाव डालना शुरू कर दिया था, इससे खून का दौरा ठीक से नहीं हो रहा था और उन्हें चक्कर आ रहे थे। डॉक्टर ने बताया कि जब उन्होंने ट्यूमर निकाला तो वो एक छोटे संतरे के आकार का था। अचानक बाथरूम में गिरेमेहता की पत्नी, तृप्ति ने बताया कि उन्हें कई सालों से डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर था। लेकिन उनके परिवार को दिल की बीमारी के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। 23 मार्च को वह बाथरूम में गिर गए थे। तृप्ति ने कहा कि उन्हें होश में लाने में हमें थोड़ा समय लगा। उनके बेटे, पारस उन्हें पास के ओम हॉस्पिटल ले गए वहां से उन्हें डोंबिवली के प्राइवेट हॉस्पिटल में भेजा गया। पांच घंटे चला ऑपरेशनडॉ. कुट्टी ने मेहता की जांच की। उन्होंने स्कैन में ट्यूमर और ब्लॉकेज दोनों देखे। उन्होंने परिवार से कहा कि वह उन्हें मुलुंड के बड़े हॉस्पिटल ले जाएं। 26 मार्च को मेहता का ऑपरेशन हुआ। डॉक्टरों ने ट्यूमर और ब्लॉकेज दोनों को हटा दिया। यह ऑपरेशन पांच घंटे तक चला। डॉक्टरों ने कहा कि ट्यूमर दोबारा नहीं होगा। नली हो सकती थी ब्लॉकदिल के ट्यूमर में सबसे बड़ी चिंता ये होती है कि ट्यूमर का एक टुकड़ा टूटकर खून में जा सकता है। इससे खून की नली ब्लॉक हो सकती है और स्ट्रोक या दूसरी दिक्कतें हो सकती हैं। इसे एम्बोलिज़ेशन कहते हैं। मेहता के तीन बेटे हैं। वे खुश हैं कि उनके पिता को दूसरी जिंदगी मिली है।
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