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पायलट की सूझ-बूझ से बची 140 से ज्यादा लोगों की जान, जानें कैसे कराई प्लेन की सेफ लैंडिंग

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नई दिल्ली: शुक्रवार को शाम के करीब 5 बजे थे। तिरुचलापल्ली (तमिलनाडु) से शारजाह जाने वाली एयर इंडिया एक्सप्रेस की फ्लाइट AXB 613 त्रिची एयरपोर्ट से कुछ देर में उड़ान भरने वाली थी। प्लेन में 140 से ज्यादा यात्री सवार थे। सारी तैयारियां हो चुकी थीं। प्लेन ने 5.40 बजे उड़ान भरी। लेकिन कुछ ही सेकेंड बाद पता चला कि प्लेन में खराबी आ गई है। प्लेन का हाइड्रोलिक सिस्टम फेल हो गया था। इसके बाद पायलट ने प्लेन की त्रिची एयरपोर्ट पर ही इमरजेंसी लैंडिंग कराने के बारे में सोचा। चूंकि प्लेन में ज्यादा ईंधन भरा था, ऐसे में लैंडिंग कराना खतरे से खाली नहीं था। इसलिए उन्होंने करीब ढाई घंटे तक हवा में ही प्लेन के चक्कर लगाए। इसके बाद रात करीब सवा आठ बजे प्लेन की एयरपोर्ट पर सेफ लैंडिंग हुई। पायलट की सूझ-बूझ से 140 से ज्यादा लोगों की जान बच गई। एयरपोर्ट पर मौजूद स्टाफ और लोगों ने तालियों से विमान के पायलट के काम की तारीफ की। ANI के मुताबिक इस प्लेन के पायलट इकरोम रिफादली फहमी जैनल और को-पायलट मैत्रेयी श्रीकृष्ण शितोले थे। आसान नहीं होती लैंडिंगप्लेन के हाइड्रोलिक सिस्टम फेल हो जाने पर इसकी लैंडिंग कराना आसान नहीं होता। कई बार क्रैश लैंडिंग भी करानी पड़ती है। इससे प्लेन में सवार यात्रियों की जान तक जा सकती है। प्लेन का हाइड्रोलिक सिस्टम कई तरह के काम करता है। इनमें लैंडिंग गियर का संचालन, फ्लैप्स का मूवमेंट, एयरलॉन और राडार का नियंत्रण आदि शामिल हैं। जब प्लेन लैंड करता है कि उसके लैंडिंग गियर खुलते हैं। यानी प्लेन के पहिए खुलते हैं ताकि प्लेन आसानी से उतर सके। हाइड्रोलिक सिस्टम फेल होने पर लैंडिंग गियर नहीं खुलते जिससे प्लेन की क्रैश लैंडिंग करानी होती है। इसे बेली लैंडिंग भी कहते हैं। इसमें विमान रनवे पर बिना पहिए खुले आधे-अधुरे खुले पहियों के साथ बेली यानी पेट के बल घिसटता हुआ लैंड होता है। इससे विमान और रनवे को काफी नुकसान होता है। कई बार विमान बीच में से टूट जाता है और इसमें आग भी लग जाती है। पायलट ने दिखाई सूझ-बूझ एयर इंडिया एक्सप्रेस की इस फ्लाइट की सुरक्षित लैंडिंग हुई। विमान की सुरक्षित लैंडिंग कराने के लिए पायलट ने कई तरह की सूझ-बूझ दिखाई। 1. एटीसी को सूचना देनाटेक ऑफ के बाद जब पता चला कि विमान के हाइड्रोलिक सिस्टम में खराबी आ गई है तो उन्होंने इसकी सूचना एटीसी को दी। पायलट ने इमरजेंसी लैंडिंग घोषित कर दी। इसके बाद एयरपोर्ट पर फायर ब्रिगेड और एंबुलेंस तैनात कर दी गई थी। साथ ही इमरजेंसी रेस्क्यू टीम को भी तैयार रखा गया था। 2. हवा में चक्कर काटनातिरुचलापल्ली से शारजाह की दूरी प्लेन को करीब साढ़े चार घंटे में पूरी करनी थी। इसके लिए इसमें काफी मात्रा में ईंधन भरा था। अगर ऐसे में विमान को त्रिची एयरपोर्ट पर ही लैंड कराना किसी खतरे से कम नहीं था। ज्यादा फ्यूल होने पर प्लेन को लैंड कराने पर काफी दबाव बनता। चूंकि प्लेन के हाइड्रोलिक सिस्टम में खराबी थी। ऐसे में क्रैश लैंडिंग भी हो सकती थी। अगर ऐसा होता तो जरा सी चिंगारी से प्लेन में आग लग सकती थी और सभी यात्रियों की जान जा सकती थी।प्लेन में मौजूद ईंधन को कम करने के लिए इसे करीब ढाई घंटे तक हवा में चक्कर लगाने पड़े। कई बार पायलट उड़ान के दौरान ईंधन को प्लेन से निकाल भी देते हैं। लेकिन पायलट ने यहां ऐसा नहीं किया गया क्योंकि जहां प्लेन चक्कर लगा रहा था, उसके नीचे घनी आबादी थी। पायलट ने प्लेन के हवा में चक्कर लगवाकर उसमें भरे ईंधन को काफी कम कर दिया था। नागरिक उड्डयन मंत्री ने की तारीफइस घटना पर नागरिक उड्डयन मंत्री राममोहन नायडू ने एक स्टेटमेंट जारी किया है। उन्होंने इसमें लिखा है, 'त्रिची से शारजाह जा रही एयर इंडिया एक्सप्रेस की फ्लाइट AXB 613 में हाइड्रोलिक फेलियर की सूचना मिली थी। इस फ्लाइट में 141 यात्री सवार थे। यह फ्लाइट त्रिची एयरपोर्ट पर सुरक्षित लैंडिंग कर चुकी है। चालक दल ने सभी सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन किया ताकि इमरजेंसी के दौरान हर यात्री सुरक्षित रहे। शाम 6 बजकर 5 मिनट पर इमरजेंसी घोषित होने के बाद एयरपोर्ट और इमरजेंसी टीमों ने तेजी से और प्रभावी ढंग से काम किया। हम विमान की लैंडिंग की तैयारी में उनके तुरंत रिस्पॉन्स की सराहना करते हैं।'
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