आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू अपने राज्य में जन्मदर बढ़ाना चाहते हैं और इसके लिए उन्होंने फाइनैंशल इन्सेंटिव्स देने की योजना बनाई है। चंद्रबाबू के इस फैसले के पीछे सामाजिक से ज्यादा राजनीतिक कारण हैं। हालांकि आबादी के मामले में चीजें इस तरह से काम नहीं करती हैं।
विरोधी विचार: नायडू का कहना है कि परिवार जितना बड़ा होगा, उसे उतना ही ज्यादा आर्थिक अनुदान मिलेगा। इससे पहले वह महिलाओं के लिए कितनी भी बार मैटर्निटी लीव और वर्कप्लेस पर बच्चों के लिए सेंटर जैसे नियम बना चुके हैं। विडंबना है कि इसी आंध्र प्रदेश में ऐसे लोगों को निकाय चुनावों में खड़े होने से रोकने के लिए नियमों में बदलाव किया गया था, जिनके दो से ज्यादा बच्चे हैं।
सीटों की चिंता: आंध्र की पॉलिसी में यह बदलाव आया कैसे? इसका जवाब बहुत कुछ संख्या बल की राजनीति में है। आंध्र समेत दक्षिण के सभी राज्यों में यह चिंता है कि कम आबादी की वजह से उनकी राजनीतिक हैसियत में कमी आई है। परिसीमन पर दक्षिण का विरोध इसी वजह से है कि उत्तर के राज्यों की तुलना में उनके यहां लोकसभा की सीटें कम बढ़ सकती हैं और इससे देश की सियासत में वह कमजोर पड़ जाएगा। चंद्रबाबू इसी के चलते दक्षिणी राज्यों से अपनी जनसंख्या नीति पर पुनर्विचार करने की अपील कर रहे हैं।
चीन का उदाहरण: हालांकि जनसंख्या इस तरह स्टॉप-स्टार्ट मोड में काम नहीं करती और इसका सबसे बड़ा उदाहरण चीन है। पेइचिंग ने करीब चार दशकों तक वन चाइल्ड पॉलिसी का सख्ती से पालन किया। जब इसका असर उसकी वर्कफोर्स पर पड़ा, तो 2015 में उसने दो बच्चों और फिर तीन बच्चों तक की छूट दे दी, लेकिन इससे उसकी जन्मदर पर खास फर्क नहीं पड़ा। वजह है कि शिक्षा का स्तर बढ़ने के साथ ही लोगों का ध्यान क्वॉलिटी लाइफस्टाइल की तरफ गया है।
जन्म दर में गिरावट: दक्षिण का डर कि उसकी आबादी गिर रही है, तस्वीर को अधूरा देखना है। असल में पूरे देश में जन्म दर में गिरावट आई है। सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम की 2021 की रिपोर्ट बताती है कि देश में फर्टिलिटी रेट (TFR) 2.0 है यानी हर कपल औसतन दो बच्चे पैदा कर रहा है। सबसे कम, 1.4 TFR दिल्ली और पश्चिम बंगाल का था। तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और केरल में फर्टिलिटी रेट 1.5, जबकि तेलंगाना और कर्नाटक में 1.6 दर्ज की गई थी।
असल लक्ष्य: शिक्षा के साथ आई जागरूकता के कारण पिछले दशक से आबादी में बढ़ोत्तरी नियंत्रण में आई है। भारत के सामने समस्या जनसंख्या घटने की नहीं, बल्कि यह है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को किस तरह स्किल्ड बनाया जाए ताकि वे भी विकास में साझीदार हों और उनके जीवन स्तर में सुधार आए।
विरोधी विचार: नायडू का कहना है कि परिवार जितना बड़ा होगा, उसे उतना ही ज्यादा आर्थिक अनुदान मिलेगा। इससे पहले वह महिलाओं के लिए कितनी भी बार मैटर्निटी लीव और वर्कप्लेस पर बच्चों के लिए सेंटर जैसे नियम बना चुके हैं। विडंबना है कि इसी आंध्र प्रदेश में ऐसे लोगों को निकाय चुनावों में खड़े होने से रोकने के लिए नियमों में बदलाव किया गया था, जिनके दो से ज्यादा बच्चे हैं।
सीटों की चिंता: आंध्र की पॉलिसी में यह बदलाव आया कैसे? इसका जवाब बहुत कुछ संख्या बल की राजनीति में है। आंध्र समेत दक्षिण के सभी राज्यों में यह चिंता है कि कम आबादी की वजह से उनकी राजनीतिक हैसियत में कमी आई है। परिसीमन पर दक्षिण का विरोध इसी वजह से है कि उत्तर के राज्यों की तुलना में उनके यहां लोकसभा की सीटें कम बढ़ सकती हैं और इससे देश की सियासत में वह कमजोर पड़ जाएगा। चंद्रबाबू इसी के चलते दक्षिणी राज्यों से अपनी जनसंख्या नीति पर पुनर्विचार करने की अपील कर रहे हैं।
चीन का उदाहरण: हालांकि जनसंख्या इस तरह स्टॉप-स्टार्ट मोड में काम नहीं करती और इसका सबसे बड़ा उदाहरण चीन है। पेइचिंग ने करीब चार दशकों तक वन चाइल्ड पॉलिसी का सख्ती से पालन किया। जब इसका असर उसकी वर्कफोर्स पर पड़ा, तो 2015 में उसने दो बच्चों और फिर तीन बच्चों तक की छूट दे दी, लेकिन इससे उसकी जन्मदर पर खास फर्क नहीं पड़ा। वजह है कि शिक्षा का स्तर बढ़ने के साथ ही लोगों का ध्यान क्वॉलिटी लाइफस्टाइल की तरफ गया है।
जन्म दर में गिरावट: दक्षिण का डर कि उसकी आबादी गिर रही है, तस्वीर को अधूरा देखना है। असल में पूरे देश में जन्म दर में गिरावट आई है। सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम की 2021 की रिपोर्ट बताती है कि देश में फर्टिलिटी रेट (TFR) 2.0 है यानी हर कपल औसतन दो बच्चे पैदा कर रहा है। सबसे कम, 1.4 TFR दिल्ली और पश्चिम बंगाल का था। तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और केरल में फर्टिलिटी रेट 1.5, जबकि तेलंगाना और कर्नाटक में 1.6 दर्ज की गई थी।
असल लक्ष्य: शिक्षा के साथ आई जागरूकता के कारण पिछले दशक से आबादी में बढ़ोत्तरी नियंत्रण में आई है। भारत के सामने समस्या जनसंख्या घटने की नहीं, बल्कि यह है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को किस तरह स्किल्ड बनाया जाए ताकि वे भी विकास में साझीदार हों और उनके जीवन स्तर में सुधार आए।
You may also like
किरोड़ी लाल मीणा के एक्शन पर गरमाई सियासत! छापेमारी को लेकर मंत्री बेढम बोले -'वो जो भी कर रहे हैं वो...'
बारिश में साइड मिरर पर नहीं जमेगी पानी की बूंदें, ट्रैफिक पुलिस वाले की 'आलू ट्रिक' से ड्राइविंग होगी आसान
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2025: अयोध्या में राम मंदिर प्रांगण, प्रयागराज और काशी में आध्यात्मिक ऊर्जा के संग हुआ योगाभ्यास
'दृश्यम' जैसी साजिश: फरीदाबाद में बहू की हत्या कर 12 फीट गहरे गड्ढे में दफनाया, दो महीने बाद हुआ खुलासा
तीन दिन में आधा राजस्थान जलमग्न, सड़कें बन गई दरिया, 30 जिलों में आज तेज बारिश का अलर्ट