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आटा गेहूं से सस्ता कैसे हो गया? बंदे ने वीडियो बनाकर इंटरनेट पर डाला तो हो गया ट्रोल, यूजर ने समझाया पूरा गणित

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सोशल मीडिया पर एक वीडियो लोगों के बीच चर्चा और हंसी का विषय बना हुआ है। वीडियो में एक ग्राहक गेहूं और आटे के दाम देखकर हैरान रह जाता है। स्टोर में जहां गेहूं का प्राइस 37.50 रुपये किलो लिखा है, वहीं आटा 32 रुपये किलो में बिक रहा है। ग्राहक कैमरा दोनों बोर्ड्स की तरफ घुमाता है और फिर अपना उलझन भरा चेहरा दिखाते हुए पूछता है- आटा गेहूं से सस्ता कैसे हो गया? बस, यही सवाल अब इंटरनेट पर मजाक और बहस का नया मुद्दा बन गया है! लोग इसे भारत के 'प्राइसिंग लॉजिक' पर तंज कसते हुए शेयर कर रहे हैं।
आटा गेहूं से सस्ता कैसे हो गया? image

यह वीडियो X हैंडल @hiigh_heels से 15 अक्टूबर को पोस्ट किया गया। उन्होंने कैप्शन में लिखा - आटा, गेहूं से सस्ता कैसे हो गया? इस पोस्ट को खबर लिखे जाने तक 1 लाख 64 हजार से ज्यादा व्यूज और 2 हजार से अधिक लाइक्स मिल चुके हैं। जबकि सैकड़ों यूजर्स ने इस पर प्रतिक्रिया दी है।




डीमार्ट का है वीडियो!​



वीडियो में ग्राहक बताता है कि वह डीमार्ट गया था, जहां उसने देखा - गेहूं 37.50 रुपये किलो मिल रहा है। जबकि आटा सिर्फ 32 रुपये किलो। ग्राहक कैमरा दोनों रेट बोर्ड्स की तरफ घुमाता है। एक पर गेहूं की कीमत लिखी है और दूसरे पर आटे की और आखिर में उसका उलझन भरा चेहरा नजर आता है।
यूजर ने समझा दिया पूरा गणित image

यह वीडियो देखते ही सोशल मीडिया पर यूजर्स ने मजेदार प्रतिक्रियाएं देनी शुरू कर दीं। किसी ने इसे 'भारत के बिजनेस का रहस्य' बताया तो किसी ने कहा - अब तो गणित भी धोखा दे रहा है। एक यूजर ने लिखा - आपको सिर्फ ‘आटा’ और ‘गेहूं’ के नाम पता हैं, किस्में नहीं। मार्केट में जो आटा मिलता है वो अक्सर कीटनाशक और कम क्वालिटी वाले गेहूं से बनता है। असली गेहूं की कई वैरायटी होती हैं, जैसे टाइप 306, जिनके बारे में हमें ज्यादा जानकारी नहीं होती। तीसरे ने लिखा - भाई, गेहूं की कई किस्में होती हैं, कुछ महंगी, कुछ सस्ती। वहीं एक अन्य यूजर ने कहा - लोकवन गेहूं महंगा होता है, जबकि शरबती गेहूं उससे भी ज्यादा महंगा।




क्या है सच्चाई? image

दरअसल, मार्केट में आटा और गेहूं की कीमत उनके वैरायटी और प्रोसेसिंग कॉस्ट पर निर्भर करती है। कई बार रिटेलर्स आटा बल्क में खरीदते हैं, जिससे उसकी रिटेल प्राइस गेहूं से भी कम दिखाई देती है। लेकिन इस वीडियो ने एक बात साफ कर दी- ऑनलाइन हो या ऑफलाइन, भारत में भाव का गणित कभी-कभी समझ से बाहर हो जाता है।

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