नई दिल्ली: भारत के सबसे बड़े अस्पताल AIIMS ने नया इतिहास रच दिया है। पहली बार देश में आंखों के कैंसर, यानी रेटिनोब्लास्टोमा का इलाज किया गया। वो भी बिना किसी चीर फाड़ के, गामा नाइफ रेडिएशन से। अब छोटे बच्चों की आंखों की रोशनी बचाने के लिए सर्जरी नहीं, बल्कि यह अत्याधुनिक तकनीक इस्तेमाल की जा रही है। इस तरह के इलाज की शुरुआत करने वाला भारत अब उन गिने-चुने देशों की कतार में खड़ा हो गया है जहां इस तकनीक से कैंसर का इलाज किया जाता है। इससे पहले केवल रूस में गामा नाइफ से आंखों के ट्यूमर के अच्छे परिणाम सामने आए थे।AIIMS, आरपी सेंटर की आई स्पेशलिस्ट डॉक्टर भावना चावला ने कहा कि बच्चों के आंखों के कैंसर को ठीक करने का एक और मौका गामा नाइफ रेडिएशन से मिलता है। इसकी मदद से हम बच्चे की आंख बचा सकते हैं। अभी तक बच्चों के आंखों में कैंसर के इलाज के लिए हम कीमोथेरेपी और प्लाक ब्रेकी थेरेपी, जो एक प्रकार का रेडिएशन है, का इस्तेमाल कर रहे थे। डॉक्टर भावना ने कहा कि रेटिनोब्लास्टोमा कुछ बच्चों के दोनों आंखों में असर करता है। हमारे पास कुछ बच्चे हैं जिनकी एक आंख की सर्जरी हो चुकी है, दूसरी आंख को हम किस तरह बचाएं, जिसमें कीमोथेरेपी और प्लाक थेरेपी हो चुकी है, फिर भी ट्यूमर थम नहीं रहा है। ऐसे में हम गामा नाइफ रेडिएशन, जो आमतौर पर न्यूरो सर्जरी वाले ब्रेन ट्यूमर के लिए इस्तेमाल करते हैं। हम अभी तक इसका इस्तेमाल अडल्ट में होने वाले कैंसर के इलाज में कर रहे थे।डॉक्टर ने बताया कि हमने इस पर रिसर्च किया और रूस की टीम ने गामा नाइफ का इस्तेमाल बच्चों पर किया और इसके बहुत अच्छे रिजल्ट आए। वो देखकर हमने AIIMS में इसका इस्तेमाल किया और अब इसका फायदा हो रहा है। उन्होंने कहा कि एक तिहाई बच्चे के दोनों आंखों में रेटिनोब्लास्टोमा होता है और दो तिहाई में एक आंख में होता है। यह आंखों का कैंसर होता है जो रेटिना से शुरू होकर क्रोमोसोम में म्यूटेशन के बाद शुरू होती है। लक्षण के तौर पर इसमें आंखों के बीचो बीच चमक दिखाई देती है। अगर ऐसा है तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं, इसका इलाज संभव है।
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