नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जब से भारत पर टैरिफ लगाया है, अमेरिका को एक्सपोर्ट काफी कम हो गया है। शुरू में माना जा रहा था कि इससे भारत के टेक्सटाइल, जेम्स, ज्वेलरी और सी प्रोडक्ट (समुद्री उत्पाद) पर काफी असर पड़ेगा। लेकिन ऐसा बहुत कम हुआ। अमेरिका ने टैरिफ के जरिए भारत के लिए रास्ते बंद किए तो दूसरे देशों ने भारतीय प्रोडक्ट का स्वागत किया।
भारत के टेक्सटाइल, जेम्स, ज्वेलरी और समुद्री उत्पादों के निर्यात में अमेरिका के अलावा दूसरे देशों में अच्छी बढ़ोतरी देखी गई है। यह जानकारी वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों से मिली है। यह दिखाता है कि भारत अपने सामान को अलग-अलग देशों में बेच रहा है, सिर्फ अमेरिका पर निर्भर नहीं है। यूएई, वियतनाम, बेल्जियम और सऊदी अरब जैसे देशों में इन चीजों की मांग बढ़ी है। एशिया, यूरोप और पश्चिम एशिया में बढ़ती मांग के कारण इन क्षेत्रों में भारत के निर्यात में अच्छी वृद्धि हुई है।
समुद्री उत्पाद में कितनी तेजी?आंकड़ों के अनुसार जनवरी से सितंबर 2025 के बीच भारत के समुद्री उत्पादों के निर्यात में पिछले साल की तुलना में 15.6 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। यह कुल 4.83 अरब डॉलर रहा। इस बढ़ोतरी का मुख्य कारण अमेरिका के अलावा दूसरे देशों में समुद्री उत्पादों की बढ़ती मांग है।
हालांकि अमेरिका अभी भी समुद्री उत्पादों के लिए सबसे बड़ा बाजार है जहां भारत ने 1.44 अरब डॉलर का निर्यात किया। लेकिन सबसे ज्यादा बढ़ोतरी वियतनाम में 100.4 फीसदी, बेल्जियम में 73.0 फीसदी और थाईलैंड में 54.4 फीसदी देखी गई। इससे पता चलता है कि भारत अपने समुद्री उत्पादों का व्यापार एशिया और यूरोप के कई देशों में फैला रहा है। चीन में भी 9.8 फीसदी, मलेशिया में 64.2 फीसदी और जापान में 10.9 फीसदी की वृद्धि हुई है।
कपड़ा निर्यात में यहां मारी बाजीभारत के कपड़ा निर्यात भी पेरू और नाइजीरिया जैसे नए और उभरते बाजारों में अपनी जगह बना रहे हैं। जनवरी से सितंबर 2025 के दौरान, भारत के कपड़ा निर्यात में 1.23 फीसदी की मामूली लेकिन सकारात्मक वृद्धि हुई है। यह कुल 28.05 अरब डॉलर रहा। यह वृद्धि अमेरिका के अलावा दूसरे देशों में अच्छी मांग के कारण हुई है।
संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में निर्यात में 8.6 फीसदी (136.5 मिलियन डॉलर) की वृद्धि हुई है, जो इसे भारतीय कपड़ों के लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्रीय केंद्र के रूप में स्थापित करता है। यूरोप, उत्तरी अफ्रीका और मध्य पूर्व में भी भारतीय कपड़ों की मांग बढ़ रही है। नीदरलैंड में 11.8 फीसदी, पोलैंड में 24.1 फीसदी, स्पेन में 9.1 फीसदी और मिस्र में 24.5 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है।
जेम्स और ज्वेलरी की कहां बढ़ी मांगइस साल की पहली छमाही में भारत के जेम्स और ज्वेलरी ( रत्न और आभूषण) निर्यात में भी 1.24 फीसदी की मामूली वृद्धि हुई है, जो कुल 22.73 अरब डॉलर रहा। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) रत्न और आभूषण के लिए सबसे बड़ा बाजार बना हुआ है, जहां निर्यात में 37.7 फीसदी (1.93 अरब डॉलर) की वृद्धि हुई है।
दक्षिण कोरिया में 134 फीसदी, सऊदी अरब में 68 फीसदी और कनाडा में 41 फीसदी की जबरदस्त बढ़ोतरी देखी गई है। यह दिखाता है कि उभरते हुए लग्जरी (विलासिता) और निवेश-आधारित बाजारों में भारतीय आभूषणों और कटे-पॉलिश किए गए हीरों की मांग बढ़ रही है।
भारत के टेक्सटाइल, जेम्स, ज्वेलरी और समुद्री उत्पादों के निर्यात में अमेरिका के अलावा दूसरे देशों में अच्छी बढ़ोतरी देखी गई है। यह जानकारी वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों से मिली है। यह दिखाता है कि भारत अपने सामान को अलग-अलग देशों में बेच रहा है, सिर्फ अमेरिका पर निर्भर नहीं है। यूएई, वियतनाम, बेल्जियम और सऊदी अरब जैसे देशों में इन चीजों की मांग बढ़ी है। एशिया, यूरोप और पश्चिम एशिया में बढ़ती मांग के कारण इन क्षेत्रों में भारत के निर्यात में अच्छी वृद्धि हुई है।
समुद्री उत्पाद में कितनी तेजी?आंकड़ों के अनुसार जनवरी से सितंबर 2025 के बीच भारत के समुद्री उत्पादों के निर्यात में पिछले साल की तुलना में 15.6 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। यह कुल 4.83 अरब डॉलर रहा। इस बढ़ोतरी का मुख्य कारण अमेरिका के अलावा दूसरे देशों में समुद्री उत्पादों की बढ़ती मांग है।
हालांकि अमेरिका अभी भी समुद्री उत्पादों के लिए सबसे बड़ा बाजार है जहां भारत ने 1.44 अरब डॉलर का निर्यात किया। लेकिन सबसे ज्यादा बढ़ोतरी वियतनाम में 100.4 फीसदी, बेल्जियम में 73.0 फीसदी और थाईलैंड में 54.4 फीसदी देखी गई। इससे पता चलता है कि भारत अपने समुद्री उत्पादों का व्यापार एशिया और यूरोप के कई देशों में फैला रहा है। चीन में भी 9.8 फीसदी, मलेशिया में 64.2 फीसदी और जापान में 10.9 फीसदी की वृद्धि हुई है।
कपड़ा निर्यात में यहां मारी बाजीभारत के कपड़ा निर्यात भी पेरू और नाइजीरिया जैसे नए और उभरते बाजारों में अपनी जगह बना रहे हैं। जनवरी से सितंबर 2025 के दौरान, भारत के कपड़ा निर्यात में 1.23 फीसदी की मामूली लेकिन सकारात्मक वृद्धि हुई है। यह कुल 28.05 अरब डॉलर रहा। यह वृद्धि अमेरिका के अलावा दूसरे देशों में अच्छी मांग के कारण हुई है।
संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में निर्यात में 8.6 फीसदी (136.5 मिलियन डॉलर) की वृद्धि हुई है, जो इसे भारतीय कपड़ों के लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्रीय केंद्र के रूप में स्थापित करता है। यूरोप, उत्तरी अफ्रीका और मध्य पूर्व में भी भारतीय कपड़ों की मांग बढ़ रही है। नीदरलैंड में 11.8 फीसदी, पोलैंड में 24.1 फीसदी, स्पेन में 9.1 फीसदी और मिस्र में 24.5 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है।
जेम्स और ज्वेलरी की कहां बढ़ी मांगइस साल की पहली छमाही में भारत के जेम्स और ज्वेलरी ( रत्न और आभूषण) निर्यात में भी 1.24 फीसदी की मामूली वृद्धि हुई है, जो कुल 22.73 अरब डॉलर रहा। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) रत्न और आभूषण के लिए सबसे बड़ा बाजार बना हुआ है, जहां निर्यात में 37.7 फीसदी (1.93 अरब डॉलर) की वृद्धि हुई है।
दक्षिण कोरिया में 134 फीसदी, सऊदी अरब में 68 फीसदी और कनाडा में 41 फीसदी की जबरदस्त बढ़ोतरी देखी गई है। यह दिखाता है कि उभरते हुए लग्जरी (विलासिता) और निवेश-आधारित बाजारों में भारतीय आभूषणों और कटे-पॉलिश किए गए हीरों की मांग बढ़ रही है।
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