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चीन को चूरन समझ जो ट्रंप कल तक तरेर रहे थे आंखें, कैसे हो गए इतने लाचार? अंदर की कहानी समझिए

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नई दिल्‍ली: अमेरिका और चीन के बीच व्यापार को लेकर चल रही खींचतान में बड़ी खबर आई है। दोनों देशों में कई दिनों तक चली बातचीत के बाद एक समझौता हुआ है। इस समझौते का असर पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है। अमेरिका के वित्‍त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने जेनेवा में हुई बातचीत के बाद कहा कि अमेरिका और चीन के बीच व्यापार को लेकर अच्छी प्रगति हुई है। रविवार को एक समझौता हो गया है। अमेरिका और चीन के बीच राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप की टैरिफ नीति के बाद से ही स्थिति बिगड़ी हुई थी। अमेरिका ने चीन से आने वाले सामान पर 145% टैक्स लगा दिया था। जवाब में चीन ने अमेरिका से आने वाले सामान पर 125% टैक्स लगाया था। यही नहीं, चीन ने अमेरिका को 'दुर्लभ खनिजों' का निर्यात भी रोक दिया था। इससे दोनों देशों के बीच व्यापार करीब-करीब बंद हो गया था। अब ऐसा लगता है कि अमेरिका ने पहले झुकने का फैसला किया है। इसका मतबल यह है कि ट्रंप का चीन के बारे में अनुमान लगाना गलत पड़ गया है। इसी चीन को चूरन समझकर वह कुछ महीने पहले तक आंखें तरेर रहे थे। ट्रंप चीन के आगे इतना लाचार कैसे हो गए, इसे भी समझने की कोशिश करते हैं। गोल्डमैन सैक्स के विश्लेषकों ने पिछले हफ्ते कहा था कि ट्रंप व्यापार युद्ध की वजह से महंगाई इस साल के अंत तक बढ़कर 4% हो जाएगी। अमेरिका को इस टैक्स नीति से कई नुकसान हो रहे थे। ट्रंप के व्यापार युद्ध का असर दिखने लगा था, क्योंकि अमेरिकी बंदरगाहों और हवाई अड्डों पर चीन से आने वाले सामान में भारी कमी आई थी। वॉलमार्ट और टारगेट जैसे बड़े दुकानदारों ने भी चेतावनी दी थी कि दुकानों में सामान कम हो जाएगा और कीमतें बढ़ जाएंगी। चीन में भी इसका असर दिख रहा था, क्योंकि वहां फैक्ट्रियों में उत्पादन कम हो गया था। अमेरिका के ल‍िए मुश्‍क‍िल स्‍थ‍ित‍िअप्रैल में चीन की फैक्ट्रियों में काम 16 महीनों में सबसे तेजी से घटा। इसलिए, चीन भी इस स्थिति को खत्म करना चाहता था। यह सच है कि चीन ने गलत तरीकों से दुनिया के बाजार पर कब्जा कर लिया है और उसके व्यापार को चुनौती देना जरूरी है। लेकिन, चीन ने अमेरिका के साथ व्यापार में ज्यादा मजबूती दिखाई है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को ट्रंप की तरह जल्दी चुनाव का सामना नहीं करना है। चीन में उनकी आर्थिक नीतियों का विरोध भी कम है। सरकार ने अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए कई उपाय किए हैं। चीन सरकार आगे भी ऐसे उपाय कर सकती है।अमेरिका के लिए स्थिति मुश्किल है। सरकार के पास ज्यादा विकल्प नहीं हैं, सिवाय इसके कि ट्रंप ने अपने पिछले कार्यकाल में जो टैक्स में छूट दी थी, उसे आगे बढ़ाया जाए। इसके अलावा, ट्रंप सरकार का अमेरिकी फेडरल रिजर्व के साथ ब्याज दरों को कम करने को लेकर टकराव हो सकता है। इसके बारे में फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने कहा है कि ऐसा जल्दी नहीं होगा। चीन बेहतर स्थिति में रहेगाफाइनेंशियल टाइम्स के चीफ इकनॉमिक कमेंटेटर मार्टिन वुल्फ के अनुसार, अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध में चीन बेहतर स्थिति में रहेगा। उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, 'अमेरिकियों को इस व्यापार युद्ध में चीन से बचने के लिए बहुत चालाकी दिखानी होगी। चीन के पास बहुत सारे विकल्प हैं। दूसरी ओर, अमेरिका राजनीतिक रूप से कमजोर है। अर्थव्यवस्था थोड़ी कमजोर दिख रही है। बाजार कमजोर दिख रहे हैं। यह व्यापार युद्ध अमेरिकी कारोबार को बहुत नुकसान पहुंचाएगा। इससे अमेरिका में सप्लाई चेन कमजोर हो जाएगी और कई टूट भी सकती हैं। इससे बड़ा नुकसान हो सकता है।'समझौते को लेकर अमेरिका की छटपटाहट इस बात से समझी जा सकती है कि ट्रंप ने बातचीत से पहले कहा ही था कि वह चीन पर टैक्स की दर को 80% तक कम करने को तैयार हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा था कि यह 'स्कॉट बी.' पर निर्भर करता है, क्योंकि ट्रेजरी सेक्रेटरी बेसेंट जेनेवा में बातचीत के लिए जा रहे थे। व्हाइट हाउस ने बाद में कहा कि चीन को भी कुछ रियायतें देनी होंगी। सीएनएन के अर्थशास्त्रियों का कहना है कि 50% टैक्स की दर 'निर्णायक' होगी, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापार कुछ हद तक सामान्य हो जाएगा। अमेरिका के लिए चिंता की एक वजह यह भी है कि चीन से कम सामान आने और आयात पर ज्यादा लागत लगने से अमेरिका में कीमतें बढ़ने लगी हैं।
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