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यूरोप-अमेरिका छोड़ मिडिल ईस्ट में पढ़ने क्यों जा रहे भारतीय छात्र? जानिए सबसे बड़ी वजह

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Study Abroad News: दुनियाभर में 18 लाख से ज्यादा भारतीय छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। ज्यादातर भारतीयों के बीच डिग्री लेने के लिए पश्चिमी यूरोपीय देश और उत्तरी अमेरिकी मुल्क पॉपुलर रहे हैं। अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, आयरलैंड, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में भारतीय बड़ी तादाद में एडमिशन लेने जाते रहे हैं। हालांकि, अब समय बदल रहा है और भारतीय इन सभी मुल्कों से परे भी अन्य देशों का रुख करने लगे हैं। इनमें से कुछ देश तो ऐसे हैं, जिनके नाम जानकार आपको हैरानी होगी।

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इन दिनों भारतीयों के बीच संयुक्त अरब अमीरात (UAE), सऊदी अरब, तुर्की, रूस, उज्बेकिस्तान, कजाकिस्तान और ईरान जैसे देश हायर एजुकेशन के लिए ज्यादा पॉपुलर हो रहे हैं। यहां ना सिर्फ क्वालिटी एजुकेशन मिल रही है, बल्कि पढ़ाई का खर्च भी काफी कम है। ऊपर से छात्रों के पास नौकरी के भी काफी अच्छे अवसर हैं। कुछ ऐसे भी देश हैं, जहां छात्र इसलिए पढ़ने जा रहे हैं, क्योंकि वहां उन्हें उनके जैसे ही कल्चर में पढ़ने का मौका मिल रहा है। ये भारतीय छात्रों की बदलती प्राथमिकता को दिखाता है।



भारतीयों को क्यों पसंद आ रहे मध्य और पश्चिमी एशियाई देश?

अब यहां सवाल उठता है कि आखिर ऐसा क्या हुआ है, जिसकी वजह से भारतीय छात्र अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा जैसे पश्चिमी मुल्कों को छोड़कर मध्य और पश्चिमी एशियाई देशों में पढ़ने जाना चाहते हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस ट्रेंड के पीछे की वजह फाइनेंशियल और लॉजिस्टिकल फैक्टर्स हैं। कजाकिस्तान, रूस, उज्बेकिस्तान जैसे देश इसलिए पॉपुलर हो रहे हैं, क्योंकि यहां पर मेडिकल की पढ़ाई किफायती है। कजाकिस्तान में 2022 में 3,855 भारतीय छात्र गए, जबकि 2025 में उनकी संख्या 12,020 हो गई। इसी तरह से रूस में पिछले साल 31,000 भारतीय पढ़ने गए।



करियर मोजाइक के फाउंडर और डायरेक्टर अभिजीत जावेरी एडेक्स लाइव से बात करते हुए कहा कि UAE, सऊदी अरब, तुर्की और रूस जैसे देश इसलिए पॉपुलर हो रहे हैं, क्योंकि वे भारत से ज्यादा दूर नहीं हैं और यहां पढ़ाई भी सस्ती है। एक बड़ी वजह ये भी है कि इन देशों में कई सारी टॉप यूनिवर्सिटीज के ब्रांच कैंपस भी हैं। उदाहरण के लिए UAE में ही अमेरिका की न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी और फ्रांस की सोरबोन यूनिवर्सिटी का कैंपस है। यहां पर आपको अमेरिका और फ्रांस के मुकाबले कम दाम में ही यूनिवर्सिटी की डिग्री मिल जाएगी।



यूनिवर्सिटी लिविंग के फाउंडर और सीईओ सौरभ अरोड़ा ने बताया कि दुबई ट्रांजिट स्टॉप से फाइनल डेस्टिनेशन बन चुका है। उन्होंने बताया कि अकेले इस शहर में ही 42 हजार से ज्यादा विदेशी छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। यहां स्टूडेंट्स को आसानी से एडमिशन मिल रहा है, बड़ी कंपनियों की मौजूदगी से जॉब पाना मुश्किल नहीं है और भारत से इनकी दूर भी ज्यादा नहीं है। तुर्की, सऊदी अरब जैसे देशों की पॉपुलैरिटी की मुख्य वजह यहां अंग्रेजी भाषा में पढ़ाए जाने वाले मास्टर्स प्रोग्राम हैं। इसके अलावा, इन सभी देशों में पढ़ाई का खर्च भी काफी ज्यादा कम है।

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