सूर्य प्रकाश शुक्ला, लखनऊ: चौथी नोटिस पर आखिरकार रिटायर्ड आईएएस मोहिंदर सिंह बुधवार को ईडी के लखनऊ स्थित जोनल कार्यालय पहुंचे। स्मारक घोटाले और नोएडा के फर्जीवाड़े में फंसे मोहिंदर सिंह ईडी अधिकारियों के अधिकांश सवालों को यह कह कर टाल गए कि बहुत पुरानी बात है, अब उन्हें उसकी याद नहीं है। दस्तावेज पर पूछे सवालों पर मोहिंदर ने गोलमोल जवाब दिए।सूत्रों के मुताबिक ईडी अधिकारियों के सवालों पर मोहिंदर ने कहा कि स्मारकों के निर्माण कार्य को लेकर अफसरों की एक हाई पावर कमिटी बनी थी। कमिटी जो फैसला लेती थी, उसकी जानकारी तत्कालीन सरकार के मंत्रियों (नसीमुद्दीन सिद्दीकी और बाबू सिंह कुशवाहा) को दी जाती थी और फिर मंत्रियों के निर्देश पर आगे का काम होता था। 'ठेके हमारे विभाग ने नहीं दिए'मोहिंदर सिंह बुधवार को दोपहर में दो बजे ईडी के दफ्तर पहुंचे। तीन अधिकारियों की टीम ने मोहिंदर से स्मारक घोटाले को लेकर सवाल-जवाब किए, जो देर शाम तक चलते रहे। मायावती सरकार के कार्यकाल में हुए स्मारक घोटाले के दौरान मोहिंदर सिंह प्रमुख सचिव आवास विकास और नोएडा के सीईओ थे। ईडी ने जब मोहिंदर से एक ही ठेकेदार की तीन-तीन कंपनियों को काम दिए जाने को लेकर सवाल किया तो उनका जवाब था कि ठेके उनके विभाग ने नहीं दिए थे। जिन कंपनियों के टेंडर पास हुए होंगे, काम उन्हीं को मिला होगा। स्मारक घोटाले की जांच कर रही ईडी ने मंगलवार को उस समय एलडीए के वीसी रहे हरभजन सिंह से आठ घंटे पूछताछ की थी। लेकिन ज्यादातर सवालों के जवाब में उन्होंने भी पुराना मामला बताते हुए याद न होने की बात कही थी।
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