नई दिल्ली: दिवाली के बाद से दिल्ली में प्रदूषण का स्तर लगातार खराब श्रेणी में बना हुआ है। आगे स्थिति और बिगड़ने की संभावना है। इस प्रदूषण को मापने के तौर तरीके, डेटा की उपलब्धता, विश्वसनीयता और सरकारी एजेंसियों की भूमिका को लेकर गंभीर सि सवाल खड़े हो गए हैं। एक तरफ AQI का डेटा नियमित और निर्बाध रूप से मिलने में अड़चनें आ रही हैं, तो वहीं CPCB के एयर क्वॉलिटी मॉनिटरिंग स्टेशनों की लोकेशन और उनके आस-पास किए जा रहे पानी के छिड़काव के चलते प्रदूषण के डेटा की विश्वसनीयता भी सवालों के घेरे में है। ग्राउंड रियलिटी का पता लगाने के लिए NBT संवाददाता पूनम गौड़, कात्यायनी, राजेश सरोहा और राजेश पोद्दार ने दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में मौजूद एयर क्वॉलिटी मॉनिटरिंग स्टेशनों पर जाकर रिएलिटी चेक किया।
हर दो घंटे में हो रहा पानी का छिड़कावद्वारका सेक्टर-8 में जब हम दोपहर 2 बजे पहुंचे तो गेट पर तैनात गाडों ने नेशनल मलेरिया इंस्टिट्यूट के अंदर बने इस मॉनिटरिंग स्टेशन के नजदीक जाने से रोक दिया, लेकिन मॉनिटरिंग स्टेशन बाहर से ही नजर आ रहा था। संस्थान के चारों तरफ सड़कों पर पानी का छिड़काव किया जा रहा था। सभी सड़कें पानी से भीगी हुई दिखाई दीं। आस-पास के दुकानदारों ने बताया कि हर एक-दो घंटे में वहां लगातार पानी का छिड़काव किया जाता है। मॉनिटरिंग स्टेशन के आस-पास कई पेड़-पौधे भी दिखे। इनका असर भी एयर क्वॉलिटी पर पड़ता है। इसके बावजूद यह 13 हॉटस्पॉट में शामिल हैं। स्टेशन के ऊपर लगी स्क्रीन भी नहीं चल रही थी। इसी स्क्रीन से प्रदूषण के स्तर की जानकारी दी जाती है। लोगों ने बताया कि यह स्क्रीन बीते कई दिनों से बंद हैं।
जरूरत पड़ने पर यहां किया जाता है पानी का छिड़कावजब दोपहर 2.30 बजे हम नरेला स्थित आईटीआई कैंपस में लगे मॉनिटरिंग स्टेशन पहुंचे तो आस-पास काफी साफ-सफाई दिखी। कैंपस के गेट के बाहर लगी स्क्रीन का कुछ हिस्सा पेड़ की टहनियों से ढका था स्क्रीन काम रही थी। स्टेशन के चारों ओर काफी हरियाली थी। यहां तैनात कुछ कर्मचारियों ने बताया कि यहां रोजाना पानी का छिड़काव तो नहीं किया जाता है, लेकिन बीच-बीच में जरूरत पड़ने पर होता है। जैसे दो दिन पहले ही पूरे परिसर में पानी का छिड़काव किया गया था।
खराब पड़ी है स्क्रीन, नहीं दिख रहा डेटाटीम जब दोपहर के 2.30 बजे दिलशाद गार्डन इलाके में स्थित इहबास हॉस्पिटल के गेट नंबर दो के पास ही एयर क्वॉलिटी मॉनिटरिंग सिस्टम लग हुआ है। हॉस्पिटल की चारदीवारी के अंदर इस सिस्टम को पेड़ों के बीच में लगाया गया है, इसलिए यह लोगों को नजर नहीं आता है बाहर लगी स्क्रीन खराब पड़ी थी और पल्यूशन के आंकड़े नजर ही नहीं आ रहे लोगों से पूछताछ करने पर पता चला कि सीपीसीबी का यह सिस्टम कई दिन से खराब पड़ा है। हॉस्पिटल के गेट के पास शॉप चलाने वाले शख्स ने बताया कि यह स्क्रीन कई दिनों से ऐसे ही चल रही है। यह पूरी तरह बंद तो नहीं है, लेकिन इस पर कुछ भी साफ दिखाई नहीं देता है।
पानी भी रोक नहीं सका प्रदूषणहमारी टीम दोपहर के 3.30 बजे आनंद विहार पहुंची। ये इलाका प्रदूषण का सबसे बड़ा हॉट स्पॉट है। यहां प्रदूषण को कंट्रोल करने और हवा को साफ रखने के लिए 24 मीटर ऊंच एंटी स्मॉग टावर लगाया गया था। नीचे की ओर लगे बड़े-बड़े पंखे चल रहे थे, लेकिन टावर के ऊपर लगी स्क्रीन बंद पड़ी थी। इसके ठीक बगल में एयर क्वॉलिटी मॉनिटरिंग सिस्टम भी लगा हुआ है, जिसकी स्क्रीन पर PM 2.5 का स्तर 104 और PM10 का स्तर 199 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर आ रहा था, जो तय मानक से काफी ज्यादा था। यह स्थिति तब थी, जब स्मॉग टॉवर और मॉनिटरिंग स्टेशन के आस-पास लगातार टैंकरों से पानी का छिड़काव भी किया जा रहा था। वहीं बस अड्डे के सामने सर्विस रोड पर भी 4-5 स्प्रिंकलर लगे हुए थे।
सड़क पर स्क्रीन, हरियाली में सेंसरहम दोपहर 3.30 बजे ईस्ट दिल्ली के पांडव नगर में मदर डेयरी के गेट नंबर 2 पर पहुंचे। यहां सीपीसीबी के एयर क्वॉलिटी मॉनिटरिंग स्टेशन की स्क्रीन लगी हुई थी, जो ठीक काम कर रही थी। इस पर प्रदूषण फैलाने वाले विभिन्न कारको का स्तर लगातार दिखाया जा रहा "था आस-पास कुछ पेड़ पौधे भी लगे हुए थे। हालांकि, गेट के ठीक बाहर मेन रोड की हालत खस्ता थी और इस वजह से सड़क पर काफी धूल भी उड़ रही थी जब हमने छानबीन की कि मॉनिटरिंग स्टेशन के सेंसर कहां लगे हुए हैं, तो पता चला कि मदर डेयरी परिसर के अंदर हरे-भरे पार्क और पेड़-पौधों के बीच सेंसर लग रखे थे। हालांकि, सुरक्षा कारणों के चलते बहरी और अनजान लोगों को वहां तक जाने की इजाजत नहीं थी।
फॉरेस्ट लैंड पर हरियाली के बीच मिल रहा प्रदूषण का डेटाहम दोपहर 3.30 बजे अलीपुर इलाके के बकौली गांव में पहुंचे। यहां फॉरेस्ट लैंड के पास बने मॉनिटरिंग स्टेशन पर लगी डिस्प्ले स्क्रीन चल तो रही थी, लेकिन तकनीकी खराबी के कारण इसके कुछ हिस्से पर डेटा नजर नहीं आ रहा था। स्टेशन के आस-पास का माहौल साफ-सुथरा था और फॉरेस्ट लैंड की हरियाली के कारण यहां का माहौल प्रदूषित नहीं, बल्कि काफी बेहतर दिखाई दे रहा था। यहां तैनात कर्मचारियों ने बताया कि पिछले साल परिसर में नियमित रूप से पानी का छिड़काव भी किया जाता था, लेकिन इस बार अभी तक ऐसा नहीं हुआ है। उन्होंने बताया कि स्टेशन की ऑपरेशन टीम समय-समय पर निरीक्षण के लिए यहां आती रहती है।
दिख रहा हर लेवल का डेटाआईटीओ चौराहे से कुछ दूर मुख्य सड़क के किनारे ही सीपीसीबी का मॉनिटरिंग स्टेशन है। यहां स्क्रीन पर विभिन्न प्रदूषकों के स्तर की जानकारी भी मिल रही थी। हालांकि, बाहर सड़क पर पानी का छिड़काव तो नहीं हो रहा था, लेकिन स्टेशन आस-पास कुछ हरियाली जरूर दिखाई दी। यह भी राजधानी के सबसे प्रदूषित स्टेशनों में से एक है। कारण आईटीओ सबसे ज्यादा व्यस्त चौराहों में एक है।
दिवाली के बाद से बंद स्क्रीनलोदी रोड स्थित मौसम विभाग के मुख्यालय के बाहर लगी डिस्प्ले स्क्रीन पर कोई जानकारी नहीं मिल रही थी। पूछने पर पता चला कि दीवाली के बाद से ही जानकारी फ्लैश नहीं हो रही है। एक अधिकारी ने दावा किया कि परिसर में लगे एयर क्वॉलिटी मॉनिटरिंग सिस्टम से सभी जरूरी जानकारियां सीपीसीबी को नियमित रूप से भेजी जा रही हैं। बता दें कि लोदी रोड का इलाका काफी हरा-भरा है।
CAG की रिपोर्ट में भी उठे थे कई सवालइसी साल अप्रैल में जारी हुई CAG की रिपोर्ट भी में प्रदूषण पर निगरानी रखने के लिए बनाए गए एयर क्वॉलिटी मॉनिटरिंग स्टेशनों को लेकर कई खुलासे हुए थे। यह रिपोर्ट 2020 में हुए ऑडिट की थी, जिसमें डीपीसीसी के 24 में से 13 मॉनिटरिंग स्टेशनों की जांच हुई थी। मॉनिटरिंग स्टेशनों को लेकर सीपीसीबी की स्पष्ट गाइडलाइंस हैं कि यह सब तरफ से खुले होंगे, इनकी हाइट जमीन से 3 से 10 मीटर होगी, इनके कम से कम 20 मीटर के दायरे में पेड़ नहीं होंगे, कच्ची रोड़ या गलियों से ये 200 मीटर की दूरी पर होंगे, इनके आस-पास कोई फरनेस या मशीनरी आदि का धुंआ नहीं होगा, आदि। मगर ऑडिट में सभी 13 मॉनिटरिंग स्टेशनों पर इन मानकों की अवहेलना होती पाई गई। रिपोर्ट में बताया गया कि इन स्टेशनों के आस-पास विभिन्न तरह के पेड़ लगे मिले, जो स्टेशन एरिया में प्रदूषण बढ़ा सकते हैं। आनंद विहार और वजीराबाद के मॉनिटरिंग स्टेशन हैवी ट्रैफिक वाली रोड के काफी करीब हैं। सिविल लाइंस, वजीरपुर और ओखला के मॉनिटरिंग स्टेशन हाई राइज चिल्डिंग और कंस्ट्रक्शन साइट के काफी करीब हैं। रिपोर्ट में डेटा की कमी और कई खतरनाक प्रदूषकों को नहीं मापने की भी बात भी सामने आई थी।
हर दो घंटे में हो रहा पानी का छिड़कावद्वारका सेक्टर-8 में जब हम दोपहर 2 बजे पहुंचे तो गेट पर तैनात गाडों ने नेशनल मलेरिया इंस्टिट्यूट के अंदर बने इस मॉनिटरिंग स्टेशन के नजदीक जाने से रोक दिया, लेकिन मॉनिटरिंग स्टेशन बाहर से ही नजर आ रहा था। संस्थान के चारों तरफ सड़कों पर पानी का छिड़काव किया जा रहा था। सभी सड़कें पानी से भीगी हुई दिखाई दीं। आस-पास के दुकानदारों ने बताया कि हर एक-दो घंटे में वहां लगातार पानी का छिड़काव किया जाता है। मॉनिटरिंग स्टेशन के आस-पास कई पेड़-पौधे भी दिखे। इनका असर भी एयर क्वॉलिटी पर पड़ता है। इसके बावजूद यह 13 हॉटस्पॉट में शामिल हैं। स्टेशन के ऊपर लगी स्क्रीन भी नहीं चल रही थी। इसी स्क्रीन से प्रदूषण के स्तर की जानकारी दी जाती है। लोगों ने बताया कि यह स्क्रीन बीते कई दिनों से बंद हैं।
जरूरत पड़ने पर यहां किया जाता है पानी का छिड़कावजब दोपहर 2.30 बजे हम नरेला स्थित आईटीआई कैंपस में लगे मॉनिटरिंग स्टेशन पहुंचे तो आस-पास काफी साफ-सफाई दिखी। कैंपस के गेट के बाहर लगी स्क्रीन का कुछ हिस्सा पेड़ की टहनियों से ढका था स्क्रीन काम रही थी। स्टेशन के चारों ओर काफी हरियाली थी। यहां तैनात कुछ कर्मचारियों ने बताया कि यहां रोजाना पानी का छिड़काव तो नहीं किया जाता है, लेकिन बीच-बीच में जरूरत पड़ने पर होता है। जैसे दो दिन पहले ही पूरे परिसर में पानी का छिड़काव किया गया था।
खराब पड़ी है स्क्रीन, नहीं दिख रहा डेटाटीम जब दोपहर के 2.30 बजे दिलशाद गार्डन इलाके में स्थित इहबास हॉस्पिटल के गेट नंबर दो के पास ही एयर क्वॉलिटी मॉनिटरिंग सिस्टम लग हुआ है। हॉस्पिटल की चारदीवारी के अंदर इस सिस्टम को पेड़ों के बीच में लगाया गया है, इसलिए यह लोगों को नजर नहीं आता है बाहर लगी स्क्रीन खराब पड़ी थी और पल्यूशन के आंकड़े नजर ही नहीं आ रहे लोगों से पूछताछ करने पर पता चला कि सीपीसीबी का यह सिस्टम कई दिन से खराब पड़ा है। हॉस्पिटल के गेट के पास शॉप चलाने वाले शख्स ने बताया कि यह स्क्रीन कई दिनों से ऐसे ही चल रही है। यह पूरी तरह बंद तो नहीं है, लेकिन इस पर कुछ भी साफ दिखाई नहीं देता है।
पानी भी रोक नहीं सका प्रदूषणहमारी टीम दोपहर के 3.30 बजे आनंद विहार पहुंची। ये इलाका प्रदूषण का सबसे बड़ा हॉट स्पॉट है। यहां प्रदूषण को कंट्रोल करने और हवा को साफ रखने के लिए 24 मीटर ऊंच एंटी स्मॉग टावर लगाया गया था। नीचे की ओर लगे बड़े-बड़े पंखे चल रहे थे, लेकिन टावर के ऊपर लगी स्क्रीन बंद पड़ी थी। इसके ठीक बगल में एयर क्वॉलिटी मॉनिटरिंग सिस्टम भी लगा हुआ है, जिसकी स्क्रीन पर PM 2.5 का स्तर 104 और PM10 का स्तर 199 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर आ रहा था, जो तय मानक से काफी ज्यादा था। यह स्थिति तब थी, जब स्मॉग टॉवर और मॉनिटरिंग स्टेशन के आस-पास लगातार टैंकरों से पानी का छिड़काव भी किया जा रहा था। वहीं बस अड्डे के सामने सर्विस रोड पर भी 4-5 स्प्रिंकलर लगे हुए थे।
सड़क पर स्क्रीन, हरियाली में सेंसरहम दोपहर 3.30 बजे ईस्ट दिल्ली के पांडव नगर में मदर डेयरी के गेट नंबर 2 पर पहुंचे। यहां सीपीसीबी के एयर क्वॉलिटी मॉनिटरिंग स्टेशन की स्क्रीन लगी हुई थी, जो ठीक काम कर रही थी। इस पर प्रदूषण फैलाने वाले विभिन्न कारको का स्तर लगातार दिखाया जा रहा "था आस-पास कुछ पेड़ पौधे भी लगे हुए थे। हालांकि, गेट के ठीक बाहर मेन रोड की हालत खस्ता थी और इस वजह से सड़क पर काफी धूल भी उड़ रही थी जब हमने छानबीन की कि मॉनिटरिंग स्टेशन के सेंसर कहां लगे हुए हैं, तो पता चला कि मदर डेयरी परिसर के अंदर हरे-भरे पार्क और पेड़-पौधों के बीच सेंसर लग रखे थे। हालांकि, सुरक्षा कारणों के चलते बहरी और अनजान लोगों को वहां तक जाने की इजाजत नहीं थी।
फॉरेस्ट लैंड पर हरियाली के बीच मिल रहा प्रदूषण का डेटाहम दोपहर 3.30 बजे अलीपुर इलाके के बकौली गांव में पहुंचे। यहां फॉरेस्ट लैंड के पास बने मॉनिटरिंग स्टेशन पर लगी डिस्प्ले स्क्रीन चल तो रही थी, लेकिन तकनीकी खराबी के कारण इसके कुछ हिस्से पर डेटा नजर नहीं आ रहा था। स्टेशन के आस-पास का माहौल साफ-सुथरा था और फॉरेस्ट लैंड की हरियाली के कारण यहां का माहौल प्रदूषित नहीं, बल्कि काफी बेहतर दिखाई दे रहा था। यहां तैनात कर्मचारियों ने बताया कि पिछले साल परिसर में नियमित रूप से पानी का छिड़काव भी किया जाता था, लेकिन इस बार अभी तक ऐसा नहीं हुआ है। उन्होंने बताया कि स्टेशन की ऑपरेशन टीम समय-समय पर निरीक्षण के लिए यहां आती रहती है।
दिख रहा हर लेवल का डेटाआईटीओ चौराहे से कुछ दूर मुख्य सड़क के किनारे ही सीपीसीबी का मॉनिटरिंग स्टेशन है। यहां स्क्रीन पर विभिन्न प्रदूषकों के स्तर की जानकारी भी मिल रही थी। हालांकि, बाहर सड़क पर पानी का छिड़काव तो नहीं हो रहा था, लेकिन स्टेशन आस-पास कुछ हरियाली जरूर दिखाई दी। यह भी राजधानी के सबसे प्रदूषित स्टेशनों में से एक है। कारण आईटीओ सबसे ज्यादा व्यस्त चौराहों में एक है।
दिवाली के बाद से बंद स्क्रीनलोदी रोड स्थित मौसम विभाग के मुख्यालय के बाहर लगी डिस्प्ले स्क्रीन पर कोई जानकारी नहीं मिल रही थी। पूछने पर पता चला कि दीवाली के बाद से ही जानकारी फ्लैश नहीं हो रही है। एक अधिकारी ने दावा किया कि परिसर में लगे एयर क्वॉलिटी मॉनिटरिंग सिस्टम से सभी जरूरी जानकारियां सीपीसीबी को नियमित रूप से भेजी जा रही हैं। बता दें कि लोदी रोड का इलाका काफी हरा-भरा है।
CAG की रिपोर्ट में भी उठे थे कई सवालइसी साल अप्रैल में जारी हुई CAG की रिपोर्ट भी में प्रदूषण पर निगरानी रखने के लिए बनाए गए एयर क्वॉलिटी मॉनिटरिंग स्टेशनों को लेकर कई खुलासे हुए थे। यह रिपोर्ट 2020 में हुए ऑडिट की थी, जिसमें डीपीसीसी के 24 में से 13 मॉनिटरिंग स्टेशनों की जांच हुई थी। मॉनिटरिंग स्टेशनों को लेकर सीपीसीबी की स्पष्ट गाइडलाइंस हैं कि यह सब तरफ से खुले होंगे, इनकी हाइट जमीन से 3 से 10 मीटर होगी, इनके कम से कम 20 मीटर के दायरे में पेड़ नहीं होंगे, कच्ची रोड़ या गलियों से ये 200 मीटर की दूरी पर होंगे, इनके आस-पास कोई फरनेस या मशीनरी आदि का धुंआ नहीं होगा, आदि। मगर ऑडिट में सभी 13 मॉनिटरिंग स्टेशनों पर इन मानकों की अवहेलना होती पाई गई। रिपोर्ट में बताया गया कि इन स्टेशनों के आस-पास विभिन्न तरह के पेड़ लगे मिले, जो स्टेशन एरिया में प्रदूषण बढ़ा सकते हैं। आनंद विहार और वजीराबाद के मॉनिटरिंग स्टेशन हैवी ट्रैफिक वाली रोड के काफी करीब हैं। सिविल लाइंस, वजीरपुर और ओखला के मॉनिटरिंग स्टेशन हाई राइज चिल्डिंग और कंस्ट्रक्शन साइट के काफी करीब हैं। रिपोर्ट में डेटा की कमी और कई खतरनाक प्रदूषकों को नहीं मापने की भी बात भी सामने आई थी।
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