ज्ञान प्रकाश चतुर्वेदी, सोनभद्र: उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के हाइडल मैदान में चल रहे प्रदर्शनी मेले को लेकर शुक्रवार को बड़ा विवाद खड़ा हो गया। मेला प्रबंधन ने आरोप लगाया कि भाजपा सदर विधायक भूपेश चौबे के दबाव में पुलिस और प्रशासन ने जेसीबी से मेला परिसर की होर्डिंग और गेट तुड़वा दिए, जबकि मेले की अनुमति 26 अक्टूबर तक थी। इस कार्रवाई के दौरान सीओ सिटी और रॉबर्ट्सगंज थाने की पुलिस बल मौके पर मौजूद रही।
मेला मैनेजर अज्जू खान ने बताया कि अनुमति अवधि खत्म होने के बाद लगातार बारिश के कारण स्टॉल और उपकरण नहीं हटाए जा सके। हमारा सारा सामान भीग गया था। जैसे ही मौसम साफ हुआ, हमने धीरे-धीरे सेटअप खोलना शुरू किया, तभी प्रशासन ने कार्रवाई कर दी।
पूर्व विधायक और सपा नेता अविनाश कुशवाहा ने घटना को भाजपा की आंतरिक गुटबाजी का परिणाम बताया। उनका कहना है कि दिसंबर में होने वाले खेल महाकुंभ से पहले मैदान को तैयार करने की कोई तत्काल जरूरत नहीं थी। मेला आयोजक ने उद्घाटन विधायक चौबे की बजाय ब्लॉक प्रमुख अजित रावत से कराया था, जिससे नाराजगी बढ़ी।
स्थानीय लोगों के अनुसार, हाइडल मैदान का यह मेला हर साल गर्मी की छुट्टियों और नवरात्र से लेकर छठ पर्व तक लगता है। यह इलाके का प्रमुख आकर्षण है, जहां हजारों छोटे दुकानदारों और ठेला-खोमचा व्यापारियों को रोजगार मिलता है। विवाद के बाद मौके पर पुलिस ने स्थिति नियंत्रित की, लेकिन किसी पक्ष की ओर से अब तक एफआईआर दर्ज नहीं हुई है। विधायक पक्ष ने भी फिलहाल कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है।
इधर, मेला आयोजक अब सामान हटाने को मजबूर हैं और स्थानीय लोग इस कार्रवाई से निराश हैं। उनका कहना है कि इससे न सिर्फ मनोरंजन का सालाना साधन बंद हो गया, बल्कि सैकड़ों परिवारों की रोजी-रोटी पर भी असर पड़ा है। मामला अब पूरी तरह राजनीतिक रंग ले चुका है।
मेला मैनेजर अज्जू खान ने बताया कि अनुमति अवधि खत्म होने के बाद लगातार बारिश के कारण स्टॉल और उपकरण नहीं हटाए जा सके। हमारा सारा सामान भीग गया था। जैसे ही मौसम साफ हुआ, हमने धीरे-धीरे सेटअप खोलना शुरू किया, तभी प्रशासन ने कार्रवाई कर दी।
पूर्व विधायक और सपा नेता अविनाश कुशवाहा ने घटना को भाजपा की आंतरिक गुटबाजी का परिणाम बताया। उनका कहना है कि दिसंबर में होने वाले खेल महाकुंभ से पहले मैदान को तैयार करने की कोई तत्काल जरूरत नहीं थी। मेला आयोजक ने उद्घाटन विधायक चौबे की बजाय ब्लॉक प्रमुख अजित रावत से कराया था, जिससे नाराजगी बढ़ी।
स्थानीय लोगों के अनुसार, हाइडल मैदान का यह मेला हर साल गर्मी की छुट्टियों और नवरात्र से लेकर छठ पर्व तक लगता है। यह इलाके का प्रमुख आकर्षण है, जहां हजारों छोटे दुकानदारों और ठेला-खोमचा व्यापारियों को रोजगार मिलता है। विवाद के बाद मौके पर पुलिस ने स्थिति नियंत्रित की, लेकिन किसी पक्ष की ओर से अब तक एफआईआर दर्ज नहीं हुई है। विधायक पक्ष ने भी फिलहाल कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है।
इधर, मेला आयोजक अब सामान हटाने को मजबूर हैं और स्थानीय लोग इस कार्रवाई से निराश हैं। उनका कहना है कि इससे न सिर्फ मनोरंजन का सालाना साधन बंद हो गया, बल्कि सैकड़ों परिवारों की रोजी-रोटी पर भी असर पड़ा है। मामला अब पूरी तरह राजनीतिक रंग ले चुका है।
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