नई दिल्ली: अनुभवी तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह ने आखिरकार भारतीय टेस्ट कप्तानी को लेकर अपनी चुप्पी तोड़ी है। उन्होंने बताया कि अजीत अगरकर की अगुवाई वाली चयन समिति की पहली पसंद वही थे, लेकिन उन्होंने वर्कलोड के कारण यह प्रस्ताव ठुकरा दिया था। रोहित शर्मा और विराट कोहली के टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद शुभमन गिल को इंग्लैंड दौरे के लिए भारत का टेस्ट कप्तान बनाया गया।
बुमराह, जो टेस्ट टीम के उप-कप्तान थे और रोहित की गैरमौजूदगी में तीन टेस्ट (इंग्लैंड में एक और ऑस्ट्रेलिया में दो) में टीम की कप्तानी भी कर चुके थे, उन्हें आदर्श रूप से कप्तान का उत्तराधिकारी होना चाहिए था। लेकिन ऑस्ट्रेलिया में सिडनी टेस्ट के दौरान उन्हें लगी पीठ की चोट ने सब कुछ बदल दिया।
जसप्रीत बुमराह ने दिया बड़ा बयान
स्काई स्पोर्ट्स पर इंट्रव्यू देते हुए दिनेश कार्तिक से बातचीत करते हुए जसप्रीत बुमराह ने कहा, 'रोहित और विराट के आईपीएल के दौरान संन्यास लेने से पहले ही मैंने बीसीसीआई से अपनी वर्कलोड के बारे में बात की थी, खासकर पांच मैचों की टेस्ट सीरीज के लिए। मैंने उन लोगों से बात की जिन्होंने मेरी पीठ का ध्यान रखा। मैंने सर्जन से भी बात की, जिन्होंने हमेशा मुझे बताया है कि वर्कलोड के मामले में आपको कितना समझदार होना चाहिए। तो मैंने उनसे बात कीऔर फिर हम इस नतीजे पर पहुंचे कि मुझे थोड़ा और समझदार बनना होगा। इसलिए मैंने बीसीसीआई को कॉल किया और कहा कि मैं कप्तानी की भूमिका में नहीं आना चाहता, क्योंकि मैं पांच मैचों की टेस्ट सीरीज के सभी मैच नहीं खेल पाऊंगा।'
भारत के इस तेज गेंदबाज ने यह भी कहा कि वह नहीं चाहते थे कि भारतीय टीम के एक टेस्ट सीरीज में दो कप्तान हों। उन्होंने कहा, 'हां, बीसीसीआई मुझे कप्तानी के लिए देख रही थी। लेकिन फिर मुझे मना करना पड़ा क्योंकि यह टीम के लिए भी सही नहीं था कि एक पांच मैचों की टेस्ट सीरीज में तीन मैच कोई और लीड कर रहा है और दो मैच कोई और लीड कर रहा है। यह टीम के लिए सही नहीं था और मैं हमेशा टीम को सबसे पहले रखना चाहता था।'
जसप्रीत बुमराह ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा, 'भले ही एक खिलाड़ी के तौर पर मेरा टीम में होना ज्यादा फायदेमंद है, सिर्फ कप्तान के तौर पर नहीं। कप्तानी एक पद है, लेकिन टीम में हमेशा लीडर होते हैं और मैं वही करना चाहता था।' दुनिया के सर्वश्रेष्ठ तेज गेंदबाज माने जाने वाले बुमराह ने कहा कि वह ऐसी स्थिति में नहीं आना चाहते जहाँ वह अपने शरीर पर इतना दबाव डालें कि नियमित रूप से तीनों फॉर्मेट न खेल पाएं।
मुझे कप्तानी से ज्यादा क्रिकेट पसंद है...
जसप्रीत बुमराह ने कहा, 'अगर मैं सावधान नहीं रहा, तो मुझे भविष्य का नहीं पता और मैं ऐसी स्थिति में नहीं आना चाहता जहां अचानक मुझे इस फॉर्मेट से दूर होना पड़े। इसलिए मैंने सोचा कि निरंतरता के लिए और यह टीम के लिए भी उचित है। टीम उस दिशा में जाए जहां वे लॉन्ग टर्म के लिए देखें और मैं जिस भी तरीके से मदद कर सकूं। लेकिन हां, कप्तानी मेरे लिए बहुत मायने रखती थी। मैंने इसके लिए बहुत मेहनत की थी। लेकिन दुर्भाग्य से, कभी-कभी आपको बड़ी तस्वीर देखनी पड़ती है। मुझे कप्तानी से ज्यादा क्रिकेट पसंद है। इसलिए मैं एक क्रिकेटर के तौर पर और भारतीय टीम के लिए एक खिलाड़ी के तौर पर ज्यादा योगदान देना चाहता हूं। फिर, आप जानते हैं महत्वाकांक्षांए तो होती हैं, लेकिन बात ऐसी ही है।'
बुमराह, जो टेस्ट टीम के उप-कप्तान थे और रोहित की गैरमौजूदगी में तीन टेस्ट (इंग्लैंड में एक और ऑस्ट्रेलिया में दो) में टीम की कप्तानी भी कर चुके थे, उन्हें आदर्श रूप से कप्तान का उत्तराधिकारी होना चाहिए था। लेकिन ऑस्ट्रेलिया में सिडनी टेस्ट के दौरान उन्हें लगी पीठ की चोट ने सब कुछ बदल दिया।
जसप्रीत बुमराह ने दिया बड़ा बयान
स्काई स्पोर्ट्स पर इंट्रव्यू देते हुए दिनेश कार्तिक से बातचीत करते हुए जसप्रीत बुमराह ने कहा, 'रोहित और विराट के आईपीएल के दौरान संन्यास लेने से पहले ही मैंने बीसीसीआई से अपनी वर्कलोड के बारे में बात की थी, खासकर पांच मैचों की टेस्ट सीरीज के लिए। मैंने उन लोगों से बात की जिन्होंने मेरी पीठ का ध्यान रखा। मैंने सर्जन से भी बात की, जिन्होंने हमेशा मुझे बताया है कि वर्कलोड के मामले में आपको कितना समझदार होना चाहिए। तो मैंने उनसे बात कीऔर फिर हम इस नतीजे पर पहुंचे कि मुझे थोड़ा और समझदार बनना होगा। इसलिए मैंने बीसीसीआई को कॉल किया और कहा कि मैं कप्तानी की भूमिका में नहीं आना चाहता, क्योंकि मैं पांच मैचों की टेस्ट सीरीज के सभी मैच नहीं खेल पाऊंगा।'
भारत के इस तेज गेंदबाज ने यह भी कहा कि वह नहीं चाहते थे कि भारतीय टीम के एक टेस्ट सीरीज में दो कप्तान हों। उन्होंने कहा, 'हां, बीसीसीआई मुझे कप्तानी के लिए देख रही थी। लेकिन फिर मुझे मना करना पड़ा क्योंकि यह टीम के लिए भी सही नहीं था कि एक पांच मैचों की टेस्ट सीरीज में तीन मैच कोई और लीड कर रहा है और दो मैच कोई और लीड कर रहा है। यह टीम के लिए सही नहीं था और मैं हमेशा टीम को सबसे पहले रखना चाहता था।'
जसप्रीत बुमराह ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा, 'भले ही एक खिलाड़ी के तौर पर मेरा टीम में होना ज्यादा फायदेमंद है, सिर्फ कप्तान के तौर पर नहीं। कप्तानी एक पद है, लेकिन टीम में हमेशा लीडर होते हैं और मैं वही करना चाहता था।' दुनिया के सर्वश्रेष्ठ तेज गेंदबाज माने जाने वाले बुमराह ने कहा कि वह ऐसी स्थिति में नहीं आना चाहते जहाँ वह अपने शरीर पर इतना दबाव डालें कि नियमित रूप से तीनों फॉर्मेट न खेल पाएं।
मुझे कप्तानी से ज्यादा क्रिकेट पसंद है...
जसप्रीत बुमराह ने कहा, 'अगर मैं सावधान नहीं रहा, तो मुझे भविष्य का नहीं पता और मैं ऐसी स्थिति में नहीं आना चाहता जहां अचानक मुझे इस फॉर्मेट से दूर होना पड़े। इसलिए मैंने सोचा कि निरंतरता के लिए और यह टीम के लिए भी उचित है। टीम उस दिशा में जाए जहां वे लॉन्ग टर्म के लिए देखें और मैं जिस भी तरीके से मदद कर सकूं। लेकिन हां, कप्तानी मेरे लिए बहुत मायने रखती थी। मैंने इसके लिए बहुत मेहनत की थी। लेकिन दुर्भाग्य से, कभी-कभी आपको बड़ी तस्वीर देखनी पड़ती है। मुझे कप्तानी से ज्यादा क्रिकेट पसंद है। इसलिए मैं एक क्रिकेटर के तौर पर और भारतीय टीम के लिए एक खिलाड़ी के तौर पर ज्यादा योगदान देना चाहता हूं। फिर, आप जानते हैं महत्वाकांक्षांए तो होती हैं, लेकिन बात ऐसी ही है।'
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