मां ने बेटी को समझाया कि कोई पागल व्यक्ति होगा। इसमें डरने की कोई बात नहीं है। लेकिन अगले दिन भी बेटी डरी-सहमी स्कूल से लौटी। उसने मां से फिर उस व्यक्ति की वही शिकायत की। बेटी की बात सुनकर मां भी घबरा गईं। वह व्यक्ति ऐसी हरकतें क्यों कर रहा था, इसके बारे में बता रही हैं साइकोलॉजिस्ट और हेल्थ काउंसलर नम्रता जैन।
एग्जिबिशनिस्ट डिसऑर्डर मानसिक रोग है
नम्रता जैन कहती हैं कि ऐसे लोग क्रिमिनल नहीं, बल्कि मानसिक रोगी होते हैं। ऐसे लोग एग्जिबिशनिस्ट डिसऑर्डर का शिकार होते हैं। ऐसे रोगी तब तक पहचान में नहीं आते जब तक ये अंग प्रदर्शन से लोगों को असहज नहीं करते।
एग्जीबिशनिस्ट डिसऑर्डर के शिकार लोगों को सामने वाले के चेहरे पर शर्म या डर देखकर खुशी मिलती है। ये लोगों को शर्मिंदा करने और डराने के लिए ऐसी हरकतें करते हैं। यह एक यौन विकृति है। इसमें व्यक्ति सार्वजनिक स्थान पर विपरीत लिंग के अजनबियों के सामने अपने जननांग दिखाता है। इससे उसे यौन सुख मिलता है।
एग्जिबिशनिस्ट डिसऑर्डर की वजहें

बचपन में शारीरिक या मानसिक प्रताड़ना, शराब या ड्रग की लत के कारण एग्जीबिशनिस्ट डिसऑर्डर हो सकता है। एग्जीबिशनिस्ट डिसऑर्डर के शिकार पुरुष ज्यादातर महिलाओं के सामने अंग प्रदर्शन करते हैं। उनके चेहरे पर डर, नफरत और शर्मिंदगी देखकर इन्हें संतुष्टि मिलती है। सार्वजनिक स्थान पर अंग प्रदर्शन करना भी एक तरह का यौन उत्पीड़न ही है। इसके लिए ऐसे लोगों को सजा भी मिलती है। हालांकि ऐसी हरकत करने के बाद तुरंत उन्हें पछतावा भी होता है।
महिलाओं एग्जिबिशनिस्ट डिसऑर्डर का असर
कम उम्र की जो लड़कियां एग्जीबिशनिस्ट डिसऑर्डर के शिकार पुरुष को प्राइवेट पार्ट दिखाते देख लेती हैं, उनने मन में पुरुषों को लेकर डर बैठ जाता है। पुरुषों से उन्हें नफरत होने लगती है। आगे चलकर वो किसी भी पुरुष के साथ संबंध बनाने से घबराती हैं। शादी के बाद इसका असर उनके फिजिकल रिलेशन पर भी पड़ सकता है।
एग्जीबिशनिस्ट डिसऑर्डर की पहचान कैसे करें?
एग्जीबिशनिस्ट डिसऑर्डर के शिकार व्यक्ति को पहचानना मुश्किल होता है। आमतौर पर इनका व्यवहार बिल्कुल नॉर्मल होता है। इन्हें देखकर कोई अंदाजा भी नहीं लगा सकता कि ये व्यक्ति ऐसी हरकतें कर सकता है।
महिला या बच्चों द्वारा अपने प्राइवेट पार्ट को देखे जाने पर उनके चेहरे पर हैरानी के भाव देखकर यदि किसी व्यक्ति की उत्तेजना बढ़ जाए तो ये व्यवहार नॉर्मल नहीं है। ऐसा व्यक्ति एग्जीबिशनिस्ट डिसऑर्डर का शिकार हो सकता है।
6 महीने या उससे अधिक समय तक व्यक्ति सार्वजनिक तौर पर गंदी हरकतें करें तो वह एग्जीबिशनिस्ट डिसऑर्डर का शिकार है।
एग्जीबिशनिस्ट डिसऑर्डर का इलाज जरूरी
किसी भी रोग का इलाज तब संभव है जब रोगी ये माने कि वह बीमारी है। एग्जीबिशनिस्ट डिसऑर्डर के शिकार ज्यादातर रोगी ये मानने के लिए तैयार नहीं होते कि उन्होंने कोई गलत हरकत की है। इस डिसऑर्डर का इलाज बहुत जरूरी है।
एग्जीबिशनिस्ट डिसऑर्डर के शिकार लोग असामाजिक होते हैं इसलिए उनसे बातचीत करना आसान नहीं होता। एग्जीबिशनिस्ट डिसऑर्डर के इलाज में काउंसलिंग, थेरेपी, मेडिकेशन आदि शामिल होते हैं। लेकिन कई केसेस में ट्रीटमेंट के बाद भी एग्जीबिशनिस्ट डिसऑर्डर फिर से हो सकता है इसलिए इलाज के बाद भी व्यक्ति की हरकतों पर नजर रखना जरूरी है।
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