रायपुर: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा है कि सरकार की कोशिशों से बस्तर में माओवादी नेटवर्क कमजोर हो गया है। उन्होंने बताया कि कल्याणकारी योजनाओं और लगातार सुरक्षा अभियानों से शांति स्थापित करने में मदद मिली है। हमारे सहयोगी टीओआई को दिए एक इंटरव्यू में साय ने कहा कि पिछले 18 महीनों में सरकार ने नक्सलियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है।
सीएम साय ने आगे कहा कि 21 मई को सीपीआई (माओवादी) के जनरल सेक्रेटरी बसवराजू को मार गिराना एक बड़ी सफलता थी। सीएम साय ने बताया कि सरकार का लक्ष्य है कि 31 मार्च 2026 तक छत्तीसगढ़ को नक्सल मुक्त कर दिया जाए। सरकार विकास और समावेशी नीतियों के जरिए नक्सलवाद को खत्म करने की कोशिश कर रही है।
दूर-दराज इलाकों में पहुंच रहा विकास
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि उनकी सरकार बस्तर और पूरे राज्य को शिक्षा, कौशल विकास, कल्याणकारी योजनाओं और समावेशी नीतियों से बदलने की योजना बना रही है। सुरक्षा बलों ने जंगलों में अंदर तक अपनी पहुंच बनाई है। जहां पहले जाना मुश्किल था, वहां अब सुरक्षा कैंप बनाए गए हैं। ये कैंप अब सरकार की चौकियों की तरह काम कर रहे हैं। इनसे दूर-दराज के आदिवासी इलाकों में बुनियादी सुविधाएं और विकास पहुंच रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि ये कैंप तब तक रहेंगे जब तक जरूरी होगा।
1355 नक्सलियों ने किया सरेंडर
उन्होंने आगे कहा कि सुरक्षा में काफी सुधार हुआ है। हिंसा में कमी आई है और 1355 माओवादियों ने सरेंडर किया है। उन्होंने कहा कि सरकार की सरेंडर और पुनर्वास नीति से पूर्व नक्सलियों को समाज में वापस लाने में मदद मिली है। 'नियाद नेल्ला नार योजना' जैसे कार्यक्रमों से सुरक्षा कैंपों के 10 किलोमीटर के दायरे में आने वाले गांवों में विकास और स्थिरता को बढ़ावा मिल रहा है।
सरकार बना रही संतुलन
जब उनसे पूछा गया कि कुछ लोग हार्डकोर माओवादियों को पूरी तरह से माफ़ करने का विरोध कर रहे हैं, तो साय ने कहा कि वे उन परिवारों का दर्द समझते हैं जिन्होंने अपनों को खोया है। उन्होंने कहा कि मैं उन परिवारों के दर्द और गुस्से को समझता हूं जिन्होंने अपने प्रियजनों को खोया है। उनका दुख बहुत बड़ा है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार न्याय सुनिश्चित करने और उनकी चिंताओं को दूर करने के लिए पूरी तरह से समर्पित है। सरेंडर नीति की लगातार समीक्षा की जा रही है। सरकार सरेंडर को प्रोत्साहित करने और जवाबदेही सुनिश्चित करने के बीच सही संतुलन बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।
सीएम साय ने आगे कहा कि 21 मई को सीपीआई (माओवादी) के जनरल सेक्रेटरी बसवराजू को मार गिराना एक बड़ी सफलता थी। सीएम साय ने बताया कि सरकार का लक्ष्य है कि 31 मार्च 2026 तक छत्तीसगढ़ को नक्सल मुक्त कर दिया जाए। सरकार विकास और समावेशी नीतियों के जरिए नक्सलवाद को खत्म करने की कोशिश कर रही है।
दूर-दराज इलाकों में पहुंच रहा विकास
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि उनकी सरकार बस्तर और पूरे राज्य को शिक्षा, कौशल विकास, कल्याणकारी योजनाओं और समावेशी नीतियों से बदलने की योजना बना रही है। सुरक्षा बलों ने जंगलों में अंदर तक अपनी पहुंच बनाई है। जहां पहले जाना मुश्किल था, वहां अब सुरक्षा कैंप बनाए गए हैं। ये कैंप अब सरकार की चौकियों की तरह काम कर रहे हैं। इनसे दूर-दराज के आदिवासी इलाकों में बुनियादी सुविधाएं और विकास पहुंच रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि ये कैंप तब तक रहेंगे जब तक जरूरी होगा।
1355 नक्सलियों ने किया सरेंडर
उन्होंने आगे कहा कि सुरक्षा में काफी सुधार हुआ है। हिंसा में कमी आई है और 1355 माओवादियों ने सरेंडर किया है। उन्होंने कहा कि सरकार की सरेंडर और पुनर्वास नीति से पूर्व नक्सलियों को समाज में वापस लाने में मदद मिली है। 'नियाद नेल्ला नार योजना' जैसे कार्यक्रमों से सुरक्षा कैंपों के 10 किलोमीटर के दायरे में आने वाले गांवों में विकास और स्थिरता को बढ़ावा मिल रहा है।
सरकार बना रही संतुलन
जब उनसे पूछा गया कि कुछ लोग हार्डकोर माओवादियों को पूरी तरह से माफ़ करने का विरोध कर रहे हैं, तो साय ने कहा कि वे उन परिवारों का दर्द समझते हैं जिन्होंने अपनों को खोया है। उन्होंने कहा कि मैं उन परिवारों के दर्द और गुस्से को समझता हूं जिन्होंने अपने प्रियजनों को खोया है। उनका दुख बहुत बड़ा है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार न्याय सुनिश्चित करने और उनकी चिंताओं को दूर करने के लिए पूरी तरह से समर्पित है। सरेंडर नीति की लगातार समीक्षा की जा रही है। सरकार सरेंडर को प्रोत्साहित करने और जवाबदेही सुनिश्चित करने के बीच सही संतुलन बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।
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