नई दिल्ली: अमेरिका ने भारत पर टैरिफ को बढ़ाकर 50 प्रतिशत किया है, जिस पर केंद्र में सत्तारूढ़ एनडीए के नेताओं ने नाराजगी जताई है। बीजेपी सांसद दिनेश शर्मा ने यहां तक कहा है कि यह युवा भारत है, यह झुकता नहीं है। निश्चित रूप से किसान और डेयरी हितों को देखते हुए दूसरे देशों से समझौता होगा।
संबंधों को खराब नहीं करता नया भारत
बीजेपी सांसद दिनेश शर्मा ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत में कहा, "नया भारत किसी देश से संबंधों को खराब नहीं करता है, लेकिन अपने हितों को ताक पर रखकर किसी से समझौता नहीं करता है। भारत कृषि प्रधान देश है और उनके लिए सरकार ने काम किए हैं। निश्चित रूप से किसान और डेयरी हितों को देखते हुए दूसरे देशों से समझौता होता है।"
ऐसे दबावों को बेअसर कर देते हैं पीएम
अमेरिकी टैरिफ के भारत पर पड़ने वाले असर को लेकर दिनेश शर्मा ने कहा, "टैरिफ का असर भारत पर क्या होगा, यह भविष्य के गर्त में है, लेकिन भारत पर दबाव का असर नहीं होगा। प्रधानमंत्री मोदी ऐसे दबावों को बेअसर कर देते हैं।" उन्होंने दावा किया कि जो देश टैरिफ की बात करते हैं, उनके लिए भारत से निर्यात बहुत कम ही है।
भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था
बीजेपी सांसद शशांक मणि त्रिपाठी ने भी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फैसले को बताया ठहराया। उन्होंने कहा कि कोई देश किसी और देश पर इसलिए टैरिफ लगाए, क्योंकि उसका रिश्ता तीसरे देश से है, तो यह गलत है। उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि आप किसी देश को दंडित नहीं कर सकते हैं। भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। हमारा भी स्वाभिमान है।
ट्रंप और अमेरिकी प्रशासन से आग्रह सांसद शशांक मणि त्रिपाठी बोले, "डोनाल्ड ट्रंप ने 21 दिन की मोहलत दी है, लेकिन विश्वास है कि वे 25 प्रतिशत टैरिफ की बढ़ोतरी को वापस लेंगे।" उन्होंने मांग रखते हुए आगे कहा कि वे डोनाल्ड ट्रंप और अमेरिकी प्रशासन से आग्रह करते हैं कि टैरिफ को वापस लें। इस बीच, अमेरिकी टैरिफ पर केंद्रीय राज्य मंत्री तोखन साहू ने कहा कि जो किसान हित में होगा, सरकार वही कदम उठाएगी। प्रधानमंत्री वही कर रहे हैं।
ध्वस्त हो जाएगा कृषि क्षेत्र
एनडीए में सहयोगी टीडीपी के सांसद लावू श्रीकृष्ण देवरायलु ने कहा, "वे (अमेरिका) हमारे कृषि और डेयरी क्षेत्रों को खोलने की मांग कर रहे हैं, जिसकी हम अनुमति नहीं दे सकते। अगर हम भारतीय बाजार को ऐसे आयातों के लिए खोल देते हैं, तो हमारा कृषि क्षेत्र अनिवार्य रूप से ध्वस्त हो जाएगा। इसके अलावा, ये जीएम फसलें पेटेंटेड हैं और एक बार जब ये कंपनियां अपने पेटेंटेड बीजों के माध्यम से हमारी कृषि भूमि पर नियंत्रण हासिल कर लेंगी, तो मूल्यांकन और स्वामित्व का लाभ उनके पास चला जाएगा।"
संबंधों को खराब नहीं करता नया भारत
बीजेपी सांसद दिनेश शर्मा ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत में कहा, "नया भारत किसी देश से संबंधों को खराब नहीं करता है, लेकिन अपने हितों को ताक पर रखकर किसी से समझौता नहीं करता है। भारत कृषि प्रधान देश है और उनके लिए सरकार ने काम किए हैं। निश्चित रूप से किसान और डेयरी हितों को देखते हुए दूसरे देशों से समझौता होता है।"
ऐसे दबावों को बेअसर कर देते हैं पीएम
अमेरिकी टैरिफ के भारत पर पड़ने वाले असर को लेकर दिनेश शर्मा ने कहा, "टैरिफ का असर भारत पर क्या होगा, यह भविष्य के गर्त में है, लेकिन भारत पर दबाव का असर नहीं होगा। प्रधानमंत्री मोदी ऐसे दबावों को बेअसर कर देते हैं।" उन्होंने दावा किया कि जो देश टैरिफ की बात करते हैं, उनके लिए भारत से निर्यात बहुत कम ही है।
भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था
बीजेपी सांसद शशांक मणि त्रिपाठी ने भी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फैसले को बताया ठहराया। उन्होंने कहा कि कोई देश किसी और देश पर इसलिए टैरिफ लगाए, क्योंकि उसका रिश्ता तीसरे देश से है, तो यह गलत है। उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि आप किसी देश को दंडित नहीं कर सकते हैं। भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। हमारा भी स्वाभिमान है।
ट्रंप और अमेरिकी प्रशासन से आग्रह सांसद शशांक मणि त्रिपाठी बोले, "डोनाल्ड ट्रंप ने 21 दिन की मोहलत दी है, लेकिन विश्वास है कि वे 25 प्रतिशत टैरिफ की बढ़ोतरी को वापस लेंगे।" उन्होंने मांग रखते हुए आगे कहा कि वे डोनाल्ड ट्रंप और अमेरिकी प्रशासन से आग्रह करते हैं कि टैरिफ को वापस लें। इस बीच, अमेरिकी टैरिफ पर केंद्रीय राज्य मंत्री तोखन साहू ने कहा कि जो किसान हित में होगा, सरकार वही कदम उठाएगी। प्रधानमंत्री वही कर रहे हैं।
ध्वस्त हो जाएगा कृषि क्षेत्र
एनडीए में सहयोगी टीडीपी के सांसद लावू श्रीकृष्ण देवरायलु ने कहा, "वे (अमेरिका) हमारे कृषि और डेयरी क्षेत्रों को खोलने की मांग कर रहे हैं, जिसकी हम अनुमति नहीं दे सकते। अगर हम भारतीय बाजार को ऐसे आयातों के लिए खोल देते हैं, तो हमारा कृषि क्षेत्र अनिवार्य रूप से ध्वस्त हो जाएगा। इसके अलावा, ये जीएम फसलें पेटेंटेड हैं और एक बार जब ये कंपनियां अपने पेटेंटेड बीजों के माध्यम से हमारी कृषि भूमि पर नियंत्रण हासिल कर लेंगी, तो मूल्यांकन और स्वामित्व का लाभ उनके पास चला जाएगा।"
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