बड़वानी: हाथों में तलवार लिए घोड़ी पर सवार होकर दुल्हन जब निकली तो बैंड बाजे पर परिजन जम कर झूम उठे। यह नजारा देखकर हर कोई हैरान था। घोड़ी पर सवार दुल्हन ने भारत पाक युद्ध का हवाला देते हुए कहा कि घोड़ी पर बैठकर उसे झांसी की रानी जैसा फिल हुआ। यह नजारा बड़वानी जिले के सेंधवा में देखने को मिला। अब तक आपने दूल्हे को घोड़े पर सवार होकर बैंड बाजे के साथ बारात ले जाते देखा होगा। लेकिन बदलते परिवेश के साथ अब समाज में भी बदलाव देखने को मिल रहा है। कहते हैं लड़कियां किसी भी क्षेत्र में लड़कों से कम नहीं है। शुक्रवार देर रात को कुछ ऐसा ही नजारा सेंधवा शहर की देवझिरी कॉलोनी में देखने को मिला। गोपाल सूर्यवंशी की बेटी वैष्णवी सूर्यवंशी की शनिवार (आज) शादी है। पिता ने बेटी को बेटे की तरह ही परवरिश दी। बचपन की इच्छा पूरी हुई ऐसे में बेटी को धूमधाम से विदा करने से पहले शुक्रवार रात को उसका बाना निकाला। दुल्हन की तरह सजी धजी वैष्णवी हाथों में तलवार लिए घोड़ी पर सवार होकर निकली। परिवार सहित परिचित बैंड बाजे पर इस दौरान जमकर झूमे और नाचे भी। दुल्हन वैष्णवी का कहना है कि घोड़ी पर बैठकर बाना निकला, और मैं बहुत खुश हूं। पाकिस्तान के साथ लड़ाई में भी लड़कियां थींउसने कहा कि बचपन में सोचा था कि लड़के की तरह मैं भी बारात में घोड़े पर बैठकर निकलूं। मैं समाज को संदेश देना चाहती हूं कि लड़कियां लड़कों से कम नहीं होती हैं। हर काम मे आगे होती हैं। उसने कहा कि अभी पाकिस्तान युद्ध मे भी लड़किंया थीं। सेना में भी हैं, और लड़कियों को कम न समझा जाये। घोड़ी पर बैठकर ऐसा लगा कि मैं झांसी की रानी हूं। पिता ने दे दिया संदेश वैष्णवी के पिता और पेशे से पेंटर गोपाल ने बताया कि मैं बेटा ओर बेटी में अंतर नहीं समझता हूं। मेरी बेटी को कमजोर नहीं समझता। इसलिए मैंने मेरी बेटी को बेटे जैसा रखा है। मैं कोई अंतर नहीं समझता हूं। मेरे दो लड़के और दो लड़कियां हैं। ये सबसे छोटी लड़की है। मैने मेरी लड़की की सब इच्छाएं पूरी की हैं। समाज को यह संदेश देना चाहता हूं कि बेटा बेटी में अंतर न समझें, बराबर समझें।
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हाथ में तलवार और घोड़ी की सवारी, दुल्हन की निकली बारात तो जमकर हुआ डांस, पिता ने कह दी दिल जीतने वाली बात
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